पपीते की खेती के लिए अनुदान एवं बैंक ऋण
देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान के साथ ही सस्ती दरों पर लोन भी उपलब्ध करा रही है। इसके लिए सरकार ने देशभर में “एक उत्पाद–एक जिला” कार्यक्रम शुरू की किया है। जिसमें जिले के अनुसार फसलों का चयन किया गया है और उसके अनुसार ही सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही है।
इस कड़ी में छत्तीसगढ़ के रायपुर ज़िले में पपीते का चयन किया गया है। जिसको लेकर रायपुर जिले में बड़े पैमाने पर पपीते की खेती के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहन एवं प्रशिक्षण दिए जाने की सिलसिला शुरू कर दिया गया है। यहाँ किसानों को उन्नत और रोग–प्रतिरोधी क्षमता वाले पपीते के पौधे उपलब्ध हो सके, इसके लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ हार्टिकल्चर बैंगलोर में विकसित “अर्का प्रभात” किस्म का पपीता का पौधा रायपुर लाया गया है। इसकी मदद से नर्सरी तैयार कर किसानों को रोपण के लिए अर्का प्रभात पौधा उपलब्ध कराए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
पपीते की उन्नत किस्म अर्का प्रभात की विशेषताएँ क्या है?
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ हार्टिकल्चर बैंगलोर द्वारा विकसित पपीता की नई प्रजाति अर्का प्रभात की विशेषता यह है कि यह स्पॉट वायरस रसिस्टेंट है। इसमें वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होने के कारण पौधा रोग–रहित रहता है। यह जानकारी 21 जुलाई को एक उत्पाद–एक जिला के तहत पपीता उत्पादन से पोषण की ओर विषय पर आयोजित कार्यशाला में दी गई। जिला पंचायत रायपुर के सीईओ श्री अविनाश मिश्रा के मार्गदर्शन उद्यानिकी विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र रायपुर द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन लाभाण्डी में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया।
किसानों को 50 फीसदी अनुदान के साथ ही दिया जा रहा है लोन
कार्यशाला में किसानों को पपीता की खेती के लिए प्रोत्साहित करते हुए उप संचालक उद्यानिकी श्री कैलाश सिंह पैकरा ने कहा कि इसकी खेती के लिए शासन द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान तथा बिना ब्याज के 3 लाख रुपये तक का ऋण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पपीता एक पौष्टिक फल है। इसकी पत्ती भी उपयोगी है। पपीते के स्वस्थ पौधे उद्यानिकी रोपणियों एवं कृषि केंद्रों पर भी उपलब्ध है। इसकी खेती के लिए विभाग के अधिकारियों एवं प्रक्षेत्र के कर्मचारियों द्वारा किसानों को जानकारी दी जा रही है।
पपीते से तैयार किए जा सकते हैं यह उत्पाद
वैज्ञानिक डॉ. नीरज मिश्रा ने किसानों को बताया कि पपीते में पौष्टिकता सबसे अधिक है और इस फल से अनेक प्रकार के प्रसंस्कृत उत्पाद बनाए जा सकते हैं जैसे जैम, जेली, कतरी, कैंडी आदि। इसके जूस एवं नेक्टर की भी अधिक डिमांड है। पपीते का पाउडर भी बनाया जा सकता है। पपीते का उत्पादन कर मंडी में बेचने के साथ ही किसान इसके प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर ध्यान दें तो अधिक लाभ कमा सकते हैं।
इस अवसर पर जिला व्यापार उद्योग श्री अमेय त्रिपाठी ने किसानों को पपीते की मार्केटिंग, कोल स्टोरेज में रख रखाव और प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसान इसका लाभ उठाकर अपना कारोबार को बढ़ा सकते हैं।
किसान इस तरह बचा सकते हैं पपीते को कीट रोगों से
वैज्ञानिक श्री मनोज कुमार साहू ने बताया कि पपीता की खेती को वायरस एवं बग्स से बचाने के लिए नीम के तेल के साथ शैंपू घोल कर छिड़काव किया जाना चाहिए। पपीते के पेड़ के आस–पास गेंदा फूल का पौधा लगाकर पपीते के पौधे को रोग से सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।
डॉ. अजय वर्मा, निदेशक, विस्तार सेवाएं रायपुर ने बताया कि ‘अर्का प्रभात’ किस्म के पपीते का पौधा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च बैंगलोर से लाए हैं। स्थानीय स्तर पर इसकी नर्सरी तैयार कर किसानों को पौधे उपलब्ध कराने की पहल शुरू की गई है।
Mujhe papita ki kheti karni hai
जी सर आप अपने यहाँ की सरकारी नर्सरी या उद्यानिकी विभाग से संपर्क करें।