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20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से अधिक पैदावार वाले सोयाबीन एवं मूंगफली की बीज किसानों को निःशुल्क दिए जाएंगे

soybean and mungfali seeds for sowing

निःशुल्क सोयाबीन एवं मूंगफली बीज वितरण

देश में तिलहन फसलों का उत्पादन खरीफ एवं रबी दोनों सीजन में किया जाता है, इसके बावजूद भी देश में पर्याप्त तिलहन का उत्पादन नहीं हो पता है | जिसके कारण विदेशों से लगभग 71 हजार करोड़ रूपये तक का खाद्य तेल आयात करना पड़ता है | तेलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने तथा तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार तेलहन की बुवाई का रकबा बढ़ाने जा रही है | केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन में तिलहन की बुआई का रकबा बढ़ाने के साथ ही उच्च पैदावार देने वाली किस्मों के बीज किसानों को नि:शुल्क देने का निर्णय लिया है |

खरीफ सीजन की दो मुख्य तिलहन फसलों में सोयाबीन तथा मूंगफली के लिए सरकार ने बुआई के क्षेत्र बढ़ाने के लिए राज्यों तथा जिलों का चयन कर लिया है | इन जिलों में किसानों को नि:शुल्क बीज किसानों को दिए जाएंगे |

बीज की पैदावार कितनी होगी ?

केंद्र सरकार के तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार वितरित किये जाने वाले सोयाबीन बीजों की पैदावार 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं होगी अर्थात किसानों को ऐसे बीज दिए जाएंगे जिनकी उत्पादन क्षमता कम से कम 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी | जबकि मूंगफली के बीज जो किसानों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाए जाएंगे उसकी उत्पादन क्षमता 22 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं होगी |  

नि:शुल्क बीज इन राज्यों के किसानों को दिए जाएंगे

केंद्र सरकार ने तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए देश के कुछ राज्यों का चयन किया है | इन राज्यों के जिलों में से कुछ जिलों के तिलहन के नए बीजों की खेती के लिए चयन किया है | चयनित राज्यों के जिलों के किसानों को ही नी:शुल्क बीज दिया जायेगा |

सोयाबीन के बीज प्राप्त करने वाले राज्य तथा उनकी संख्या इस प्रकार है :-

देश के 7 राज्य (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना) के 41 जिलों में 1,47,500 हेक्टेयर में सहरोपण के लिए सोयाबीन की खेती को बढ़ावा देने के लिए सोयाबीन के बीज दिए जाएंगे | इसके लिए केंद्र सरकार 76.03 करोड़ रूपये खर्च कर रही है |

देश के 8 राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना) के 73 जिलों में सोयाबीन की अधिक संभावना वाले जिलों में शामिल किया गया है | 8 राज्यों के 73 जिलों में 3.9 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती के लिए केंद्र सरकार 104 करोड़ रूपये खर्च कर रही है |

सोयाबीन तथा मूंगफली के कितने पैकेट ( किट्स) नि:शुल्क दिये जायेंगे 

देश के 9 राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार) के 90 जिलों में सोयाबीन के मिनी किट्स वितरित किये जाएंगे | केंद्र सरकार 40 करोड़ की लागत से 8 लाख 16 हजार 435 किट्स का वितरण करेगी | इससे 1 लाख 6 हजार 636 हेक्टेयर सोयाबीन की खेती के लिए कवर किया जायेगा |

मूंगफल बीज किन राज्यों में वितरित किया जायेगा ?

केंद्र सरकार खरीफ सीजन में मूंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए देश के 7 राज्यों (मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु) को चयन किया है | इन राज्यों में केंद्र सरकार 74,000 मूंगफली बीज मिनी किट्स का वितरित करेगी | इसके लिए केंद्र सरकार 13.03 करोड़ रुपया खर्च कर रही है |

बीज का वितरण कौन करेगा ?

सोयाबीन तथा मूंगफली के बीजों के किट्स दो प्रकार के है | सहरोपन और ज्यादा संभावनाओं वाले जिलों के लिए बीजों का वितरण राज्य बीज एजेंसियों के माध्यम से किया जायेगा | जबकि मिनी किट्स के लिए बीजों का वितरण केन्द्रीय बीज उत्पादक एजेंसियों के माध्यम से किया जाएगा |

इससे कितना उत्पादन तथा क्षेत्रफल बढने की उम्मीद है ?

भारत सरकार तेलहन की उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष खरीफ कार्यक्रम चला रही है | जिसके माध्यम से तिलहन (सोयाबीन तथा मूंगफली) के अंतर्गत अतिरिक्त 6.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बढने की उम्मीद है | इसके साथ ही 120.26 लाख क्विंटल तिलहन तथा 24.26 लाख टन खाद्य तेल के उत्पादन का अनुमान है |

पिछले पांच वर्षों में तिलहन उत्पादन

केंद्र सरकार के अनुसार वर्ष 2014–15 में देश में तिलहन का उत्पादन 27.51 मिलियन टन था जो वर्ष 2020–21 में बढ़कर 37.31 मिलियन टन हो गया है | इसके लिए देश में तिलहन का उत्पादन तथा उत्पादकता को बढ़ाना पड़ा है | इसी अवधि में तिलहन का रकबा 25.99 मिलियन हेक्टेयर बढ़ा है, जबकि उपज में समान अवधि में 1,075 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से बढ़कर 1,295 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर हो गया है |  

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4 COMMENTS

    • सर यह बीज तो कृषि विभाग के द्वारा एवं बीज एजेंसियों के द्वरा वितरित किये जाएंगे | आप अपने यहाँ के स्थानीय कृषि अधिकारियों या कृषि विभाग कार्यालय में संपर्क करें |

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