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26 लाख किसानों को फ्री में दिए जाएंगे खरीफ फसलों के बीज

फसलों के अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीजों का होना बहुत जरुरी है। जिसको देखते हुए कृषि विभाग राजस्थान द्वारा खरीफ फसलों की उपज बढ़ाने के लिए किसानों को उन्नत किस्मों के बीज मिनीकिट फ्री में दिए जा रहे हैं। इसमें ज्वार, बाजरा, मूंग, मोठ एवं मक्का की उन्नत किस्मों के बीज शामिल है। राज्य के 26 लाख किसानों को निःशुल्क बीज मिनीकिट योजना का लाभ दिया जाएगा

कृषि आयुक्त कन्हैया लाल स्वामी ने बताया कि प्रदेश के 12 लाख किसानों को मक्का, 8 लाख को बाजरा, 4 लाख को मूंग और एक-एक लाख कृषकों को ज्वार व मोठ बीज के मिनीकिट वितरित किये जा रहे है। बीज मिनीकिट के बैगो पर निःशुल्क टैग अंकित किया गया है।

किसानों को कितना बीज फ्री मिलेगा

राज्य के कृषि आयुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि बाजरा मिनीकिट 1.5 किग्रा का, ज्वार, मोठ व मूंग मिनीकिट 4 किग्रा का और मक्का मिनीकिट 5 किग्रा वजन का है। इनका वितरण अनुसूचित जाति व जनजाति, लघु व सीमान्त और महिला कृषकों को सम्बन्धित ग्राम पंचायत के सरपंच, एक महिला वार्ड पंच, एक अनुसूचित जाति या जनजाति के वार्ड पंच व कृषि पर्यवेक्षक की कमेटी द्वारा किया जा रहा है। सम्बन्धित संयुक्त निदेशक कृषि जिला परिषद द्वारा समस्त कृषकों को मिनीकिट वितरण कार्यक्रम की जानकारी विभागीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कृषक गोष्ठियों और किसान सेवा केन्द्रों के माध्यम से दी जा रही है।

किसानों को फ्री बीज के लिए आवेदन कहाँ करना होगा?

कृषि आयुक्त ने बताया कि कृषकों को मिनीकिट का वितरण राज किसान साथी पोर्टल पर जन आधार कार्ड के माध्यम से ऑनलाईन किया जा रहा है। एक पात्र कृषक परिवार को एक बीज मिनीकिट ही वितरित किया जायेगा। कृषकों द्वारा आवेदन करने पर प्राप्त आवेदनों को कमेटी के समक्ष प्रस्तुत कर कृषकों का चयन किया जा रहा है, जिसका रिकॉर्ड सम्बन्धित कृषि पर्यवेक्षक द्वारा रखा जायेगा।

किसान रोटावेटर सहित इन कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर लेने के लिए अभी करें आवेदन

कृषि क्षेत्र में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को खेत की तैयारी से लेकर बुआई, कटाई, मढ़ाई, फसल अवशेष प्रबंधन आदि कामों में उपयोग किए जाने वाले कृषि यंत्रों पर अनुदान देती है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश कृषि विभाग द्वारा किसानों को अनुदान पर बुआई के लिए उपयोग में आने वाले कृषि यंत्रों के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। ऐसे में जो किसान इन कृषि यंत्रों को अनुदान पर लेना चाहते हैं वे किसान ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

मध्यप्रदेश कृषि विभाग द्वारा अभी बुआई के लिए उपयोगी कृषि यंत्र जैसे रोटावेटर, सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल, जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, रेज्ड बेड प्लान्टर, रिजफरो प्लान्टर और मल्टीक्रॉप प्लान्टर के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। जारी लक्ष्यों के विरुद्ध किसान 26 जून 2024 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस दौरान जो भी किसान आवेदन करेंगे उनका चयन विभाग द्वारा ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा। लॉटरी 27 जून 2024 के दिन निकाली जाएगी। ऐसे में जिन किसानों का चयन लॉटरी में होगा वे किसान सब्सिडी पर कृषि यंत्र खरीद सकेंगे।

कृषि यंत्र पर कितना अनुदान (Subsidy) मिलेगा?

