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गेहूं की शरबती एवं आम की सुंदरजा क़िस्म को मिला जीआई टैग, देश विदेश में माँग बढ़ने से किसानों को होगा लाभ

Sharbati wheat and Sundaraja mango got GI tag

शरबती गेहूं एवं सुंदरजा आम को मिला जीआई टैग

कौन से उत्पाद की उत्पत्ति किस स्थान से हुई है यह जानकारी जियोग्राफिकल इंडिकेशंस (जी.आई.) टैग से पता की जा सकती है। जी.आई. टैग से किसी भी उत्पाद को बाजार में एक नई पहचान मिलती है जिससे उसकी बाजार में माँग बढ़ती है इसका लाभ सीधे उस स्थान विशेष को होता है जहां से उत्पाद की उत्पत्ति हुई है। मध्यप्रदेश का सुप्रसिद्ध शरबती गेंहू अब देश की बौद्धिक संपदा में सम्मिलित हो गया है। कृषि उत्पाद श्रेणी में शरबती गेंहू सहित रीवा के सुंदरजा आम को हाल ही में जीआई रजिस्ट्री द्वारा पंजीकृत किया गया है।

हाल ही में मध्य प्रदेश के शरबती गेहूं सहित 9 उत्पाद जीआई टैग के लिए पंजीकृत किए गए हैं।जिसमें खाद्य सामग्री श्रेणी में मुरैना गजक ने जीआई टैग प्राप्त किया है। हस्तशिल्प श्रेणी में प्रदेश की गोंड पेंटिंग, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, डिंडोरी के लोहशिल्प, जबलपुर के पत्थर शिल्प, वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी तथा उज्जैन के बटिक प्रिंट्स को शामिल है।

सीहोर एवं विदिशा ज़िले में होती है शरबती गेहूं की खेती

शरबती गेंहू मध्य प्रदेश के सीहोर और विदिशा जिलों में उगाई जाने वाली गेंहू की एक क्षेत्रीय किस्म है जिसके दानों में सुनहरी चमक होती है। इस गेंहू की चपाती में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी और ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शरबती गेंहू को आवेदन क्रमांक 699 के संदर्भ में जीआई टैग जारी किया गया है।

रीवा में होता है सुंदरजा आम का उत्पादन 

आम की सुंदरजा किस्म का उत्पादन मुख्यतः रीवा जिले में होता है। रीवा का सुंदरजा आम अपनी अनूठी सुगंध और स्वाद के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है। कम चीनी और अधिक विटामिन ई की वजह से यह आम मधुमेह रोगियों के लिए भी हितकारी होता है। सुंदरजा आम को आवेदन क्रमांक 707 के संदर्भ में जीआई टैग प्राप्त हुआ है।

सुंदरजा आम और मुरैना गजक को दिनांक 31 जनवरी 2023 को जीआई प्रमाणपत्र जारी किया गया है। शरबती गेंहू और गोंड पेंटिग के जीआई प्रमाणपत्र दिनांक 22 फरवरी 2023 को जारी किया गये हैं। डिंडोरी की लोहशिल्प, उज्जैन के बटिक प्रिंट्स, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी और जबलपुर के पत्थर शिल्प के प्रमाणपत्र दिनांक 31 मार्च 2023 को जारी किए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार होता है जिसमें किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता एवं महत्ता उस स्थान विशेष के भौगोलिक वातावरण से निर्धारित की जाती है। इसमें उस उत्पाद के उत्पत्ति स्थान को मान्यता प्रदान की जाती है।

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