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देश में लगातार बढ़ रहे हैं आत्महत्या के मामले, वर्ष 2022 में इतने किसान एवं कृषि मजदूरों ने की आत्महत्या

प्रतीकात्मक चित्र

भारत में किसान एवं कृषि मज़दूरों की आत्महत्या

देश में किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं इसके बावजूद भी देश में किसानों की आत्महत्या के मामले कम नहीं हो रहे हैं। हालाँकि बात की जाये तो अलग-अलग मामलों में भी देश में आत्महत्या के केसों में बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 के दौरान देश में किसानों की खुदकुशी करने के मामले में 3.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में देश मे कुल 1,70,924 लोगों ने आत्महत्या की है। जो पिछले वर्ष के मुकाबले 4.2 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष यानि की 2021 में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की थी। कृषि के क्षेत्र में कुल 11,290 किसानों तथा कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की है जो भारत में हुई कुल आत्महत्या का 6.6 प्रतिशत है। इसमें 5,207 आत्महत्या किसानों के द्वारा तथा 6,083 आत्महत्या किसान मजदूरों के द्वारा की गई है।

Percentage of Suicide Victims by Profession
Source: भारत में आकस्मिक मृत्यु एवं आत्महत्याएँ, NCRB

सबसे अधिक पुरुष किसानों एवं कृषि मज़दूरों ने की आत्महत्या

कृषि क्षेत्र में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की भागीदारी अधिक है तथा परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी महिलाओं के मुकाबले पुरुषों पर अधिक रहती है। जिसका असर आँकड़ों पर साफ देखा जा सकता है। कृषि के क्षेत्र में किसानों के द्वारा की गई आत्महत्या में से 4,999 पुरुषों तथा 208 महिलाओं के द्वारा आत्महत्या की गई है तथा कृषि मजदूरों के द्वारा की गई 6,083 आत्महत्या में से 5472 पुरुषों के द्वारा तथा 611 महिलाओं के द्वारा आत्महत्या की गई है।

इन राज्यों में सबसे अधिक किसानों ने की आत्महत्या

जहाँ कुछ राज्यों मे किसानों कि आत्महत्या का आँकड़ा लगातार बढ़ रहा है, तो वहीं कुछ राज्यों में किसानों की आत्महत्या के मामले में कमी आई है। महाराष्ट्र आत्महत्या करने वालों राज्यों में सबसे आगे बना हुआ है। राज्य में वर्ष 2022 के दौरान 2708 किसानों के द्वारा आत्महत्या की गई है। इसके बाद कर्नाटक का स्थान आता है जहाँ 1323 किसानों के द्वारा आत्महत्या की गई है वहीं तीसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है जहाँ 369 किसानों ने आत्महत्या की है।

दूसरी तरफ हरियाणा, नागालैंड, सिक्किम, अंडमान निकोबार द्वीप समूह राज्यों में एक–एक किसानों ने आत्महत्या की है। जबकि बिहार, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, पुद्दुचेरी, लक्षद्वीप, लदाख, जम्मू कश्मीर एवं दिल्ली राज्यों में एक भी किसान ने आत्महत्या नहीं की है।

इन राज्यों में की सबसे अधिक कृषि मज़दूरों ने आत्महत्या

कृषि के क्षेत्र मे किसानों के साथ कृषि मजदूरों कि आर्थिक स्थिति ज़्यादा अच्छी नहीं है। जिसके कारण वे अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा  रहे हैं। इसके अलावा कृषि श्रमिकों के पास खुद की जमीन नहीं होने के चलते कृषि क्षेत्र की बहुत सी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता है। जिससे कृषि श्रमिकों के आत्महत्या के मामले अधिक है।

महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या के साथ-साथ कृषि मजदूरों की आत्महत्या के मामले अधिक है। जहाँ महाराष्ट्र में 1540 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की है तो वहीं कर्नाटक में कुल 1069 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की है। वहीं तीसरे स्थान पर  कृषि मज़दूरों की आत्महत्या के मामले तमिलनाडु है जहां 606 कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की है।

इसके अतिरिक्त बात की जाए बिहार, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओड़िसा, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, अंडमान – निकोबार, दिल्ली, लक्षद्वीप, पुद्दुचेरी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में एक भी कृषि मजदूर ने वर्ष 2022 मे आत्महत्या नहीं की है।

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