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धान की फसल में अभी लग रहे हैं यह कीट एवं रोग, इस तरह करें नियंत्रण

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धान की फसल में कीट एवं रोग

इस समय धान की फसल गभ्भा अवस्था में हैं एवं अगेती किस्मों में बालियाँ निकलने लगी हैं | जो धान अभी गभ्भा पर है उस धान की कटाई में 20 से 30 दिन की देरी है | इस अवस्था में धान की फसल पर विभिन्न प्रकार की रोग तथा कीट का प्रकोप बना रहता है | कुछ रोग तो इस तेजी से धान की फसल में फैलते हैं कि पूरी धान की फसल को ही ख़राब कर देते हैं |

अभी धान की फसल में शीथ ब्लाईट एवं पत्र अंगमारी रोग अधिकांश क्षेत्रों में देखा जा रहा है इसके अलावा तनाछेदक एवं गंधीबग कीट का प्रभाव भी खेतों में देखा गया है | किसान प्रारम्भिक अवस्था में इन कीट रोगों की पहचान कर इन कीट रोगों पर नियंत्रण कर धान की फसल को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं | तेजी से फैलते इन कीट रोगों पर नियंत्रण के लिए कृषि विभाग द्वारा सलाह जारी की गई है |

शीथ ब्लाईट रोग

धान की फसल में शीथ ब्लाईट फफूंद से होने वाला रोग है, जिसमें पत्रवरण पर हरे–भूरे रंग के अनियमित आकार के धब्बे बनते हैं, जो देखने में सर्प के केंचुल जैसा लगता है | इस रोग पर प्रबंधन/नियंत्रण के लिए खेत में जल निकासी का उत्तम प्रबंधन करना चाहिए | यूरिया की टॉप ड्रेसिंग सुधार होने तक बंद कर दें | कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें या भैलिडामाइसीन 3 एल.अथवा हेक्साकोनाजोन 5 प्रतिशत ई.सी. का 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने से बीमारी की रोकथाम हो जाती है |

पत्र अंगमारी रोग

धान में पत्र अंगमारी रोग जीवाणु से होने वाले रोग हैं, जिसमें पत्तियां शीर्ष से दोनों किनारे या एक किनारे से सूखती है | देखते–देखते पूरी पत्तियां सुख जाती है, जिससे फसल को नुकसान पहुँचता है | धान के पौधे में इस रोग के रोकथाम के लिए खेत से यथासंभव पानी को निकलने की सलाह दी जाती है | उर्वरक का संतुलित व्यवहार, नत्रजनीय उर्वरक का कम उपयोग एवं साथ ही, स्ट्रेप्टोसाईक्लिन 1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए | पुन: एक सप्ताह पर दुबारा छिडकाव किया जाना चाहिए |

तना छेदक कीट

धान की फसल में तना छेदक कीट की पहचान बड़ी आसानी से की जा सकती है | इसके मादा कीट का आगे का पंख पीलापन लिये हुए होते हैं, जिसके मध्य भाग में एक कला धब्बा होता है | कीट के पिल्लू तना के अंदर घुसकर मुलायम भाग को खाता है, जिसके कारण गभ्भा सुख जाता है | बाद की अवस्था में आक्रांत होने पर बालियाँ सफेद हो जाती हैं, जिसे आसानी से खींचकर बाहर निकाला जा सकता है |

तना छेदक कीट पर नियन्त्रण करने के लिए खेत में 8 से 10 फेरोमोन ट्रैप प्रति हैक्टेयर एवं बर्ड पर्चर लगाने की सलाह दी जाती है | खेत में शाम के समय प्रकाश फंदा साथ ही, कार्बफ्युरान 3 जी दानेदार 25 किलोग्राम या फिप्रोनिल 0.3 जी 20 से 25 किलो अथवा कार्टाप हाइड्रोक्लोराईड 4 जी दानेदार 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से, खेत में नमी की स्थिति में व्यवहार किये जाने की सलाह दी जाती है तथा बिलम्ब की स्थिति में एसिफेट 75 प्रतिशत एस.पी. का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव किया जान चाहिए |

गंधी कीट

धान की फसल में लगने वाले गंधी कीट भूरे रंग का लम्बी टांग वाला दुर्गन्धयुक्त कीट है | शिशु एवं व्यस्क कीट दुग्धावस्था में धान के दानों में छेदकर उसका दूध चूस लेते हैं | जिससे धान खखडी में बदल जाता है | इस कीट पर नियंत्रण के लिए केकड़ा को सूती कपड़े की पोटली में बांधकर प्रति हेक्टेयर 10–20 जगह खेत के चारों तरफ फटती डंडा के सहारे लटका दें, जो फसल की ऊँचाई से लगभग एक फीट ऊपर हो | किसी रासायनिक उपचार की आवश्यकता नहीं होगी | साथ ही, क्लोरपाईरिफास 1.5 प्रतिशत धूल या मलाथियान 5 प्रतिशत धूल का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से इस कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है |

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