बिरसा किसान यूनिक आईडी कार्ड
देश में किसानों के हित के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा बहुत सी योजनायें चलाई जा रही हैं परन्तु यह देखा गया है कि योजना का लाभ सही व्यक्ति तक नहीं पहुँच पाता है | आज भी अधिकांश किसान ऐसे हैं जिन्हें सरकार की सभी योजना का लाभ नहीं मिला है | सरकार द्वारा किसानों के लिए जो योजनाएं चलाई जाती है इसका लाभ बिचौलिये उठा ले जाते हैं और किसान इन योजनाओं से वंचित रह जाते हैं | इसको लेकर झारखण्ड सरकार ने किसानों के लिए एक यूनिक आईडी बनाने का फैसला लिया है |
झारखंड सरकार ने राज्य के किसानों के लिए “बिरसा किसान योजना” की शुरुआत की है | राज्य सरकार के अनुसार झारखंड में कुल 58 लाख किसान है जो खेती से जुड़े हुए है | इन सभी किसानों को एक यूनिक बिरसा किसान आईडी जारी किया जायेगा | जिसके अंदर उनकी सारी जानकारी रहेगी | योजना का उद्देश्य किसानों तक सरकारी लाभ पहुंचाने में बिचौलियों के रोल को खत्म करना और एक किसान वो विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है | यूनिक आईडी कार्ड का एक और फायदा यह भी होगा कि फर्जी तरीके से लाभ उठा रहे लोगों की पहचान भी की जाएगी |
क्या है बिरसा किसान योजना ?
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने आदिवासी दिवस के मौके पर राज्य में किसानों के लिए बिरसा किसान योजना की शुरुआत की है | इसके तहत किसानों के लिए एक विशष्ट कार्ड बनाया जायेगा जिसका एक यूनिक आईडी रहेगा | जिसमें आधार कार्ड, मोबाईल और बचत खाता संख्या (डीबीटी के लिए) आदि अनिवार्य होंगे | किसानों का प्रज्ञा केन्द्रों में ई–केवाईसी किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल आधार संख्या वाले प्रमाणिक किसान ही पंजीकृत हैं | उसके बाद भूमि विवरण इंटरफेस के माध्यम से राजस्व विभाग के डेटाबेस से प्राप्त किया जाएगा |
यूनिक आईडी कार्ड किस तरह काम करेगा ?
बिरसा किसान के तरफ से किसानों को एक विशिष्ट आईडी कार्ड दिया जायेगा | जिसमें यूनिक बार कोड रहेगा | विशष्ट आईडी का उपयोग किसानों की पहचान के रूप में किया जाएगा | इस संख्या का उपयोग जिला कृषि पदाधिकारीयों एवं अन्य द्वारा विभिन्न योजनाओं जैसे बीज, कृषि उपकरण इत्यादि के तहत किसानों को लाभन्वित करने के लिए होगा | इस आईडी कार्ड में विभिन्न योजनाओं के तहत दिए जाने वाले लाभों की जानकारी संग्रहित रहेगी | यह जानकारी भी अलग से एक सर्वर में अपलोड और स्टोर की जाएगी |
खत्म होंगे बिचौलिये
बिरसा किसान की प्रकल्पना एक ही किसान को विभिन्न योजनाओं का लाभ देना है | साथ ही इस प्रक्रिया में बिचौलियों की भूमिका और फर्जी तरीके से लाभ उठा रहे लोगों की पहचान भी की जाएगी | अंतत: वास्तविक, गरीब किसानों को योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाएगा | किसानों को योजना का लाभ देने से पूर्व डीएओ द्वारा जाँच की जाएगी कि किसान को वर्तमान या पिछले वर्षों में समान लाभ प्राप्त हुआ है या नहीं | इस प्रकार डेटा बेस बनाया जायेगा तथा डाटा बेस का उपयोग हर वर्ष नए लाभार्थियों की पहचान करने और उन्हें शामिल करने के लिए किया जाएगा |
तीन चरणों में किया जायेगा उपयोग
बिरसा किसान के तहत बनाए जा रहे डेटा बेस से किसानों को तीन चरणों में जोड़ा जायेगा | प्रथम चरण में डेटाबेस का उपयोग विभाग के भीतर दोहराव आदि की जाँच के लिए किया जाएगा | दिव्तीय चरण में डेटा बेस का उपयोग विभिन्न विभागों और कृषि विभाग के बीच लाभुकों के दोहराव की जाँच के लिए किया जाएगा | तीसरे चरण में इसका उपयोग सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों के बीच लाभुक के दोहराव आदि की जाँच के लिए किया जाएगा | किसानों की भूमि के विवरण का डिजिटलीकरण, किसान द्वारा उत्पादित फसल का प्रकार, कुल उत्पादन आदि का आकंलन कर यूनिक आईडी में संग्रहित किया जाएगा | इसके अतिरिक्त फसल से संबंधित सलाह, बाजार, उत्पादन और नुकसान का आकलन भी होगा |
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Kati ho Bharat mata ki jai