प्रदेश में किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। जिसमें महिला तथा पुरुष वर्ग, जाति वर्ग एवं जोत श्रेणी के अनुसार किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान है। इसमें किसानों को 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। किसान जो कृषि यंत्र अनुदान पर लेना चाहते हैं वे किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर कृषि यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं।

किसानों को देना होगा डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)

योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को स्वयं के बैंक खाते से धरोहर राशि का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) सम्बंधित जिले के सहायक कृषि यंत्री (सूचि देखने के लिए क्लिक करें) के नाम से बनवाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जिसमें किसानों को रोटावेटर कृषि यंत्र हेतु 5,000/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) बनवाना होगा। वहीं सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल/ जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल/ रेज्ड बेड प्लान्टर/ रिजफरो प्लान्टर/ मल्टीक्रॉप प्लान्टर के लिए किसानों को 2,000/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) बनवाना होगा।

अनुदान पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन कहाँ करें?

मध्यप्रदेश में किसानों को सभी प्रकार के कृषि यंत्रों को अनुदान पर लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। ऐसे में जो किसान ऊपर दिये गये कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करना चाहते हैं वे किसान ऑनलाइन e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। जो किसान पहले से पोर्टल पर पंजीकृत है वे आधार OTP के माध्यम से लॉगिन कर आवेदन प्रस्तुत कर सकते है।

वहीं वे किसान जिन्होंने ने अभी तक पोर्टल पर अपना पंजीकरण नहीं किया है वे किसान एमपी ऑनलाइन या सीएससी सेंटर पर जाकर बायोमैट्रिक आधार अथेन्टिकेशन के माध्यम से अपना पंजीकरण कराना होगा और इसके बाद किसान कृषि यंत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं। योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ब्लॉक या जिले के कृषि कार्यालय में संपर्क करें।

किसान अच्छी पैदावार के लिए इस तरह करें तिल की खेती

तिल खरीफ सीजन की एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल हैं, ऐसे में किसान खरीफ के मौसम में तिल का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकें इसके लिये किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग जबलपुर ने जिले के किसानों को इसके बीजोपचार, बोनी की विधि तथा हानिकारक कीटों एवं रोगों से फसल को सुरक्षित रखने के उपायों की जानकारी दी है। किसान इन तकनीकों को अपनाकर न केवल अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं बल्कि फसल की लागत में भी कमी कर सकते हैं।

इस कड़ी में जबलपुर कृषि विभाग के उप संचालक रवि आम्रवंशी ने बताया कि तिल एक प्रमुख तिलहनी फसल है। उन्होंने तिल के बीजों की उन्नत किस्मों की जानकारी देते हुये बताया कि टी-4, टी- 12, टी-13 एवं टी-78 तिल के प्रमुख उन्नत किस्म के बीज हैं। किसानों को फसल का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ क्षेत्र में 4 से 5 किलोग्राम बीज की मात्रा की आवश्यकता होती है। तिल की फसल में बीज जनित रोग जड़ गलन की रोकथाम हेतु बीज को 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से केप्टान या थीरम फफूंदनाशक से उपचारित करना चाहिए अथवा 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करना चाहिए।

तिल की बुआई कैसे करें?

उपसंचालक ने किसानों को बताया कि बुवाई की विधि का तिल की उपज पर सीधा प्रभाव पड़ता है। किसानों को तिल की बुवाई सीधी पंक्तियों में करनी चाहिए। पंक्तियों के बीच की दूरी परस्पर 30 से 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए। साथ ही दो पौधों के बीच की दूरी भी 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। तिल के बीज का आकार छोटा होने के कारण इसे गहरा नहीं बोना चाहिये। तिल की खेती के लिए मटियार रेतीली भूमि उपयुक्त है लेकिन अम्लीय या क्षारीय मिट्टी अनुपयुक्त है। उन्होंने बताया कि तिल की खेती के लिए मृदा का पीएच मान 5.5 से 8.0 होना चाहिए।

