Home विशेषज्ञ सलाह ग्राफ्टिंग विधि से सब्जी उत्पादन

ग्राफ्टिंग विधि से सब्जी उत्पादन

ग्राफ्टिंग विधि से सब्जी उत्पादन

अभी तक आपने बहुवर्षीय फलों, फूलों एवं वृक्षों की ग्राफ्टिंग के विषय में सुना होगा परन्तु अब सब्जियों में भी ग्राफ्टिंग संभव है |  बहुवर्षीय फल – वृक्षों के विपरीत, सब्जियों में ग्राफिटंग का उपयोग एक नवाचार है | चूंकि आमतौर पर उत्तम उत्पादन व गुणवत्ता की क्षमता वाली व्यावसायिक किस्में सामान्य दशा में तो अच्छी चलती हैं परंतु किसी विशेष प्रतिकूल परिस्थिति (जैविक व अजैविक कारकों) होने पर इनकी उत्पादन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है अर्थात इनका उत्पादन कम होता है |

इस दशा में इन किस्मों के तने (शांकुर  – ऊपरी भाग) को प्रतिकूल परिस्थति के प्रति उपयुक्त कठोर या असहिष्णु चयनित किस्म (मूलवृंत देशी / जंगली या विशेष परिस्थिति के प्रति तैयार किस्म) के तने के ऊपर ग्राफ्टिंग प्रक्रिया द्वारा पौधों की शुरूआती अवस्था में जोड़ा जाता है | इस तरफ तैयार पौधों में दोनों पौधों के विशिष्टतम गुण आ जाते हैं और इसमें प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है तथा इनके कारण उन परिस्थितियों में भी उत्पादन व गुणवत्ता में अपेक्षाकृत कमी कम होती है |

ग्राफ्टिंग के लिए उपयुक्त सब्जियां

ग्राफ्टिंग पद्धति टमाटर कुल की सब्जियों जैसे टमाटर, बैंगन, मिर्ची तथा कद्दू वर्गीय सब्जियों जैसे खीर, खरबूजा, तरबूज व करेला में काफी उपयुक्त पायी गयी हैं | खासकर पालीहॉउस में जहां मृदा जनित व्यधएं जैसे फफूंद, सूत्रकृमि आदि की समस्या काफी अधिक होती है | के लिए ग्राफ्टिंग एक कारगर तकनीक के रूप में उभर के आई है |

यह एकीकृत फसल प्रबंधन का एक प्रमुख अंग कहलाती है क्योंकि विशिष्ट मूलवृंत पर तैयार ग्राफ्टेड पौधों के इस्तेमाल से काफी हद तक रसायनों के इस्तेमाल में भी कमी की जा सकती है | ग्राफ्टेड पौधें तैयार करना मुश्किल काम नहीं है बस इसमें कुछ विशेष सावधानी रखने की जरूरत पड़ती है, जैसे सही शांकुर किस्म व मूलवृंत का चुनाव, उचित बीज बुआई समय तथा समय पर ग्राफ्टिंग प्रक्रिया, ग्राफ्ट जोड़ सफल होने के लिए उचित तापक्रम व नमी बनाए रखना, कठोरीकरण व्यवस्था आदि |

इस दिशा में काजरी में हुए शोध में खीरे को कद्दू, लौकी, फिग – लीफ गार्ड के मूलवृंत पर सफलतापूर्वक (90 – 95 प्रतिशत) ग्राफ्ट किया गया है , और इसमें फिग – लीफ गार्ड के मुलवृंत पर ग्राफ्ट करने से सामन्य दशा में खीरे की अगेती उपज में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है | इसके अलावा टमाटर में गर्मी (40 डिग्री सेन्टीग्रेट तापक्रम से कम) के प्रति कठोरता पाई गयी है | ईएसआई प्रकार भारतीय बागवानी एवं भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र (बेंगलुरु व वाराणसी) में हुए शोधों में बैंगन पर ग्राफ्ट करने से टमाटर के पौधों में जलमग्नता के प्रति सहनशीलता अधिक पायी गयी |

“प्लग ट्रे” सब्जी उत्पादन की आधुनिक तकनीकी

Notice: JavaScript is required for this content.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version