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सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP तय करने के लिए इस तरह निकालती है फसलों की लागत

Cost for Minimum Support Price MSP of crops

फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP के लिए लागत

देश में किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए भारत सरकार हर साल रबी, खरीफ के साथ ही नगदी फसलों को मिलाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP की घोषणा करती है। सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले इन न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP में फसल उत्पादन में आने वाली लागत के साथ ही किसानों को दिए जाने मुनाफे को शामिल किया जाता है।

लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने फसलों की लागत में जोड़े जाने वाले अवयवों के साथ ही समर्थन मूल्य किस तरह तय किए जाते हैं इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी। सरकार ने अपने जवाब में बताया कि सरकार फसलों में आने वाली लागत का कम से कम 50 फीसदी मुनाफा किसानों को दे रही है।

इस तरह तय किया जाता है न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP

केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के द्वारा सुझाये गई बातों पर विचार करने के बाद ही गेहूं और धान सहित 22 अधिदेशित कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP का निर्धारण किया जाता है।

एमएसपी की सिफारिश करते समय सीएसीपी, समग्र मांग आपूर्ति की स्थितियां, उत्पादन लागत, घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय कीमतें, अंतर-फसल मूल्य समता, कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तें, भूमि, जल और अन्य उत्पादन संसाधनों का युक्तिसंगत उपयोग सुनिश्चित करने के अलावा, शेष अर्थव्यवस्था पर मूल्य नीति का संभावित प्रभाव और उत्पादन लागत पर न्यूनतम 50% लाभ पर विचार करने के बाद ही फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है।

फसलों की लागत में क्या-क्या जोड़ा जाता है?

न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करने के लिए सीएसीपी द्वारा फसल उत्पादन में आने वाली लागत जैसे मानव श्रम, बैल श्रम, मशीन श्रम, उर्वरक और खाद, बीज, कीटनाशक, सिंचाई, विविध लागतें जैसे फसल बीमा प्रीमियम, उपकरणों का किराया शुल्क, बिजली आदि, उत्पादन में खर्च की गई कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पट्टे पर दी गई भूमि के लिए भुगतान किया गया किराया, भू-राजस्व, उपकरणों और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, पारिवारिक श्रम का मूल्य और समग्र आदान मूल्य सूचकांक (सीआईपीआई) को शामिल किया जाता है। जिसके आधार पर आगामी विपणन मौसम के लिए फसलों की लागत का आँकलन किया जाता है।

अलग-अलग विभागों के द्वारा जिनमें सीआईपीआयी, श्रम ब्यूरो, राज्य सरकारों, आर्थिक सलाहकार कार्यालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई), भारतीय पटसन निगम, नारियल विकास बोर्ड, भारतीय चीनी मिल संघ, भारतीय कपास निगम, किसान संघ, किसान/किसान प्रतिनिधि आदि शामिल हैं, के द्वारा उपलब्ध कराये गए आँकड़ों के अनुसार प्रमुख आदानों के नवीनतम वास्तविक मूल्य रुझानों पर यह लागत निर्धारित की जाती है।

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