तिल की खेती के लिए ऐसे तैयार करें खेत

आम्रवंशी ने बताया कि पिछली फसल को लेने के बाद मिट्टी को पाटा लगाकर भुरभुरा बना लेना चाहिए। मानसून आने से पहले खेत की जुताई कर समतल करना चाहिए तथा एक या दो जुताई करके खेत को तैयार कर लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि तिल की बुवाई से पहले खेत तैयार करते समय सड़ी हुई गोबर की खाद 10-15 टन प्रति एकड़ मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देनी चाहिए तथा रासायनिक उर्वरक में 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 किलोग्राम फास्फोरस एवं 15 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर देना चाहिए।

तिल की फसल को कीट-रोगों से कैसे बचाएं

तिल की फसल में गाल मक्खी कीट की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 डब्ल्यू.पी. या क्यूनालफास 25 ई.सी. की एक लीटर मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा फली एवं पत्ती छेदक से फसलों की सुरक्षा के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 डब्ल्यू.पी. या कार्बोरील 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का फसल पर छिड़काव करना चाहिए। तिल के पौध की जड़ एवं तना गलन रोग से रोकथाम के लिए किसानों को बीज की बुवाई से पूर्व बीज को उपचारित करके बोना चाहिए। इस बीमारी से ग्रसित खेत में लगातार तिल की खेती नहीं करनी चाहिए। वहीं झुलसा एवं अंगमारी की रोकथाम के लिए किसानों को मैन्कोजेब या जिनेब डेढ़ किलोग्राम या कैप्टान दो से ढाई किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने तथा 15 दिन बाद इसे पुनः दोहराने की सलाह दी गई है।

तिल की फसल को खरपतवार से कैसे बचाए

उपसंचालक आम्रवंशी के मुताबिक शुरुआती पैंतालीस दिनों तक तिल की फसल को खरपतवारों से मुक्त रखना पौधों की वृद्धि और विकास में मदद करता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए किसानों को तिल के बीज बोने के तुरंत बाद एलकोलर 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या 60 मिलीलीटर एलकोलर 10 लीटर पानी में मिलाकर जमीन पर स्प्रे करना तथा आवश्यकता के अनुसार हाथ की निराई और गुड़ाई करना उचित है।

बोनी से पूर्व या बोनी के बाद फूल और फली आने की अवस्था अच्छी उपज के लिये सिंचाई की क्रांतिक अवस्थायें हैं। किसानों द्वारा इन तीनों अवस्थाओं में सिंचाई करना फसलों के लिए लाभकारी होता है। उन्होंने बताया कि तिल की फसल ढाई महीने में पककर तैयार हो जाती है। फसल की सभी फल्लियाँ प्राय: एक साथ नहीं पकती किंतु अधिकांश फल्लियों का रंग भूरा पीला पड़ने पर ही फसल की कटाई करना चाहिये। तिल का उत्पादन लगभग 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। खरीफ मौसम के साथ-साथ इसकी बुवाई गर्मी और अर्ध-सर्दी के मौसम में भी की जाती है।

कृषि यंत्रों पर दी जाएगी 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी, 77 हजार से अधिक किसानों ने किया आवेदन

कृषि क्षेत्र में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है ताकि किसान इन कृषि यंत्रों को खरीद कर खेती-किसानी के कामों को आसान बना सकें। इस कड़ी में बिहार सरकार द्वारा राज्य के किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन लॉटरी की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। योजना के तहत किसानों को 75 प्रकार के कृषि यंत्र अनुदान पर उपलब्ध कराये जाएंगे।

बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कृषि यंत्रीकरण योजना के अंतर्गत ऑनलाइन लॉटरी की प्रक्रिया का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मंत्री ने किसानों के बीच मिलेट्स के बीज, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पौधा संरक्षण हेतु एग्री क्लिनिक एवं मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को उपादान/ प्रमाण-पत्र आदि का वितरण किया गया।

किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी पर दिए जाएंगे कृषि यंत्र

कृषि मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार द्वारा चतुर्थ कृषि रोड-मैप अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना के अंतर्गत कुल 82.25 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्राप्त है तथा केंद्र प्रायोजित सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मेकेनाईजेशन अंतर्गत कुल 104.16 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। उन्होंने कहा कि कृषि यंत्रीकरण योजना अंतर्गत कुल 75 प्रतिशत के कृषि यंत्रों पर 40 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक का अनुदान देने का प्रावधान है।

इन कृषि यंत्रों पर दिया जाएगा अनुदान Subsidy

कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के यंत्रों जैसे स्ट्रॉ रीपर, सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रीपर कम बाइंडर, स्ट्रॉ बेलर, ब्रश कटर इत्यादि यंत्रों के साथ ही लघु/सीमांत किसानों के लिए छोटे यंत्र जैसे हसिया, कुदाल, खुरपी, मेज सेलर एवं विडर का किट बनाकर अनुदान पर दिया जा रहा है।

यंत्रीकरण योजना के अंर्तगत बुआई से पहले तथा कटाई के उपरांत तक उपयोग में होने वाले कुल 75 प्रकार के कृषि यंत्रों जैसे कल्टीवेटर, डिस्क हेरो, पोटैटो प्लांटर, पैडी ट्रांसप्लांटर, मल्टी क्रॉप थ्रेशर, टी प्लकर, पोटैटो डीगर, मखाना पॉपिंग मशीन, राइस मिल, फ्लोर मिल, चैफ कटर, पॉवर टीलर एवं रोटवेटर आदि कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है।

77867 किसानों ने किया ऑनलाइन आवेदन

बिहार कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि कृषि यंत्रीकरण योजना का मुख्य उद्देश्य अनुदानित दर पर उन्नत कृषि यंत्रों की पहुँच किसानों तक उपलब्ध कराना है, ताकि किसान उचित समय पर शस्य क्रियाओं का निष्पादन कर कृषि उत्पादन/उत्पादकता में वृद्धि कर सकें। उन्होंने बताया कि पहली बार यंत्रीकरण योजना के लिए किसानों को अनुदानित दर पर कृषि यंत्र क्रय करने हेतु आवेदन की सुविधा अप्रैल माह से ही शुरू कर दी गई थी। जिसके तहत 31 मई तक राज्य के 77,867 किसानों ने आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि 31 मई 2024 तक प्राप्त कुल 77867 आवेदनों में से लॉटरी के माध्यम से विभिन्न यंत्रों के जिलवार भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य के अधीन परमिट निर्गत किया जा रहा है।

किसान फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए करें बीजोपचार

किसान खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए लगातार सलाह जारी की जा रही है। इस कड़ी में राजस्थान के अजमेर में स्थित ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म द्वारा किसानों को खरीफ फसलों के बीजों का बीजोपचार करने के लिए सलाह दी गई है। ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (शस्य) मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि बीज पादप जीवन का मुख्य आधार हैं। कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्तम बीज का महत्वपूर्ण स्थान हैं।

तबीजी फार्म के उप निदेशक के मुताबिक पौधों का जीवन चक्र बीज से शुरु होता हैं। अतः बीज का स्वस्थ होना अतिआवश्यक हैं। बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंगफली, तिल, ग्वार, मूंग, उड़द व मोठ आदि खरीफ में बोई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं। इनको रोगों व कीटों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिश अनुसार बीजोपचार अवश्य करें एवं बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनें।

बीजोपचार से क्या लाभ होता है?

