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अब नहीं बढ़ेंगे गेहूं के दाम, सरकार ने लगाई गेहूं के निर्यात पर रोक 

wheat export ban

गेहूं के भाव नियंत्रित करने के लिए निर्यात पर लगाई रोक 

रूस-यूक़्रेन युद्ध के चलते इस वर्ष देश से गेहूं के निर्यात में काफी वृद्धि हुई है, जिसके चलते देश में गेहूं के भाव लगातार बढ़ते जा रहे थे। इस वर्ष खुदरा बाजार में आटे का औसतन भाव 33.14 रुपए किलो हो गया है। जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने गेहूं के बढ़ते दामों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है। सरकार ने यह फैसला देश में बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत लिया है। सरकार ने कहा है कि गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने के निर्णय से खाद्यान्न की कीमतों पर नियंत्रण होगा, भारत और खाद्य पदार्थों की कमी वाले देशों की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।

सरकार के इस फ़ैसले से गेहूं की कीमतों में कमी आएगी, जो कि इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 40 फीसदी तक बढ़ चुकी है। इसके साथ ही घरेलू स्तर पर बीते एक साल में गेहूं के दाम में 13 फीसदी का उछाल आया है। जिसका असर किसानों पर पड़ेगा। रोक के बाद अब गेहूं की क़ीमतें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास पहुँचने की उम्मीद है। 

पड़ोसी और कमजोर देशों को किया जायेगा निर्यात

वाणिज्य सचिव श्री बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सभी निर्यात आदेश जहां ऋण पत्र जारी किया गया है, उन्हें पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी चैनलों के माध्यम से गेहूं के निर्यात को निर्देशित करने से न केवल हमारे पड़ोसी देशों और खाद्य की कमी का सामना करने वाले देशों की वास्तविक जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित होगा, बल्कि महंगाई की अटकलों पर भी नियंत्रण होगा। गेहूं की उपलब्धता के बारे में बात करते हुए श्री सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत की खाद्य सुरक्षा के अलावा, सरकार पड़ोसी देशों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

जमाखोरी रोकने के लिए लिया गया निर्णय

आदेश के बाद सरकार ने कहा कि निर्यात पर सरकार के आदेश में गेहूं मंडी को स्पष्ट दिशा दी जा रही है। श्री सुब्रह्मण्यम ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि गेहूं उन जगहों पर अनियंत्रित तरीके से जाए जहां इसकी जमाखोरी हो जाए या यह कमजोर देशों की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य की पूर्ति न करे। इसलिए सरकार से सरकार के बीच विंडो खुली रखी गई है।

अधिक गर्मी के चलते गेहूं उत्पादन में गिरावट का अनुमान

कृषि सचिव श्री मनोज आहूजा ने कहा कि इस वर्ष विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी भारत में गर्मी की लहरों ने गेहूं की फसलों को प्रभावित किया है, किंतु पिछले साल की तुलना में उपलब्धता में अंतर मामूली है। उन्होंने कहा, पिछले साल देश के लिए गेहूं के उत्पादन के आंकड़े 109 एलएमटी थे। इस साल फरवरी में, हम इस साल के उत्पादन के लिए उन्नत अनुमान लेकर आए हैं और हमने 111 एलएमटी का अनुमान लगाया है। इस वर्ष गेहूं उत्पादन का अनुमान 105-106 एलएमटी के आसपास है जो पिछले वर्ष की तुलना में कुछ कम है।

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