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पराली नहीं जलाने पर किसानों को सरकार दे रही है अनुदान

parali na jalane par kisanoko anudan

पराली न जलाने पर किसानों को दिया जाने वाला अनुदान

देश में बढ़ते हुये वायुमंडल प्रदूषण पर देश के सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था तथा सभी राज्य और केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया था की किसानों पर क़ानूनी करवाई न करने की जगह उन्हें पराली नहीं जलाने के लिए प्रोत्साहन दिए जाने को कहा था | इसको लेकर अलग-अलग राज्य सरकार ने किसानों के बीच जागरूकता के साथ – साथ प्रोत्साहन  देना शुरू किया है |

पराली न जलाने पर अनुदान

इसी के तहत हरियाणा राज्य सरकार ने प्रदेश के किसानों को पराली नहीं जलाने पर प्रति किवंटल 100 रूपये का प्रोत्साहन दे रही है | इसके लिए राज्य सरकार ने किसानों को पहली प्रोत्साहन राशि दे दिया है | हरियाणा की मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनन्द अरोड़ा ने कहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार 6 नवंबर 2019 से अब तक पराली न जलाने के लिए प्रदेश के 143 छोटे एवं सीमांत किसानों को 100 रूपये प्रति क्विंटल की दर से 7 लाख 28 हजार 730 रूपये प्रोत्साहन राशि वितरित की जा चुकी है |

कृषि यंत्र का प्रयोग करने पर अनुदान

इसके अलावा राज्य सरकार ने किसानों पराली प्रबंध के लिए उपयोग किये गए कृषि यंत्रों पर भी 1000 रूपये का प्रोत्साहन राशि दे रही है | इसके बारे में केशनी आनन्द अरोड़ा ने बताया है कि जल्द ही किसानों के खेत का सर्वे कर के 1000 रूपये का प्रोत्साहन राशि किसानों को दे दिया जायेगा |

पराली प्रबंधन के लिए योजनाएं

नरवाई (पराली) प्रबंधन के लिए किसान को दो तरह के प्रबंधन करने को कहा गया है | एक है इन सीटू तथा दूसरा है एक्स सीटू पराली प्रबंधक योजना | इसके तहत किसान पराली को कृषि यंत्र से कटाकर भूसा बना लेते हैं  फिर उसी खेत में काटकर मिला देते हैं | इन सीटू विधि से पराली प्रबंधन 14,512 एकड़ भूमि को किया गया है तथा एक्स सीटू विधि से 15,066 एकड़ भूमि का पराली प्रबंधन किया गया है | यह सभी पराली से बनाये जा रहे भूसा को विभिन्न उद्योगों तथा गौशाला से सम्पर्क किया गया है | जिससे किसान का भूसा का सही इस्तेमाल हो सके |

इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले पराली कम जलाई गई हैं | इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले 31.07 प्रतिशत कम पराली जालाई गई हैं | सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यानि 6 नवम्बर 2019 से अब तक 64.55 प्रतिशत की गिरावट आयी है | धान की कटाई अंतिम चरण में रहने के कारण सभी शासकीय अधिकारीयों के एलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं | जिससे किसान खेतों में पराली नहीं जला पाये | इसके लिए गांव के सरपंचों , नोडल अधिकारी से सम्पर्क किया जा रहा है | इसके साथ ही सेटेलाईट से नजर भी रखी जा रही है | किसान समाधान भी किसानों से अपील करता हैं की धान के खेत की पराली को नहीं जलाये तथा वायुमंडल को प्रदूषण रहित बनाने में सहयोग करें |

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