तबीजी फार्म कार्यालय के कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि इन फसलों में कई प्रकार के बीज जनित रोगों एवं मृदा जनित रोगों व कीटों का प्रकोप होता हैं। इन रोगों से बचाव के लिए उत्तम बीज चुनाव के बाद बीजोपचार करना भी अतिआवश्यक हैं। बीजोपचार बीज जनित रोगों एवं मृदाजनित रोगों व कीटों को रोकने का सबसे सरल, सस्ता व प्रभावी तरीका हैं।

बीज उपचार वह प्रक्रिया हैं, जिसमें बीज को बोने से पूर्व बीज से होने वाले वाले व मृदाजनित रोगों से बचाने के लिए रासायनिक कवकनाशियों एवं कीटनाशियों व जैविक कारकों की निश्चित मात्रा से बीज शोधन किया जाता हैं जिससे बीज पर एक सुरक्षात्मक परत बन जाती हैं। बीजों को कवकनाशी, कीटनाशी व जीवाणु कल्चर व ट्राइकोडर्मा से निर्धारित क्रम में ही उपचारित करना चाहिए। बीज उपचार करने से रोगों व कीटों से बीज की सुरक्षा के साथ बीज की अंकुरण क्षमता में बढ़ोतरी होती हैं। इससे उत्पादन में भी वृद्धि होती हैं।

सब्सिडी पर मिनी स्प्रिंकलर सेट लेने के लिए अभी आवेदन करें

देश में किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार विभिन्न सिंचाई संसाधनों के साथ ही सिंचाई यंत्रों पर भी अनुदान उपलब्ध कराती है। इसके लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राज्य में किसानों को सब्सिडी पर मिनी स्प्रिंकलर सेट अनुदान पर देने के लिए आवेदन मांगे गए हैं। ऐसे में जो किसान सब्सिडी पर मिनी स्प्रिंकलर सेट लेना चाहते हैं वे ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

कृषि विभाग मध्यप्रदेश द्वारा वर्ष 2024-2025 के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत सिंचाई उपकरण मिनी स्प्रिंकलर सेट के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। इसके लिए किसानों को 24 जून 2024 तक पोर्टल पर आवेदन करना होगा। प्राप्त आवेदनों में से विभाग द्वारा ऑनलाइन लॉटरी निकाली जाएगी। जिसके बाद चयनित किसान योजना का लाभ ले सकेंगे।

मिनी स्प्रिंकलर सेट पर कितनी सब्सिडी मिलेगी

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राज्य में किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत मिनी स्प्रिंकलर सेट पर सब्सिडी दी जा रही है। इसमें सरकार द्वारा किसान वर्ग एवं जोत श्रेणी के अनुसार अलग–अलग सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है, जो अधिकतम 55 प्रतिशत तक है। इसमें जो किसान सिंचाई यंत्र मिनी स्प्रिंकलर लेना चाहते हैं वह किसान ई–कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर सिंचाई यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसानों को आवेदन के समय एवं लॉटरी में चयन के बाद फील्ड अधिकारी द्वारा सत्यापन के दौरान कुछ दस्तावेज अपने पास रखना होगा। जो इस प्रकार है:-

  • आधार कार्ड की कॉपी,
  • बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ की कॉपी,
  • सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों हेतु),
  • बी-1 की प्रति,
  • बिजली कनेक्शन का प्रमाण पत्र (जैसे बिजली बिल)

अनुदान पर मिनी स्प्रिंकलर सेट लेने के लिए आवेदन कहाँ करें?

मध्यप्रदेश में किसानों को मिनी स्प्रिंकलर सेट अनुदान पर लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इच्छुक किसान योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। जो किसान पहले से पोर्टल पर पंजीकृत है वे आधार OTP के माध्यम से लॉगिन कर आवेदन प्रस्तुत कर सकते है। वहीं नये किसानों को आवेदन करने से पूर्व बायोमैट्रिक आधार अथेन्टिकेशन के माध्यम से पंजीयन कराना अनिवार्य होगा।

पंजीयन की प्रक्रिया पोर्टल पर प्रारम्भ की जा चुकी है। किसान यह आवेदन नजदीकी MP ऑनलाइन से या CSC सेंटर से जाकर कर सकते हैं। योजना से जुड़ी अधिक जानकारी किसान पोर्टल पर देख सकते हैं या अपने ब्लॉक या जिले के कृषि विभाग कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।

