Home किसान समाचार खेती की नई तकनीक सीखने के लिए किसानों को भेजा जाएगा विदेश

खेती की नई तकनीक सीखने के लिए किसानों को भेजा जाएगा विदेश

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kheti ki nai taknik sikhne ke liye kisan ko bheja jayega videsh

किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीकों से अवगत कराने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि किसान की समृद्धि के बिना देश और प्रदेश समृद्ध नही हो सकते। किसानों की आय बढ़ाने के लिए परंपरागत खेती में बदलाव लाना होगा। बदलते हुए जमाने में किसानों को आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए खेती करनी होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को उन देशों में भेजेगी जहां पर खेती की उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर खेती की जाती है। वहां से खेती के नए तौर तरीके सीख कर हमारे किसान भाई अपनी उपज बढ़ा सकेंगे। यह बात मुख्यमंत्री ने सोमवार को कोटपुतली-बहरोड़ जिले के ग्राम भांकरी में संशोधित पार्वती-काली सिंध-चंबल लिंक परियोजना (एकीकृत ईआरसीपी) में विराटनगर क्षेत्र को शामिल करने पर आयोजित आभार एवं अभिनंदन समारोह के दौरान कही।

6 महीने में सरकार ने पूरे किए 45 प्रतिशत वादे  

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरकार बनते ही मात्र 6 महीने के अल्प समय में संकल्प पत्र के 45 प्रतिशत वादे पूरे कर दिए हैं। इस दौरान किसानों और पशुपालकों को खुशहाल बनाने के लिए राज्य सरकार ने कई फैसले किए हैं। गेहूं की एमएसपी पर 125 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस देने, मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के साथ 2 हजार रुपये अतिरिक्त सालाना देने तथा पशुपालकों को किसान गोपाल क्रेडिट कार्ड जारी करने जैसे फैसले किए हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश में 80 हजार से अधिक किसानों को 350 करोड़ रुपये का अल्पकालीन फसली ऋण दिया गया है। साथ ही लघु एवं सीमांत किसानों को मुफ्त बीज किट भी दिए जा रहे हैं।

पानी की समस्या को दूर करने के किए जाएंगे प्रयास

मुख्यमंत्री ने कहा कि फसलों के लिए पानी की कमी किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। प्रदेश का भूमिगत जल स्तर काफी नीचे चला गया है। इसलिए हमारी सरकार प्रदेश में पानी के संकट को दूर करने के लिए प्राथमिकता से काम कर रही है। उन्होंने बताया कि पार्वती-काली सिंध-चंबल लिंक परियोजना (एकीकृत ईआरसीपी) के लिए केन्द्र सरकार एवं मध्यप्रदेश के साथ एमओयू किया गया है। एमओयू में रास्ते में आने वाले बांधों में जल भरे जाने का प्रावधान है। परियोजना में अतिरिक्त बांध जोड़े जाने हेतु प्राप्त प्रस्तावों की भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाई जा रही है। वह दिन दूर नहीं जब पूर्वी राजस्थान में पानी की कोई कमी नहीं रहेगी। इस परियोजना से कोटपूतली-बहरोड़ सहित प्रदेश के 21 जिलों को पानी मिलेगा।

छितोलीं, जवानपुरा धाबाई एवं बुचारा बांध एकीकृत ईआरसीपी में शामिल

मुख्यमंत्री ने कहा कि विराटनगर एक पौराणिक और ऐतिहासिक नगर है। इस क्षेत्र की खुशहाली और समृद्धि के लिए सरकार इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करेगी। उन्होंने कहा कि संशोधित पीकेसी परियोजना (एकीकृत ईआरसीपी) में कोटपूतली-विराटनगर क्षेत्र के तीन बड़े बांधों छितोलीं, जवानपुरा धाबाई एवं बुचारा बांध को जोड़ने से इस क्षेत्र की पानी की समस्या दूर होगी।

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