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किसान अधिक मुनाफे के लिए इस गर्मी के मौसम में लगाएं सूरजमुखी की यह नई उन्नत किस्में

Summer Surajmukhi ki Kheti in hindi

देश के कई हिस्सों में किसान अतिरिक्त आमदनी के लिए रबी सीजन के बाद गर्मी में खाली पड़े खेतों में मूँग, उड़द सहित अन्य फसलों की खेती करते हैं। इसके साथ ही सरकार भी किसानों को गर्मी के मौसम में ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है। ऐसे में किसान अधिक मुनाफे के लिये तिलहन क्षेत्र की महत्वपूर्ण फसल सूरजमुखी की खेती कर सकते हैं।

सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी खेती के रूप में किया जाता है। सूरजमुखी देखने में जितना खूबसूरत होता है, स्वास्थ्य के लिए उससे कहीं ज्यादा फायदेमंद भी होता है। इसके फूलों व बीजों में कई औषधीय गुण छिपे होते हैं। सूरजमुखी के बीज में खाने योग्य तेल की मात्रा 48 से 53 प्रतिशत तक होती है। इसकी खेती किसी भी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। सामान्यतः किसानों को गर्मी के मौसम में 15 मार्च तक इसकी बुआई कर देनी चाहिए पर किसान जल्दी तैयार होने वाले क़िस्मों की बुआई इसके बाद तक भी कर सकते हैं।

यह हैं सूरजमुखी की उन्नत किस्में

देश में विभिन्न कृषि संस्थानों के द्वारा अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों के लिए सूरजमुखी की अलग- अलग किस्में विकसित की गई है। किसान इन किस्मों में से अपने क्षेत्र के लिए अनुकूल किसी भी उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर सकते हैं। इन किस्मों में सूरज मुखी की उन्नत संकर किस्में जैसे बी.एस.एच. -1, एल.एस.एच -1, एल.एस.एच -3, के.वी.एस.एच.-1, के.वी.एस.एच.-41, के.वी.एस.एच.-42, के.वी.एस.एच.-44, के.वी.एस.एच.-53, के.वी.एस.एच.-78, डी.आर.एस.एच. -1, एम.एस.एफ.एच.-17, मारुति, पी.एस.एफ.एच.-118, पी.एस.एफ.एच.- 569, सूर्यमुखी, एस.एच.-332, पी.के.वी.एस.एच. -27, डी.एस.एच.-1, टी.सी.एस.एच.-1 एवं एन.डी.एस.एच.-1 आदि शामिल है।

किसान संकर प्रजाति के लिए 5 से 6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा संकुल प्रजाति का स्वस्थ्य बीज 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का उपयोग बुआई के लिए कर सकते हैं। बुआई से पहले बीज को कार्बेंडाजिम की 2 ग्राम अथवा थीरम की 2.5 ग्राम मात्रा से बीज का उपचार करना चाहिए।

सूरजमुखी में कितना खाद डालें

सामान्यतः सूरजमुखी की फसल में उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। मृदा परीक्षण न होने की दशा में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश एवं 200 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय कुंडों में डालें। इसकी बुआई के 15-20 दिनों बाद खेत से अवांछित पौधों को निकालकर पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी कर लें और उसके बाद सिंचाई करें। इसके साथ ही किसान सूरजमुखी व उड़द की अंतर्वर्ती खेती कर सकते हैं इसके लिए सूरजमुखी की दो पंक्तियों के बीच उड़द की दो से तीन पंक्तियाँ लेना उत्तम रहता है।

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