सब्सिडी पर मिनी स्प्रिंकलर सेट लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

सरकार सभी किसानों से MSP पर खरीदेगी तुअर उड़द और मसूर, किसानों को करना होगा ऑनलाइन पंजीयन

देश को दलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार किसानों को दलहन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इस कड़ी में किसानों को दलहन फसलों का उचित दाम मिल सके इसके लिए सरकार ने शत प्रतिशत तुअर, उड़द और मसूर की उपज खरीदने का निर्णय लिया है। ऐसे में किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए सरकार ने किसानों के पंजीयन के लिए ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया है।

इस कड़ी में 21 जून के दिन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली के कृषि भवन में विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक आयोजित की। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार फसल विविधीकरण सुनिश्चित करने तथा दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर तुअर, उड़द और मसूर की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

किसानों को करना होगा ऑनलाइन पंजीयन

कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के पंजीकरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) तथा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के माध्यम से ई-समृद्धि पोर्टल शुरू किया गया है तथा सरकार पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से एमएसपी पर इन दालों की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक किसानों को इस पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वे सुनिश्चित खरीद की सुविधा का लाभ उठा सकें।

2027 तक दलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश इन तीनों फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है और 2027 तक आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया है कि 2015-16 से दालों के उत्पादन में 50 प्रतिशत की वृद्धि करने के लिए राज्यों के प्रयासों की सराहना की, लेकिन प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने और किसानों को दालों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि देश ने मूंग और चना में आत्मनिर्भरता हासिल की है और उल्लेख किया कि देश ने पिछले 10 वर्षों के दौरान आयात पर निर्भरता 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दी है। राज्यों से केंद्र के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया ताकि भारत न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बने बल्कि दुनिया की खाद्य टोकरी भी बने।

आदर्श दलहन ग्राम योजना की दी जानकारी

कृषि मंत्री ने मौजूदा खरीफ सीजन से शुरू की जा रही नई आदर्श दलहन ग्राम योजना के बारे में जानकारी दी। मंत्री ने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे चावल की फसल कटने के बाद दालों के लिए उपलब्ध परती भूमि का उपयोग करें। कृषि मंत्री ने राज्य सरकारों से तुअर की अंतर-फसल को भी जोरदार तरीके से अपनाने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को एक-दूसरे के साथ अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना चाहिए और इसके लिए दौरे किए जाने चाहिए।

देश में दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता को देखते हुए यह बैठक बुलाई गई थी, ताकि आयात को कम किया जा सके। बैठक में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, बिहार, तेलंगाना जैसे प्रमुख दाल उत्पादक राज्यों के कृषि मंत्री मौजूद थे। राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के माध्यम से केंद्र द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

किसान खाद-बीज से संबंधित शिकायत इस नंबर पर करें

खरीफ फसलों की बुआई का समय हो गया है, ऐसे में किसान खाद-बीज, कीटनाशक आदि सामग्री खरीद रहे हैं। इसको देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किसानों के साथ नाप-तौल में धोखाधड़ी करने वाले व्यापारियों को चिन्हांकित कर कड़ी कार्रवाई कर रही है। गड़बड़ी करने वाले 57 व्यापारियों को चिन्हांकित कर उनके विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध किये गये हैं। इसके साथ ही सरकार ने राज्य के किसानों के लिए शिकायत हेतु व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया हैं। जहां किसान धोखाधड़ी की शिकायत कर सकते हैं।

प्रदेश के नियंत्रक नाप-तौल डॉ. कैलाश बुंदेला ने बताया है कि खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के निर्देशानुसार अपर मुख्य सचिव, स्मिता भारद्वाज के मार्गदर्शन में विशेष अभियान चलाकर उपकरणों की जाँच की जा रही है।

