Home किसान समाचार 29,535 करोड़ रुपये की मसाला फसलों का किया गया निर्यात

29,535 करोड़ रुपये की मसाला फसलों का किया गया निर्यात

production & Export of spice crops

देश में मसाला फसलों का उत्पादन

भारतीय मसाला देश से लेकर विदेशों में बहुत महशूर है, इसका स्वाद विदेशों तक में प्रसिद्ध है | जिसके चलते देश में उत्पादित मसालों की मांग लगातार बढ़ रही है | अच्छी कीमत मिलने के कारण किसानों के लिए भी यह फायदे की खेती है | यही कारण है कि देश में लगातार मसाला फसलों का उत्पादन एवं विदेशों में निर्यात बढ़ा है | भूमि एवं जलवायु के आधार पर अलग–अलग राज्यों में अलग-अलग मसालों की खेती की जाती है |

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 21 दिसम्बर 2021 को “मसाला सांख्यिकी एक नजर 2021” पुस्तक का विमोचन किया | इस पुस्तक में सभी मसालों के आंकड़ों का संग्रह किया गया है | इस पुस्तक का प्रकाशन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत सुपारी और मसाला विकास निदेशालय (डीयेएसडी) ने किया है |

भारत में कितना होता है मसालों का उत्पादन

देश में मसालों का उत्पादन 7.9 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2014–15 में 67.64 लाख टन से बढ़कर 2020–21 में 106.79 लाख टन हो गया | वहीँ, इस दौरान मसाला क्षेत्र 32.24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 45.28 लाख हेक्टेयर हो गया है | प्रमुख मसालों में जीरा (14.8 फीसदी), लहसुन (14.7 फीसदी), अदरक (7.5 फीसदी), सौंफ (6.8 फीसदी), धनिया (6.2 फीसदी), मेथी (5.8 फीसदी), लाल मिर्च (4.2 फीसदी) और हल्दी (1.3 फीसदी) के उत्पादन में विशिष्ट वृद्धि दर दिखाती है |

देश कितना रूपये का मसाला निर्यात करता है ?

भारत में पिछले कुछ वर्षों से मसाला उत्पादन में काफी वृद्धि देखने को मिली है | इससे निर्यात में भी बढ़ोतरी देखा जा रहा है | वर्ष 2014–15 में भारत 8.94 लाख टन का मसाला निर्यात करता था | जिसका मूल्य 14,900 करोड़ रुपए था | वर्ष 2020–21 में मसाला का उत्पादन बढने से निर्यात 16 लाख टन तक पहुँच गया है | भारत वर्ष 2020–21 में 29,535 करोड़ रूपये का मसाला निर्यात किया है | इस दौरान मसाले के निर्यात में 9.8 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर और कीमत के लिहाज से 10.5 फीसदी वृद्धि दर दर्ज की गई |

देश में मसाला विकास के लिए यह योजनाएं चलाई जा रही है

देश में इन मसालों के उत्पादन में शानदार बढ़ोतरी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न विकास कार्यक्रमों के कारण हुई है। इनमें एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) आदि हैं।

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