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सरकार ने बढ़ाई पंजीयन सीमा, किसान समर्थन मूल्य पर मूंग एवं मूंगफली बेचने के लिए करा सकते हैं पंजीयन

MSP Mung and Mungfali khareed kisan panjiyan

मूंग एवं मूंगफली MSP पर बेचने के लिए किसान पंजीयन

देश में अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर खरीफ फसलों की खरीदी का काम चल रहा है। इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा किसानों से पंजीयन कराए जा चुके हैं। इसके बाद भी अधिक से अधिक किसानों को समर्थन मूल्य योजना का लाभ मिल सके इसके लिए राजस्थान सरकार ने मूंग एवं मूंगफली की पंजीकरण क्षमता को 90 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया है।

इस संबंध में राजफेड के प्रबंध निदेशक संदेश नायक ने जानकारी देते हुए बताया कि जिन केन्द्रों पर पंजीयन क्षमता पूर्ण हो चुकी है वहां 20 प्रतिशत अतिरिक्त पंजीयन सीमा बढ़ाई गई है। ऐसे में जो किसान अभी तक अपना पंजीयन नहीं करा पाए हैं वे किसान पंजीयन कराकर अपनी उपज को खरीद केंद्र पर बेच सकते हैं।

29 हजार से अधिक किसानों को मिलेगा लाभ

मूंग एवं मूंगफली की समर्थन मूल्य पर पंजीयन सीमा बढ़ाने से मूंग के लिए 12,731 एवं मूंगफली के लिए 17,025 किसानों को लाभ होगा। इस तरह कुल 29,756 अतिरिक्त किसान पंजीयन करवा सकेंगे। इसके बाद भी दलहन-तिलहन खरीद की कुल सीमा भारत सरकार द्वारा स्वीकृत लक्ष्य तक सीमित रहेगी। बता दें कि मूंग, उड़द, मूंगफली एवं सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर जारी खरीद में अब तक मूंग के लिए 32,945 किसानों द्वारा एवं मूंगफली के लिए 9,443 किसानों द्वारा पंजीकरण करवाया गया है।

प्रबन्ध निदेशक ने बताया कि अब तक 5584 किसानों से 11,487 मीट्रिक टन मूंग एवं मूंगफली की खरीद की जा चुकी है, जिसकी राशि लगभग 98 करोड़ रुपये है। उड़द एवं सोयाबीन के बाजार भाव समर्थन मूल्य दर से अधिक होने के कारण किसानों द्वारा समर्थन मूल्य पर यह फसलें समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए रुचि नहीं ले रहे हैं।

किसान इस तरह करें अपना पंजीयन

मूंग एवं मूंगफली समर्थन मूल्य खरीद योजना का लाभ लेने के लिए से ई-मित्र के माध्यम से आवश्यक दस्तावेज जैसे गिरदावरी, बैंक पासबुक, आधार-कार्ड के साथ अपना पंजीयन करा सकते हैं। पंजीयन के बाद किसानों को उनकी उपज तुलाई के लिए तारीख आवंटित की जाएगी।

किसान दलहन-तिलहन को सुखाकर तथा साफ-सुथरा कर वांछित नमी की मात्रा के अनुरूप तुलाई केन्द्रों पर ले जाएं। सरकार ने किसानों की समस्या के समाधान के लिए किसान हेल्पलाइन नम्बर 1800-180-6001 स्थापित किया हुआ है, जहाँ किसान सम्पर्क कर अपनी समस्या का निराकरण करवा सकते हैं। 

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