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धान की अधिक पैदावार के लिए किसान इस तरह करें यूरिया, डीएपी एवं पोटाश का छिड़काव

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धान की खेती के लिए खाद-उर्वरक

खरीफ धान की तैयारी मानसून के आगमन के साथ ही शुरू हो गई है और खेत की तैयारी के साथ ही खाद एवं उर्वरक की व्यवस्था के लिए राज्य सरकारों द्वारा पर्याप्त मात्रा में यूरिया, डीएपी और पोटाश की मांग अनुसार भण्डारण भी किया जा रहा है। कई किसानों ने उर्वरक खरीद कर रख भी लिए हैं। धान की खेती में मुख्यतः तीन प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिसमें नाइट्रोजन (नत्रजन), दूसरा फास्फोरस एवं तीसरा पोटाश प्रमुख है।

जिसमें प्रथम नत्रजन, जिसका कार्य है जड़, तना, पत्ती की वृद्धि और विकास में सहायक। दूसरा फास्फोरस जिसका कार्य है बीज और फलों का विकास तथा पौधों में पुष्पन व जड़ों के विकास के लिये सहायक एवं तीसरा पोटाश पौधों द्वारा प्रकाश के उपयोग में वृद्धि करता है तथा ठंडक और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों जिसमें कीट व्याधियां भी शामिल है, को सहन करने की क्षमता को बढ़ाता है।

इन तीन पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए आवश्यक उर्वरक

किसान फसलों के लिए आवश्यक इन पोषक तत्वों की पूर्ति निम्न खादों का छिड़काव करके कर सकते हैं।

  • नत्रजन (नाइट्रोजन) के लिए यूरिया,
  • फास्फोरस  के लिए डीएपी या सिंगल सुपर फास्फेट, 
  • पोटाश के लिए म्यूरेट आफ पोटाश, 
  • एनपीके के लिए मिश्रित उर्वरक।

मिट्टी परीक्षण के अनुसार करें खाद का उपयोग

किसान अपने खेत की मिट्टी की जाँच पहले करवा लें ताकि मिट्टी मौजूद पोषक तत्व एवं उनकी कमी के बारे में जान सकें। धान फसल के अधिक उत्पादन के लिए उर्वरक का साझेदारी पूर्वक उपयोग मिट्टी परीक्षण स्वास्थ्य कार्ड में अनुशंसित उर्वरक मात्रा अनुसार करना चाहिए। साथ ही सही समय व सही मात्रा में खाद का उपयोग करने से उच्च गुणवत्तायुक्त फसल प्राप्त होती है।

धान में कब कितनी खाद का छिड़काव करें

सामान्य तौर पर धान के खेत की तैयारी से लेकर धान के कंसे निकलते समय तक उर्वरकों की मात्रा जिसमें नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश की आवश्यकता फसल बढ़वार लिये होती है। इसके लिये जुताई के समय 6 से 8 क्विंटल वर्मी, सुपर कम्पोस्ट खाद को खेत में मिलाने से खेत की भौतिक दशा बहुत अच्छी हो जाती है। उसके बाद धान फसल की खेत की तैयारी के उपरांत धान के अवस्था अनुरूप खाद का उपयोग करने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।

खाद का उपयोग धान की किस्मों के अनुसार किसानों को करना चाहिए। जिसमें जल्दी पकने वाली किस्में, मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में तथा सुगंधित धान वाली क़िस्में शामिल हैं। 

शीघ्र पकने वाली धान की किस्मों में उर्वरक का प्रयोग

जल्दी पकने वाली किस्में के लिए खेत की तैयारी के समय उर्वरक प्रति एकड़ मात्रा खेत में मिलाने के लिये 24 किलोग्राम नत्रजन (स्त्रोत के रूप में 1 बोरी यूरिया) 24 किलोग्राम फास्फोरस (जिसके लिये यदि डीएपी उपलब्ध हैं तो 1 बोरी तथा डीएपी उपलब्ध नहीं है तो 3 बोरी सिंगल सुपर फास्फेट व 24 किलोग्राम पोटाश जिनकी पूर्ति आधा बोरी पोटाश के माध्यम से उपरोक्त पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है।
धान में खेत की तैयारी के बाद कंसे निकलते तक किसी भी प्रकार का खाद नहीं डालना चाहिए। जब फसल 45-50 दिन बाद धान में कंसे फूटने लगे तब 24 किलोग्राम नत्रजन जिनके लिए 1 बोरी यूरिया पुन: पत्तियों पर छिड़काव करना चाहिए।

मध्यम अवधि में पकने वाली धान किस्मों में उर्वरक का प्रयोग

मध्यम पकने वाली किस्में के लिए खेत की तैयारी के समय उर्वरक प्रति एकड़ मात्रा खेत में मिलाने के लिये 30 किलोग्राम नत्रजन स्त्रोत के रूप में 2 बोरी यूरिया, 24 किलोग्राम फास्फोरस (जिसके लिये यदि डीएपी उपलब्ध हैं तो 1 बोरी एवं डीएपी उपलब्ध नहीं है तो 2 बोरी सिंगल सुपर फास्फेट व 24 किलोग्राम पोटाश (जिनकी पूर्ति आधा बोरी पोटाश के माध्यम से पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है।
धान में खेत की तैयारी के बाद कंसे निकलते तक किसी भी प्रकार का खाद नहीं डालना चाहिए। जब फसल 45-50 दिन बाद धान में कंसे फूटने लगे तब 30 किलोग्राम नत्रजन जिनके लिए 2 बोरी यूरिया पुन: पत्तियों पर छिड़काव करना चाहिए।

सुगंधित धान में कितना उर्वरक का प्रयोग करें

सुगंधित एवं बौनी किस्मों के लिए जो किस्म देर पकने वाली है, उसके लिये प्रति एकड़ खेत में 48 किलोग्राम नत्रजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस और 24 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। जिसके लिये 2 बोरी यूरिया, 3 बोरी सिंगल सुपर फास्फेट व 1 बोरी पोटाश की आवश्यकता होती है।  
वहीं जल्दी और मध्यम पकने वाली किस्मों में प्रति एकड़ भूमि में 48 किलोग्राम नत्रजन, 12 किलोग्राम फास्फोरस और 12 किलोग्राम पोटाश का छिड़काव करें। जिसके लिये ढाई बोरी यूरिया, 2 बोरी सिंगल सुपर फास्फेट व आधा बोरी पोटाश की आवश्यकता होती है।

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