खाद-बीज बेचने वाली दुकानों का किया जा रहा है निरीक्षण

डॉ. बुंदेला ने बताया कि आगामी खरीफ सीजन को देखते हुए विशेष जाँच अभियान चलाकर जिलों में खाद-बीज विक्रेताओं की दुकानों का आकस्मिक निरीक्षण किया जा रहा है। किसानों को सही मात्रा एवं दाम में खाद एवं बीज बेचने में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किये जा रहे हैं, जिससे कि किसानों को सही कीमत पर उचित मात्रा में कृषि आदान प्राप्त हों।

अभियान में विशेष तौर से जाँचा-परखा जा रहा है कि व्यापारी द्वारा उपयोग में लाए जा रहे नाप-तौल उपकरण नियमानुसार सत्यापित एवं सही है कि नही, खाद एवं बीज के पैकेजों पर नियमानुसार आवश्यक घोषणाए अंकित है कि नहीं। पैकेजों पर अंकित मात्रा के अनुसार खाद एवं बीज है, या नहीं। व्यापारी खाद्य बीज के पैकेजों पर अंकित MRP से अधिक कीमत पर विक्रय तो नहीं कर रहा है।

नियंत्रक नाप-तौल डॉ. बुंदेला ने बताया कि विशेष जाँच अभियान में खाद एवं बीज व्यापारियों के कुल 324 निरीक्षण में 19 प्रकरण नाप-तौल उपकरण सत्यापित नहीं पाए जाने के कारण, 29 प्रकरण खाद्य एवं बीज के पैकेजों पर नियमानुसार घोषणा अंकित नहीं होने के कारण तथा 09 प्रकरण नाप-तौल उपकरण के सत्यापन प्रमाण पत्र उपलब्ध न होने के कारण पंजीबद्ध किये गए हैं।

किसानों को MRP पर दें सामग्री

खाद एवं बीज व्यापारियों को कहा गया है कि वे सत्यापित नाप-तौल उपकरणों का ही उपयोग करे। खाद एवं बीज के पैकेजों पर नियमानुसार आवश्यक घोषणाए अंकित होने पर ही उसे किसान को बेचें। इसके अलावा किसानों को पैकेट पर अंकित MRP पर ही सामग्री दें। यह सुनिश्चित करें कि किसानों को खाद एवं बीज सही मात्रा में ही मिले। किसी भी व्यापारी के यहां अनियमितता पाई जाने पर नाप-तौल अधिनियम एवं नियमों के अंतर्गत कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

किसान इस नंबर पर करें शिकायत

डॉ. बुंदेला ने किसानों से आग्रह किया है कि वे कृषि दुकानों पर खरीदी पर संदेह की स्थिति में बेखौफ होकर जानकारी उपलब्ध करायें, जिससे कि व्यापारियों द्वारा किसानों के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि खाद्य एवं बीज विक्रेता के यहां नाप-तौल, अधिक कीमत लेने संबंधी किसी प्रकार भी अनियमितता पर शिकायत विभाग के व्हाटस-एप नम्बर 9111322204 पर जानकारी दें।

धान की फसल को बौनेपन से बचाने के लिए किसान करें यह काम

देश में खरीफ फसलों की बुआई का समय हो गया है, खरीफ सीजन की सबसे मुख्य फसल धान है। ऐसे में किसान कम लागत में धान की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए कृषि विभाग और कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा लगातार सलाह दी जा रही है। इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के लिए सलाह जारी की गई है। किसानों को यह सलाह धान की फसल को बौनेपन से बचाने के लिए दी गई है।

विश्वविद्यालय द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि अभी चावल की नर्सरी में स्पाइनारियोविरिडे समूह के वायरस कई स्थानों पर देखा गया है। इस वायरस से प्रभावित पौधे बौने एवं ज्यादा हरे दिखाई देते हैं। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बी.आर. काम्बोज ने बताया कि अभी संक्रमण छोटे स्तर पर है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर संक्रमण की रोकथाम के लिए कारगर कदम उठायें ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके।

