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चौथे कृषि रोड मैप को लेकर मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश, कृषि के आधुनिकीकरण के साथ किए जाएँगे यह कार्य

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कृषि रोड मैप के लिए मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

कृषि क्षेत्र को लाभकारी बनाने एवं किसानों को आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जाती हैं, जिससे कृषि सम्बंधित अलग-अलग क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जा सके। इस कड़ी में बिहार सरकार कृषि का रोडमैप तैयार कर उसके अनुसार योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य में करती है। राज्य में अभी तीसरा कृषि रोडमैप चल रहा है जो जल्द ही समाप्त हो जाएगा। इसके बाद चतुर्थ कृषि रोड मैप लागू होगा जो 2028 तक चलेगा। 22 दिसम्बर को मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के समक्ष चतुर्थ कृषि रोडमैप के सूत्रण का प्रस्तुतीकरण दिया गया। 

जिसमें चतुर्थ कृषि रोडमैप को लेकर की जा रही तैयारियों के सम्बंध में विस्तृत जानकारी दी गई। इस दौरान सब्जी विकास, मधुमक्खी पालन, कृषि विविधिकरण, कृषि यंत्री करण, सिंचाई एवं जल निस्सरण, भंडारण एवं अधिप्राप्ति, सिंचाई एवं क्रॉपिंग इंटेंसिटी, प्रसंस्करण, डेटा संकलन, कृषि शिक्षा, बागवानी विकास, जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम, जैविक खेती, वेटनरी एजुकेशन, मिट्टी एवं जल संरक्षण, डिजिटल कृषि सहित अन्य बिंदुओं पर चर्चा की गई। 

कृषि का किया जाएगा आधुनिकीकरण

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा की चतुर्थ कृषि रोडमैप में कृषि के आधुनिकीकरण को ध्यान में रखते हुए कार्य करें। उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ राज्य के उत्पादों की ब्रांडिंग तथा कृषि बाजार के विकास को लेकर योजनाबद्ध ढंग से काम किया जाए। प्रखंड स्तर पर ई-किसान भवन में किसानों को कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित प्रशिक्षण एवं जानकारी सुगमता पूर्वक उपलब्ध कराई जाएँ।

उन्होंने निर्देश दिए कि जलवायु अनुकूल कृषि कार्य एवं जैविक खेती के बेहतर क्रियान्वयन के लिए कार्य किया जाए । राज्य में ही बेहतर गुणवत्ता वाले बीज का विकास कराएँ साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन वाले यंत्रों का निर्माण भी यहीं कराएँ।

नीचे मछली ऊपर बिजली योजना में लाए तेज़ी

मुख्यमंत्री ने कहा कि चौर क्षेत्र के विकास के लिए “नीचे मछली ऊपर बिजली” के उत्पादन की योजना पर बेहतर ढंग से काम करें। फसलों के विविधीकरण के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए। चावल, गेहूं के अलावा अन्य फसलों के उत्पादन के लिए किसानों को किया जाए प्रोत्साहित। पशुओं के नस्ल सुधार और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ पशु जनित उत्पाद के क्षेत्र में वैल्यू चेन और जल स्त्रोत के सृजन एवं विकास पर काम करें। जल जमाव से प्रभावित क्षेत्रों में जल निकासी के लिए क्षेत्रवार योजना बनाकर काम किया जाए। 

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