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कम वर्षा या सूखे की स्थिति में किसान इस तरह बढ़ायें मूंगफली की पैदावार

mungfali ka utpadan kaise badhaye

इस वर्ष देश के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश राज्य सूखे का सामना कर रहे हैं, ख़ासकर अगस्त महीने में हुई कम वर्षा ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। भूमि में नमी कम होने से दरारें आने लगी है। जिसके चलते फसलों के उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है। ख़ासकर मूँगफली की फसल पर इसका प्रभाव अधिक पड़ सकता है, क्योंकि इस समय ही फसल में फली बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।

मंदसौर कृषि विज्ञान केंद्र के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. जीएस चूण्डावत का कहना है कि मूँगफली की फ़सल में अभी फूल से फल बनने की अवस्था है यदि ऐसे में मिट्टी में नमी नहीं होगी तो मूँगफली की फसल में पेगिंग फार्मेशन नहीं हो पाएगा। जिससे ज़मीन में बनने वाली फलियों कि संख्या में गिरावट आ सकती है। जिसका सीधा असर मूँगफली की पैदावार पर पड़ेगा।

मूंगफली में फलियों की संख्या में आ सकती है गिरावट

अभी मूँगफली की फसल में बुआई के बाद 35-40 दिन बीत चुके हैं, यह अवस्था पुष्पावस्था से पेगिंग के होते हैं। इस समय पानी की कमी होने पर मूँगफली की उत्पादकता काफ़ी कम हो जाती है। इसलिए इस समय यदि वर्षा नहीं होती है तो किसानों को सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए। इस समय पेगिंग हो गई है तो पौधों के चारों ओर मिट्टी चढ़ाने का कार्य करने से फली का अच्छा विकास होता है और पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है।

इस समय मूँगफली की फसल में यदि बोरान की कमी दिखाई दे तो किसानों को 0.2 प्रतिशत बोरेक्स के घोल का छिड़काव करना चाहिए। साथ ही यदि फसल में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई दें तो उन्हें 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट और 0.25 प्रतिशत चुने का प्रयोग करना चाहिए।

इस तरह बढ़ा सकते हैं मूँगफली की पैदावार

किसानों को मूँगफली फसल की बुआई के 40 दिनों के बाद इंडोल एसिटिक एसिड 0.7 ग्राम को एल्कोहल (7 मि.ली.) में घोलकर 100 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए। फिर एक सप्ताह बार 6 मि.ली. इथराल (40 प्रतिशत) 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से मूँगफली की पैदावार में 15-27 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है।

इस तरह करें मूँगफली में कीट रोग का नियंत्रण

मूँगफली की फसल में कॉलर रॉट रोग लगने की संभावना रहती है इसके नियंत्रण के लिए फफूँदनाशक कार्बेंडाजिम या मैंकोजेब का प्रयोग करना चाहिए। वहीं मूँगफली में टिक्का रोग की रोकथाम के लिए खड़ी फसल पर जिंक मैंगनीज़ कार्बामेट 2.0 किलोग्राम या जिनेब 75 प्रतिशत की 2.5 किलोग्राम दवा को प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी में घोलकर 10 दिनों के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करना चाहिए।

वहीं यदि मूँगफली की फसल में दीमक कीट लग रहे हैं तो किसान दीमक के नियंत्रण हेतु फोरेट 10 जी की 10 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर या क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी की चार लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें।

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