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सोमवार, जून 24, 2024
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किसानों के लिए वरदान है गरमा मौसम में मूंग की खेती, कृषि विभाग दे रहा है बढ़ावा

गरमा यानि की ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती न केवल धान-गेहूं फसल चक्र में तीसरी फसल के रूप में फसल सघनता को बढ़ाती है, बल्कि फसलों के उत्पादन, उत्पादकता और मिट्टी की उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि करती है। मूंग की फसल अपने वृद्धि काल में सबसे ज्यादा गर्मी सहन कर सकती है तथा किसान कम लागत में इस फसल से अधिक लाभ कमा सकते हैं। यह बात बिहार कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कही।

उन्होंने कहा कि गरमा मौसम में मूंग की खेती करने के दो फायदे हैं पहला यह कि किसान मूंग की फली की तोड़ाई कर उपज प्राप्त कर सकते हैं तथा दूसरा तोड़ाई के बाद इसके पौधे को मिट्टी में मिलाकर बड़ी मात्रा में हरि खाद के रूप में इसका उपयोग कर सकते हैं।

किसानों को अनुदान पर दिये जा रहे हैं बीज

कृषि विभाग के सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि विभाग द्वारा बिहार राज्य में गरमा मौसम में मूंग की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। बिहार राज्य बीज निगम के माध्यम से राज्य के 4,06,107 किसानों के बीच 33,307 क्विंटल मूंग के बीज का अनुदानित दर पर वितरण किया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार में 80 प्रतिशत से ज़्यादा मूंग की खेती गरमा मौसम में की जाती है।

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राज्य में अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत अल्पावधि (60-70 दिनों) के मूंग के प्रभेदों को बढ़ावा दिया जा रहा है। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम में फसल अवशेष का प्रबंधन करते हुए जीरो टिलेज तकनीक से मूंग की खेती का प्रत्यक्षण प्रत्येक जिले के 05-05 चयनित गावों अर्थात् कुल 180 गावों में किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत चयनित गावों में 8,030 एकड़ क्षेत्र में जीरो टिलेज तकनीक से मूंग की खेती का प्रत्यक्षण किया गया है। आत्मा योजना तथा कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से राज्य के किसानों को मूंग की खेती का प्रत्यक्षण एवं परिभ्रमण कराया जा रहा है, जिससे किसानों में इसके तकनीक के हस्तांतरण हो रहा है।

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