धान को बौनेपन से बचाने के लिए क्या करें

वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार मलिक ने बताया कि अगेती नर्सरी बुआई पर सावधानीपूर्वक नजर रखनी चाहिए और प्रभावित चावल के पौधों की उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए या खेतों से दूर मिट्टी में दबा देना चाहिए। असमान विकास पैटर्न दिखाने वाली नर्सरी के पौधे की रोपाई नहीं करें। हॉपर्स से नर्सरी की सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है। इसके लिए कीटनाशकों डिनोटफ्यूरान 20: एसजी 80 ग्राम या पाइमेट्रोजिन 50: डव्ल्यूजी 120 ग्राम प्रति एकड़ 10 ग्राम या 15 ग्राम प्रति कनाल नर्सरी क्षेत्र में छिड़काव करें।

उल्लेखनीय है कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022 के दौरान धान की फसल में पहली बार एक रहस्यमयी बीमारी की सूचना दी थी जिसके कारण हरियाणा राज्य में धान उगाने वाले क्षेत्रों में पौधे बौने रह गये थे। जिससे सभी प्रकार की चावल किस्में प्रभावित हुई थी।

किसानों को इस पोर्टल पर मिलेगी ऋण से संबंधित सभी जानकारी

किसानों को आसानी से खेती-किसानी की जानकारी के साथ ही सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल सके इसके लिए किसानों का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। इसमें केंद्र सरकार की योजना एग्रीस्टैक प्रमुख है। योजना के तहत पोर्टल पर किसानों के द्वारा लगाई जाने वाली फसलों सर्वे किया जाएगा। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार एग्रीस्टेक योजना के अंतर्गत जियो रिफरेंसिंग आधारित डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया जाएगा।

सर्वे में किसानों की फसलों की सभी जानकारियां भारत सरकार के एग्रीस्टेक पोर्टल में दर्ज होंगी। किसानों को फसल उत्पादकता के लिए जरूरी इनपुट जैसे फसल ऋण, विशेषज्ञों की सलाह से लेकर बाजार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही किसानों को आवश्यकतानुसार बैंक ऋण लेने की भी सुविधा मिलेगी।

क्या है एग्री स्टैक पोर्टल

एग्रीस्टेक पोर्टल का उद्देश्य कृषि किसानों और नीति निर्माताओं-केंद्र सरकार और राज्य सरकार को एक डिजिटल छतरी के नीचे लाना है। इस पोर्टल के जरिए किसानों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं से लाभान्वित किया जाएगा। किसानों को भूमि फसल, मृदा स्वास्थ्य, मौसम की स्थिति के आधार पर नियमित रूप से सामयिक सलाह फसल की बोआई और उत्पादन के लिए विश्वसनीय डाटा के अलावा सूखा, बाढ़, खराब उत्पादन जैसे जोखिम से निपटने की तैयारी के बारे में जानकारी मिलेगी। एग्रीस्टेक पोर्टल में किसानों का पंजीयन होने के बाद उन्हें एक फार्म तथा फार्मर आईडी दी जाएगी तथा जियो रेफरेन्सड मैप को किसान आईडी से लिंक किया जाएगा। किसानों द्वारा भूमि में लगाई गई फसल का जीआईएस आधारित डिजिटल सर्वेक्षण किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ के इन किसानों को मिलेगा लाभ

छत्तीसगढ़ में डिजिटल फसल सर्वे खरीफ 2024 के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में धमतरी, महासमुंद, कवर्धा का चयन किया गया है। इन जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए जियो रिफरेंसिंग का कार्य अंतिम चरण में है। महासमुंद जिले के 1150 गांवों में से 973, धमतरी जिले में 613 ग्राम में से 304, कवर्धा जिले में 1012 ग्रामों में से 809 ग्रामों में जियो रिफरेंसिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इन जिलों में 2 करोड़ 2 लाख 90 हजार से अधिक फार्म आईडी बनाए गए हैं। राज्य स्तर पर एग्रीस्टेक योजना के संचालन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संचालन समिति और क्रियान्वयन के लिए संचालक कृषि की अध्यक्षता में क्रियान्वयन समिति गठित की गई है।