Home किसान समाचार अब खाद्यान्न एवं चीनी पैकेजिंग में जूट की बोरियों का करना होगा...

अब खाद्यान्न एवं चीनी पैकेजिंग में जूट की बोरियों का करना होगा उपयोग, 40 लाख किसान परिवारों को होगा फायदा

Jute Packaging

जूट की बोरियों में पैकेजिंग

देश में जूट की खेती करने वाले किसानों एवं जूट उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के लिए अच्छी खबर है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 8 दिसंबर के दिन पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग के लिए आरक्षण मानदंडों को मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडलीय समिति ने यह मंजूरी वर्ष 2023-24 के लिए जूट वर्ष यानि की 1 जुलाई 2023 से 30 जून 2024 तक के लिए दी है।

इस मंज़ूरी के बाद अब खाद्यान्न की शत प्रतिशत एवं 20 प्रतिशत चीनी की पैकिंग जूट की बोरियों में करना होगा। सरकार के इस निर्णय से आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा साथ ही देश में उत्पादन होने वाले जूट को संरक्षण मिलेगा। बता दें कि जूट पैकेजिंग सामग्री में पैकेजिंग के लिए आरक्षण से देश में उत्पादित कच्चे जूट का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा खपत होता है। योजना से देश के जूट मिलों व सहायक इकाइयों में कार्यरत चार लाख श्रमिकों के अलावा लगभग 40 लाख किसान परिवारों को लाभ मिलेगा।

इन राज्यों में है सबसे अधिक जूट उद्योग

भारत में जूट उद्योग विशेष तौर पर पूर्वी क्षेत्र यानी पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, मेघालय, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पूर्वी क्षेत्र, विशेषकर पश्चिम बंगाल के प्रमुख उद्योगों में से एक है। देश में जूट उद्योग चार लाख श्रमिकों और 40 लाख किसानों को सीधे रोजगार प्रदान करते हैं।

बता दें कि जूट उद्योग के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा जूट के थैले हैं, जिसमें से 85 प्रतिशत हिस्से को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) एवं राज्य खरीद एजेंसियों (एसपीए) को आपूर्ति की जाती है और शेष को सीधे निर्यात कर बेचा जाता है।

सरकार ख़रीदती है 12,000 करोड़ रुपए का जूट

भारत सरकार खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए हर साल लगभग 12,000 करोड़ रुपये मूल्य के जूट की बोरियां खरीदती है। यह कदम जूट किसानों एवं श्रमिकों की उपज के लिए गारंटीकृत बाजार सुनिश्चित करता है। जूट की बोरियों का औसत उत्पादन लगभग 30 लाख गांठ (9 लाख मीट्रिक टन) है और सरकार जूट किसानों, श्रमिकों तथा जूट उद्योग में लगे लोगों के हितों की रक्षा के लिए जूट की बोरियों के उत्पादन को ख़रीदती है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version