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किसानों को कृषि की नई तकनीकें सिखाने के लिए राज्य में खोली जाएँगी 100 कृषक पाठशाला

krashak pathshala

कृषक पाठशाला

कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों को बढ़ावा देने एवं किसानों को इससे अवगत कराने के लिए समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है | इसके तहत झारखंड सरकार ने किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए बिरसा विकास योजना की शुरुआत की है | इस योजना के तहत किसानों को कृषि के सभी क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा | प्रशिक्षण के बाद किसानों को तकनीक के साथ खेती करने के लिए आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी |

झारखंड राज्य में 75 प्रतिशत आबादी गाँव पर निर्भर हैं, इसमें 54.20 प्रतिशत के साथ फसल उत्पादन में प्रमुख उपक्षेत्र बना हुआ है। राज्य की अर्थव्यवस्था में रोजगार और आजीविका सृजन करने में कृषि की काफी अधिक हिस्सेदारी है। इसको और गति देने की प्राथमिकता के साथ सरकार किसानों को उन्नत खेती हेतु प्रोत्साहित करेगी।

किसानों को इन विषयों पर दिया जायेगा प्रशिक्षण

कृषक पाठशाला के माध्यम से कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग द्वारा कृषकों को क्षमता विकास एवं प्रत्यक्षण पर वैज्ञानिक विधि से प्रशिक्षित किया जाएगा। कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग तथा सरकार के अन्य विभागों के बीच योजनाओं का लक्षित अभिसरण तय किया गया है। उसमें क्लस्टर आधारित बिरसा गांव में मलचिंग तकनीक द्वारा सिंचाई सुविधा विकसित करना, फॉरवर्ड लिंकेज सेवा के माध्यम से लाभुक कृषकों को आर्थिक सुदृढीकरण प्रदान करना है। साथ ही फसल की कटनी के उपरांत आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना है, ताकि उत्पाद को सुरक्षित रखा जा सके। वहीं कृषकों को कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग एवं अन्य दूसरे सरकारी विभागों की योजनाओं के बारे में जागरूक करना भी उसमें शामिल है।

कितने पाठशाला खोला जाएगा ?

समेकित बिरसा विकास योजना के मांडल के पहले चरण में 17 कृषक पाठशाला राज्य के विभिन्न कृषि प्रक्षेत्रों में विकसित की जाएगी | फिर अगले तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से 100 कृषक पाठशाला विकसित की जाएगी | प्रत्येक कृषक पाठशाला में 3 से 5 बिरसा गाँव को क्लस्टर एप्रोच के अन्तर्गत आच्छदित किया जाएगा | कृषक पाठशाला में बिरसा गाँव के किसानों को 50–100 किसान प्रति गाँव क्षमता विकास कर प्रशिक्षण एवं टिकाऊ खेती के बारे में वैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षित किया जाएगा |

ऐसी होगी कृषक पाठशाला

कृषि, पशुधन एवं मत्स्य उत्पादन हेतु प्रत्यक्षण 10 एकड़ क्षेत्र में उच्च मूल्य वाली कृषि फसलों का कृषि कार्य किया जाएगा | 7.5 एकड़ क्षेत्र में फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा | 50 बकरी, 25 सूअर, 500 वाँयलर चिक्स, 400 लेयर चिक्स, 500 बत्तख एवं 10 गाय का पालन किया जाएगा | जिसके लिए सहेज, फ्लोर, यूरिन टैंक एवं फाँडर का निर्माण किया जाएगा | मल्चिंग की तकनीक अपनाते हुए मैक्राएरिगेशन की व्यवस्था भी होगी | सिंचाई हेतु कृषक पाठशाला में जेनरेटर के साथ बाँवेल शेड डिलीवरी एवं समरसेबुल की व्यवस्था, 1,लाख वर्ग फीट का पाँली हाउस का निर्माण, मधुमक्खी पालन हेतु 100 बाक्स का निर्माण, 10 किलो प्रतिदिन मसरूम उत्पादन की क्षमता का विकास, 2 एकड़ क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन का कार्य किया जाएगा |

किसानों को प्रशिक्षण कौन देगा ?

बिरसा विकास योजना के तहत राज्य में कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए कृषि, उद्यान, पशुपालन एवं मत्स्य से संबंधित विशेष एजेन्सी को सूचीबद्ध किया जाएगा | साथ ही कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए 3–4 सदस्यीय राज्य स्तर पर पीएमयू का गठन किया जाएगा | कार्यकारणी एजेन्सी एवं गठित पीएमयू को कार्य एवं दायित्व दिया जाएगा | सफलता पूर्वक कृषक पाठशाला की स्थापना के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य एवं प्रत्यक्षण जो कृषि, पशुधन एवं मत्स्य इत्यादि से संबंधित होगा, उसे एजेंसियों के द्वारा सम्पादित किया जाएगा |

किसानों को प्रशिक्षण के बाद दी जायेगीं यह सुविधाएँ

किसानों को प्रशिक्षण के बाद विभिन्न प्रकार के सुविधाएं दी जाएँगी, जिससे किसान अत्याधुनिक तरीके से काम कर सके | उत्पादित वस्तुओं को कृषक पाठशाला के माध्यम से सप्लाई चेन, कस्टम हायरिंग सेंटर एवं मार्केट लिंकेज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी | सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं का अभिश्रण किया जाएगा | क्लस्टर आधारित मलचिंग सुविधा, ड्रीप एरिगेशन, बाँवेल, रोड, डिलीवरी पाईप, समरसेबुल पम्प, कैरेट एवं अन्य स्टोरेज सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी |

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