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फसलों को कीट, रोग एवं खरपतवार से बचाने के लिए सरकार जैविक एवं रासायनिक दवाओं पर देगी अनुदान

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कीट-रोग एवं खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुदान

फसलों में समय-समय पर लगने वाले कीट-रोग एवं खरपतवार लगते हैं। मौसम तथा जलवायु में परिवर्तन के साथ ही इसमें तेजी देखी जा रही है। कीट-रोग के कारण फसलों के उत्पादन में 10 से 20 प्रतिशत तक की कमी आती है। जिससे फसलों की लागत तो बढ़ती ही है साथ ही किसानों को फसल नुकसान से हानि भी होती है। किसान फसलों की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के कीट प्रबंधक रसायनों के साथ–साथ अन्य कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, जिससे फसलों के लागत का खर्च बढ़ जाता है। किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के लिए एक नई योजना लेकर आई है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों को फसल सुरक्षा हेतु कृषि खर्च एवं फसल नुकसान में कमी करने के लिए अनुदान उपलब्ध करा रही हैं। इसके तहत किसानों को कीटनाशक के साथ–साथ फसलों पर छिड़काव करने वाली मशीनों पर भी अनुदान दिया जायेगा। उत्तर प्रदेश मंत्री परिषद ने विभिन्न परिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियंत्रण की योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह योजना पहले वर्ष 2017–18 से वर्ष 2021–22 के लिए लागू की गई थी जिसे अब अगले 5 वर्षों के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। 

योजना के तहत खर्च किए जाएँगे 19257.75 लाख रुपए

उत्तर प्रदेश में कीट/रोग, खरपतवार नियंत्रण की योजना 5 वर्षों के लिए लागू की जा रही है। योजना का क्रियान्वयन वर्ष 2022–23 से लेकर वर्ष 2026–27 तक किया जायेगा। इस बीच योजना पर 19257.75 लाख रूपये खर्च किये जाएंगे। वर्ष 2022–23 में इस योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्य मदों में 3417.90 लाख रूपये की धनराशि व्यय की जाएगी। इसके पहले योजना वर्ष 2017–18 से वर्ष 2021–22 तक के लिए चलाई गई थी। इन पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश के 11,58,321 कृषकों को विभिन्न कार्य मदों में लाभान्वित किया गया है। 

जैविक दवाओं पर दिया जायेगा 75 प्रतिशत का अनुदान

कीट/रोग नियंत्रण की योजना के तहत किसानों को कीटनाशक तथा कृषि उपकरण उपलब्ध कराये जाएंगे। विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियंत्रण की अनुमोदित योजना के तहत पर्यावरण संरक्षण व विषरहित खाधान्न उत्पादन के लिए बायोपेस्टीसाइडस तथा बायोएजेन्ट्स 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराए जाएगें।

खरपतवार/कीट/रोग के नियंत्रण हेतु एकीकृत नाशजीव प्रबंधन प्रणाली (आई.पी.एम.) को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में कृषि विभाग द्वारा 09 आई.पी.एम. प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है। जिनके द्वारा बायोपेस्टीसाइड्स जैसे ट्राइकोडरमा, ब्यूवेरिया वैसियाना, एन.पी.वी. एवं बायोएजेंट्स जैसे ट्राइकोग्रामा कार्ड का उत्पादन किया जा रहा है।

रासायनिक दवाओं एवं स्प्रेयर पर दिया जायेगा 50 प्रतिशत अनुदान

दूसरी तरफ योजना के अंतर्गत लघु और सीमांत कृषकों को खरपतवार/कीट/रोग के नियंत्रण हेतु कृषि रक्षा रसायनों को 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जाएगा। वर्ष 2022 –23 के लिए किसानों को 1.95 लाख हेक्टेयर भूमि क्षेत्रफल के लिए अनुदान पर कृषि रक्षा रसायन उपलब्ध कराए जाएंगे। इन रसायनों को फसलों पर छिड़काव के लिए नैपसेक स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर आदि कृषि यंत्रों पर भी 50 प्रतिशत की अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। वर्ष 2022–23 के लिए 6,000 कृषि रक्षा यंत्र उपलब्ध कराये जाएंगे।

लघु एवं सीमांत कृषकों को अपने उपयोग में आने वाले अन्न को सुरक्षित रखने के लिए विगत वर्षों में 2, 3 एवं 5 क्विंटल क्षमता की बखारियों का वितरण 50 प्रतिशत अनुदान पर किया गया है, जिससे अन्न को सुरक्षित रखने में सफलता प्राप्त हुई है। वर्ष 2022–23 में 10,000 बखारी उपलब्ध करायी जाएंगी।

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