Home किसान समाचार खारे पानी वाले क्षेत्रों में दिया जाएगा झींगा पालन को बढ़ावा, विदेशों...

खारे पानी वाले क्षेत्रों में दिया जाएगा झींगा पालन को बढ़ावा, विदेशों में होगा निर्यात

jhinga palan and export

झींगा पालन को लेकर हुई समीक्षा बैठक

भारत में उत्पादन होने वाले झींगे की विदेशों में बहुत अधिक माँग है, खारे पानी में होने वाले झींगे का लगभग 65 फीसदी विदेशों को निर्यात किया जाता है। चीन-अमेरिका जैसे बड़े देश भारतीय झींगा बहुत पसंद करते हैं। जिसको देखते हुए सरकार झींगा उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रही है, जिससे देश के किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके। इसके पीछे एक और वजह ये भी है कि भारत में झींगा उत्पादन के लिए जिस जरूरी जमीन और पानी की जरूरत होती है वो बड़े पैमाने पर मौजूद है।

खास बात यह है कि झींगा उत्पादन ऐसी जगहों पर किया जाता हैं जहाँ खेती नहीं की जा सकती। सरकार के इस कदम से लोगों को रोजगार भी मिलेगा, साथ ही ऐसी जमीन का इस्तेमाल हो सकेगा जिस पर अनाज का एक दाना तक नहीं उगाया जा सकता है। सरकार के मुताबिक़ हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में खारे जल में झींगा उत्पादन किया जा सकता है।

25 जिलों को केंद्र में रखकर तैयार की जायेगी योजना

बुधवार को मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने झींगा उत्पादन के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और यूपी में खारे जल में झींगा पालन की समीक्षा के लिए एक बैठक आयोजित की। इसमें खारे पानी वाली जमीन के ज्यादा से ज्या्दा इस्तेमाल और उस पर झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए इस बैठक में राज्यों, आईसीएआर और अन्य एजेंसियों के सहयोग संबंधी प्रयासों पर चर्चा की गई। इसके लिए इन राज्यों में विशेष रूप से चिन्हित 25 जिलों में रोजगार और आजीविका उत्पन्न करने को लेकर झींगा पालन को अपनाने के साथ झींगा के उपभोग के लिए जागरूकता उत्पन्न करने पर विचार किया गया। 

झींगा उत्पादन के लिए दिया जाएगा प्रशिक्षण

समीक्षा बैठक में आईसीएआर-सीआईएफई रोहतक केंद्र एवं राज्य मत्स्य पालन विभागों के सहयोग से मत्स्य पालकों और उद्यमियों के लिए आईसीएआर-सीआईएफई रोहतक केंद्र तथा राजस्थान के चांदघोटी केवीके में कार्यशालाएं व प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।

साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि ताजे पानी/अंतर्देशीय तालाबों में सफेद झींगों के पालन के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा की जाएगी। आईसीएआर-सीआईएफई, रोहतक में उपलब्ध सुविधाओं को और बढ़ाने के लिए एक रोड मैप तैयार करने तथा टिकाऊपन और उत्तर भारतीय राज्यों में लवणीय जलीय कृषि के सतत विकास के लिए रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया जाएगा।

देश में होता है सबसे अधिक झींगे का उत्पादन

भारत दुनिया का पहला झींगा पालक उत्पादक है। मूल्य के लिहाज से भारत के कुल समुद्री भोजन निर्यात में झींगे का योगदान 65% से ज्यादा है। भारत में खारे पानी की जलीय कृषि और लवणता प्रभावित क्षेत्रों में झींगा जलीय कृषि की व्यापक संभावनाएँ हैं। भारत में खारे पानी वाले लगभग 1.2 मिलियन हेक्टेयर संभावित क्षेत्र हैं। इसके अतिरिक्त, तटीय क्षेत्रों में 1.24 मिलियन हेक्टेयर नमक से प्रभावित मिट्टी उपलब्ध है। आईसीएआर-सीआईबीए की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 8.62 मिलियन हेक्टेयर अंतर्देशीय लवणीय मिट्टी उपलब्ध है, लेकिन सिर्फ 1.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही खेती होती है। सरकार का लक्ष्य अतिरिक्त 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जलीय कृषि के अंतर्गत लाना है।

बता दें कि लवणता से प्रभावित क्षेत्र कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। लेकिन इन क्षेत्रों को जलीय कृषि क्षेत्रों में तब्दील करने की बहुत बड़ी संभावना है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों में संभावित अंतर्देशीय लवणीय क्षेत्रों को देखते हुए इन स्थानों पर आसानी से झींगा पालन किया जा सकता है। जिससे ना केवल यहाँ के लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि यहाँ के किसानों की आमदनी भी बढ़ाई जा सकती है।

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version