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किसानों की आय बढ़ाने के लिए लेवेंडर, लेमन ग्रास एवं अन्य औषधीय पौधों की खेती को दिया जा रहा है बढ़ावा

Cultivation of lavender, lemon grass and other medicinal plants

लेवेंडर, लेमन ग्रास एवं अन्य औषधीय पौधों की खेती

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए बागवानी एवं औषधीय फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए नेशनल एरोमा मिशन योजना चलाई जा रही है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड द्वारा संचालित विभिन्न योजनांतर्गत औषधीय प्रजातियों के कृषिकरण कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके तहत वर्तमान में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु के अनुकूल प्रजातियों का चयन कर 1000 एकड़ से अधिक रकबा में औषधीय प्रजातियों की खेती का कार्य किया जा रहा है।

औषधीय पादप बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री जे.ए.सी. राव ने बताया कि नेशनल एरोमा मिशन योजना अंतर्गत राज्य में औषधीय एवं सुगंधित पादपों का कृषिकरण कार्य जारी है। इस मिशन योजनांतर्गत लेमनग्रास, सीकेपी-25 (नींबू घास) का कृषिकरण किया जा रहा है।

किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए दी जा रही है सहायता

औषधीय एवं सुगंधित प्रजातियों की खेती किसान आसानी से कर सके इसके लिए सरकार द्वारा कृषक समूह तथा किसानों को खेती की तकनीकी जानकारी, रोपण सामग्री की उपलब्धता तथा आश्वन मशीन उपलब्ध कराने जैसे हर तरह की मदद दी जा रही है। साथ ही औषधी पादप बोर्ड द्वारा विपणन कार्य हेतु पूर्व में भी योजनाबद्ध तरीके से उत्पादों को विक्रय करने हेतु विभिन्न संस्थानों से करारनामा किया गया है, जिससे कृषकों को अपने उत्पादों को विक्रय करने में कोई परेशानी न हो।

इन औषधीय फसलों की खेती को दिया जा रहा है बढ़ावा

सरकार ने वर्तमान में पायलट परियोजना अंतर्गत लेवेंडर की खेती के लिए छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में अम्बिकापुर, मैनपाट, जशपुर और रोजमेरी मध्य क्षेत्र बस्तर तथा मोनाड्रा सिट्रोडोरा का कृषिकरण कार्य को बढ़ावा देने के लिए चिन्हांकित किया गया है।

वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में 02 समूहों द्वारा कार्य किया जा रहा है, जिसमें पहला जिला महासमुंद अंतर्गत ग्राम-चुरकी, देवरी, खेमड़ा, डोंगरगांव, मोहदा व अन्य स्थानों पर कृषिकरण प्रारंभ किया जाकर आश्वन यंत्र के माध्यम से तेल को निकाला जा रहा है। वहां आश्वन यंत्र भी स्थापित किया गया है।

इसी तरह दूसरा समूह जिला गरियाबंद अंतर्गत प्रारंभ किया गया है। जिसमें बड़ी संख्या में किसानों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर वर्तमान में औषधीय एवं सुगंधित पादपों के कृषिकरण हेतु क्षेत्र का भ्रमण किया गया है। इनमें जिला धमतरी, बस्तर, पेण्ड्रा, दुर्ग के कृषकों के द्वारा 04 समूह तैयार कर निकट भविष्य में औषधीय एवं सुगंधित पादपों का कृषिकरण कार्य प्रारंभ किया जाएगा। बोर्ड द्वारा लेमनग्रास कृषिकरण के साथ जामारोज सीएन-5 प्रजाति का भी गत वर्ष में परीक्षण किया गया है, जिसे वर्तमान में बढ़ाया जा रहा है। लगभग 25 एकड़ में जामारोज सीएन-5 प्रजाति एवं 300 एकड़ से अधिक में लेमनग्रास का कृषिकरण किया जा रहा है।

किसानों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण

राज्य में औषधीय फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाई जा सके इसके लिए किसानों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। अभी आइ.आई.आई.एम. जम्मू से तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र बावरिया एवं श्री राजेन्द्र गोचर के द्वारा वर्ष भर क्षेत्र में भ्रमण कर कृषकों को कृषिकरण की तकनीकी जानकारी तथा क्षमता विकास हेतु सतत् रूप से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके माध्यम से कृषकों द्वारा कृषिकरण में होने वाली कठिनाईयों का समाधान किया जा रहा है।

वर्तमान में आइ.आई.आई.एम. जम्मू तथा कृषकों द्वारा स्वयं सात आश्वन यंत्र लगाया गया है। संचालक आइ.आई.आई.एम जम्मू डॉ. श्रीनिवास रेड्डी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को औषधीय एवं सुगंधित पौधों के कृषिकरण कार्य हेतु एक विशेष मॉडल बनाने की योजना है। साथ ही साथ मिशन अंतर्गत उक्त कार्य के संचालित होने से राज्य में स्थानीय स्तर पर चार से छह हजार परिवारों को आर्थिक लाभ प्राप्त होगा।

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