Home विशेषज्ञ सलाह कम लागत में अधिक उत्पदान के लिए किसान इस तरह करें चने...

कम लागत में अधिक उत्पदान के लिए किसान इस तरह करें चने की बुआई

chana ke adhik utpadan ke liye yah kaam kare

चने की बुआई के लिए सलाह

रबी सीजन में चने की बुआई शरू हो गई हैं कई किसान बुआई कर चुके हैं वहीँ कई किसान अभी चने की बुआई शुरू करने वालें हैं | किसान कम लागत में अधिक उत्पादन कर सके इसके लिए समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सलाह दी जाती है इसके आलावा कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विभाग एवं कृषि महाविद्यालय में इच्छुक किसानों को प्रशिक्षण एवं जानकारी दी जाती है जिसका लाभ लेकर किसान कम लागत में अधिक उत्पादन कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं  | किसान भाई यह ध्यान में रखें की इस वर्ष चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य अर्थात चने की सरकारी खरीद 4,875 रुपये प्रति क्विंटल पर की जानी है |

चने की बुआई के समय यह कार्य करें

कृषि वैज्ञानिक द्वारा चने में कतार में बुआई करने एवं पौध से पौध की दूरी 50×20 से.मी. रखने को किसानों को कहा है | छोटे दाने का 75-80 किग्रा० प्रति हेक्टर तथा बड़े दाने की प्रजाति का 90-100 किग्रा०/हेक्टर का प्रयोग कर सकते हैं। चने की निपिंग बोआई के 30 दिन बाद करना लाभदायक रहता है तथा चने को अधिक पानी की जगह सिमित मात्रा में पानी दिए जाने से उत्पादन अधिक होता है |

चने की खेती में सबसे पहले चने के बीजों को लेकर उसका बीजोपचार करना चाहिए | बीज का उपचार करने के लिए सर्वप्रथम फफूंदनाशक,  राइजोबियम,  ट्रायकोडर्मा से उपचार करना उचित होता है। जिससे चने का उत्पादन अधिक होगा। राइजोबियम कल्चर से बीज को उपचारित करने के बाद धूप में नहीं सुखाना चाहिए ओर जहाँ तक सम्भव हो सके, बीज उपचार दोपहर के बाद करना चाहिए ताकि बीज शाम को ही अथवा दूसरे दिन प्रातः बोया जा सके।

चने की नई विकसित उन्नत किस्में

सभी प्रजातियों के लिए 20 किग्रा० नत्रजन, 60 किग्रा० फास्फोरस, 20 किग्रा० पोटाश एवं 20 किग्रा० गन्धक का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से कूड़ों में करना चाहिए। संस्तुति के आधार पर उर्वरक प्रयोग अधिक लाभकारी पाया गया है। असिंचित अथवा देर से बुआई की दशा में 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का फूल आने के समय छिड़काव करें। लागत कम करने के लिए किसानों को स्वयं के द्वारा ही घर पर ही कम लागत में ट्रायकोडर्म (मित्र कवक), स्यूडोमोनास (मित्र जीवाणु) के उत्पादन करना चाहिए ।

किसान भाईयों से पराली न जलाकर उसमें ट्रायकोडर्म, वेस्ट डिम्पोसर से उपचारित कर खेत में ही उसका उपयोग खाद के रूप में उपयोग करने की सलाह दी गई । कृषकों से अनुरोध किया कि वे जैविक पद्धति से खेती को बढ़ावा दें। जिससे मृदा एवं स्वयं का स्वास्थ्य बना रहे। घर की बाड़ी मं साग सब्जी अवश्य लगाएं जिससे परिवार के सदस्यों की पोषक तत्व अधिक मात्रा में मिल सके।

किसान समाधान के YouTube चेनल की सदस्यता लें (Subscribe)करें

Notice: JavaScript is required for this content.

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version