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जैव उर्वरक के उपयोग से मिलते हैं यह लाभ, किसान जैव उर्वरक से ऐसे बढ़ायें फसल उत्पादन

खरीफ फसलों की बुआई का समय नजदीक आ गया है ऐसे में कृषि विभाग द्वारा फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को सुझाव दिये जा रहे हैं। इस कड़ी में एमपी के जबलपुर ज़िले के उपसंचालक कृषि द्वारा किसानों को फसलों में जैव उर्वरकों के प्रयोग करने की सलाह दी गई है। उनके मुताबिक बेहतर उत्पादन प्राप्त करने हेतु किसानों को जैविक उर्वरक का उपयोग करने लगातार प्रेरित किया जा रहा है।

उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास रवि आम्रवंशी ने जिले के किसानों को जैविक उर्वरक के बारे में आधारभूत जानकारी प्रदान करते हुए इसके उपयोग करने की विधि एवं लाभों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि जैव उर्वरक एक जीवाणु खाद है। इसके प्रयोग से 30 से 40 किलो नाइट्रोजन कृषि भूमि के प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल को प्राप्त होती है। साथ ही 10 से 20 प्रतिशत तक उत्पादन में भी वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरक के पूरक तो है ही, साथ ही ये उनकी क्षमता में वृद्धि करने में भी सहायक हैं।

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किसान ऐसे करें बीजोपचार और खेत उपचार

कृषि विभाग के उपसंचालक ने बताया कि किसानों को 5 ग्राम जैव उर्वरक प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार करने की सलाह दी है। उन्होंने पौध उपचार की जानकारी देते हुए किसानों को बताया कि नर्सरी से उखाड़ी गई पौध की जड़ों को 5 से 10 ग्राम जैव उर्वरक, 250 ग्राम गुड के पानी के साथ बने घोल में 10 से 15 मिनिट तक डुबोकर रखने के बाद ही रोपाई करना चाहिए।

आम्रवंशी के मुताबिक आलू, अदरक, गन्ना आदि फसलों को 25 से 30 लीटर पानी, 500 ग्राम गुड एवं अनुशंसित जैविक उर्वरक का घोल बनाकर कंदो को 10 से 15 मिनिट तक डुबोकर रखने के बाद किसानों को रोपाई करना चाहिए। खेत उपचार के लिए जैव उर्वरक की अनुशंसित मात्रा 100 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद में मिलाकर हल्का पानी छिड़क कर रात भर छोड़ देना चाहिए तथा सुबह तैयार खेत में बिखेरकर बखर चलाकर मिला देना चाहिए।

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जैव उर्वरक के उपयोग से मिलते हैं यह लाभ

उपसंचालक कृषि रवि आम्रवंशी ने जैव उर्वरकों के प्रयोग से किसानों को मिलने वाले लाभ की जानकारी देते हुए बताया कि यह सस्ते होते हैं। कम खर्च में उत्पादन बढ़ाने में सहायक होते हैं। जैव उर्वरक वायुमंडल की नाइट्रोजन को फसलों को उपलब्ध कराते है। मिट्टी में अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील बनाते हैं। साथ ही अगली फसल को भी लाभ भी पहुंचाते हैं। जैव उर्वरक वृद्धि कारक हार्मोन्स उत्पन्न करते हैं। जो पौधों की वृद्धि में सहायक होते हैं। जैव उर्वरक मृदा जनित रोगों पर नियंत्रण, सूक्ष्मजीवों की संख्या में वृद्धि तथा पर्यावरण सुरक्षा जैव उर्वरकों के अन्य प्रमुख लाभ है। जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरकों का स्थान नहीं ले सकते, लेकिन इनकी आवश्यक मात्रा को कम कर सकते है। जिंक व पोटाश उपलब्ध कराने वाले जैव उर्वरक भी बाजार में उपलब्ध है।

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