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पॉलीहाउस की इस नई तकनीक को मिली मंजूरी, किसान साल भर कर सकेंगे सब्जियों की खेती

chhat badalne wala Poly House

आज के समय में पॉली हाउस में खेती को मुनाफे का सौदा माना जाता है क्योंकि किसान इसमें ऐसे बाजार माँग के अनुसार फल-फूल और सब्जियों की खेती कर सकते हैं। पॉली हाउस तकनीक महँगी होने के चलते सभी किसान इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं जिसको देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा पॉली हाउस की नई-नई तकनीकों का विकास किया जा रहा है। इस क्रम में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय राँची के द्वारा “छत विस्थापित पॉली हाउस” तकनीक का विकास किया गया है।

अभी मौजूद पॉली हाउस में वर्ष भर खेती करने में किसानों को काफी समस्या आती है, खासकर गर्मी के सीजन में। ऐसे में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित छत विस्थापित पॉली हाउस में किसान मौसम के अनुसार पॉली हाउस की छत को बदल सकते हैं जिससे वर्ष भर गुणवत्तापूर्ण सब्जी का उत्पादन किया जा सकता है।

क्यों हैं पॉली हाउस तकनीक की आवश्यकता

छत विस्थापित पॉली हाउस प्रौद्योगिकी का विकास करने वाले डॉ. प्रमोद राय ने बताया कि खेती वाली सब्जियों की उत्पादकता और गुणवत्ता आनुवंशिक सामग्री, फसल प्रबंधन और सूक्ष्म जलवायु प्रबंधन द्वारा प्रभावित होती है। मृदा एवं वायु तापक्रम, प्रकाश गहनता एवं गुणवत्ता, सापेक्षिक आद्रता, कार्बन डाइऑक्साइड आदि सूक्ष्म जलवायु पैरामीटर का प्रबंध संरक्षित कृषि तकनीक से होता है। संरक्षित कृषि स्ट्रक्चर का चयन खेती की जाने वाली सब्जी की लाभ प्रदता, टीकाऊपन, स्थिर लागत, संचालन लागत और कार्बन फुटप्रिंट को प्रभावित करता है।

मिट्टी और हवा के उच्च तापक्रम एवं प्रकाश की तीव्रता के कारण गर्मी के महीना मार्च से मई के दौरान टमाटर और शिमला मिर्च की खेती में बहुत समस्याएँ आती हैं। सनबर्न के कारण उत्पादित फल का 50% से अधिक प्रभावित हो जाते हैं। गर्मी के महीनों में स्थाई ढांचे वाले शेड नेट में टमाटर और शिमला मिर्च की खेती करके समस्या को कम किया जा सकता है, किंतु इस स्ट्रक्चर में जून से फरवरी के दौरान प्रकाश गहनता वंछित स्तर से कम रहती है। इसलिए अस्थाई शेड नेट स्ट्रक्चर मार्च से मई के दौरान इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है। इसके प्रयोग से खुले खेत में खेती की तुलना में सब्जियों की विपणन योग्य गुणवत्ता कम से कम 50% और उत्पादकता 30 से 40% बढ़ जाती है।

छत विस्थापित पॉली हाउस कैसे काम करता है?

ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण गर्मी के मौसम में प्राकृतिक रूप से वेंटीलेटेड पॉली हाउस में मिट्टी और हवा का तापमान और प्रकाश की तीव्रता काफी उच्च होती है। प्राकृतिक वेंटिलेशन को सालों भर खेती के अनुकूल बनाने के लिए इसे कम करना आवश्यक है। प्राकृतिक वेंटीलेटेड पॉली हाउस का प्रयोग साल में सामान्यत 8 से 9 महीना ही हो पाता है। बीएयू द्वारा विकसित छत विस्थापित पोली हाउस का निर्माण बांस और आवरण सामग्री से किया जा सकता है।

बीएयू द्वारा विकसित छत विस्थापित पॉली हाउस में किसान मौसम के अनुसार इसकी छत पर लगी फिल्म को बदल सकते हैं। जबकि इस पॉली हाउस में छत को छोड़कर पूरा स्ट्रक्चर यूवी स्टेबलाइज कीड़ा रोधी सामग्री से ढका रहता है। गर्मी के मौसम में यूवी स्टेबलाइज्ड फिल्म (200 माइक्रोन) से तथा जाड़े के मौसम में शेड नेट सामग्री (हरी, 35-50%) से कवर रहता है।

यह विकसित स्ट्रक्चर नवंबर से फरवरी तक पोली हाउस, जून से अक्टूबर तक रेन शेल्टर और मार्च से मई तक शेड नेट के रूप में काम करता है। यह मिट्टी एवं वायु के तापमान और प्रकाश की तीव्रता को घटाकर पॉली हाउस को सालों भर खेती के लिए उपयुक्त बनाता है जिससे सब्जी उत्पादों की लाभप्रदता बढ़ती है तथा कार्बन फुट प्रिंट घटता है।

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सूक्ष्म जलवायु प्रबंधन प्रौद्योगिकी के प्रयोग से अब गुणवत्तायुक्त सब्जियों का सालों भर लाभकारी और टिकाऊ उत्पादन किया जा सकता है। बीएयू में आईसीएआर के सहयोग से चल रही कृषि संरचनाओं और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक अभियांत्रिकी संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. प्रमोद राय ने लगभग एक दशक के अनुसंधान और प्रयोग के बाद दोनों प्रौद्योगिकी विकसित की है।

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