कांट्रेक्ट खेती कानून को मिली मंजूरी
सरकार ने कांट्रेक्ट खेती कानून को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रीय सम्मेलन में कांट्रेक्ट खेती के प्रावधानों पर सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों ने भी सहमती व्यक्त कर दी है। मॉडल कांट्रेक्ट कृषि कानून में कई अहम प्रावधान हुए हैं जिसमें किसानों अथवा भू स्वामियों के हितों को सर्वोपरि रखा गया है। सम्मेलन में कांट्रेक्ट कृषि उपज को कृषि उत्पाद विपणन कानून(मंडी कानून) के दायरे से अलग रखने पर आम राय बनी है। अब इसके बाद कोई भी खरीददार सीधा खेत पर ही खरीद सकता है।
केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि ठेका खेती के उत्पादकों एवं प्रायोजकों के हितों की रक्षा करने के लिए कृषि मंत्रालय ने आदर्श एपीएमसी अधिनियम, 2003 का प्रारूप तैयार किया है जिसमें प्रायोजकों के पंजीकरण, अनुबंध की रिकॉर्डिंग, विवाद निपटान तंत्र के लिए प्रावधान किए गए हैं। कृषि मंत्री ने बताया,किसानों को खेतीबाड़ी में कमाई बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने अनुबंध खेती का एक मॉडल कानून मसौदा जारी किया है।
इस विषय पर राज्यों को अपनी सुविधा के अनुसार प्रावधानों में संशोधन करने की छूट दी गई है लेकिन इसके साथ ये भी कहा गया है की किसानों के हित के साथख कोई समझौता नहीं किया जाऐगा। कांट्रैक्ट ठेका खेती के उत्पादों के मूल्य निर्धारण में पूर्व, वर्तमान और आगामी पैदावार को करार में शामिल किया जाएगा। वहीं किसान और संबंधित कंपनी के बीच होने वाले करार के बीच सरकार तीसरे पक्ष की भूमिका निभाएगी। ठेका खेती में भूमि पर किसी तरह के स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं होगी और छोटे व सीमांत किसान किसानों को एकजुट करने को किसान उत्पादक संगठनों, कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। किसानों को घाटे से बचाने के लिए खेती के उत्पादों को फसल बीमा के प्रावधान लागू किए जाएंगे।