Home विशेषज्ञ सलाह धान की फसल को भूरा माहो कीट के प्रकोप से बचाने के...

धान की फसल को भूरा माहो कीट के प्रकोप से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह

dhan me maho keet dawa niyantran

धान की फसल में भूरा माहो कीट

देश के कई राज्यों से मानसून की वापसी शुरू हो गई है ऐसे में तेज धुप एवं उमस का मौसम हो गया है जिससे कई स्थानों पर फसलों पर कीट रोग का प्रकोप दिखाई दे रहा है | मौसम को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने धान की फसल को कीट एवं रोगों से बचाने के लिए सलाह जारी की है |वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्तमान समय में वातारण में उमस होने के कारण धान के फसल में भूरा माहो का कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। यह प्रकोप खास कर मध्यम से लंबी अवधि की धान में दिख रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि भूरा माहो को बीपीएच ब्राउन प्लांट हार्पर या भूरा फदका भी कहा कहा जाता है।

वैज्ञानिकों ने धान की फसल में माहो कीट प्रकोप को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसान भाईयों को इसकी रोकथाम के लिए दवाओं का छिड़काव एवं आवश्यक उपाय करने की सलाह दी गई है। किसान भाईयों को माहो कीट के नियंत्रण के लिए खेतों में फसल के अवशेषों व खरपतवारों को नष्ट करने के साथ ही कीट प्रकोप बहुत ज्यादा होने पर खेतों से पानी के निकासी की सलाह दी हैं।

भूरा फदका या भूरा माहो कीट

इस कीट की अंडा, शिशु व प्रौढ़ तीन अवस्था होती है। शिशु व प्रौढ़ दोनों अवस्था धान के पौधे के तने से रस चुसकर बहुत तेजी से फसल को नुकसान पहुंचाते है। माहो कीट का जीवन चक्र 28 से 33 दिनों का होता है। शिशु कीट का रंग मटमैला भूरा, प्रौढ़ कीट का रंग हल्का भूरा होता है। प्रौढ़ कीट की तुलना में शिशु कीट तेजी से पौधे का रस चुसता है। भूरा माहो कीट सीधा नहीं चलता है, वह तिरछा फुदकता है। यह कीट जहां धान की फसल घनी है अथवा खाद ज्यादा है, वहां अधिकतर दिखना शुरू होता है। जिसमें अचानक पत्तियां गोल घेरे में पीली व भूरे रंग की दिखने लगती है व सूख जाती है व पौधा गिर जाता है। जिसे होपर बर्न कहते हैं। यह कीट पानी की सतह के ऊपर तने से चिपककर रस चूसता है।

माहो कीट के नियंत्रण हेतु किसान क्या करें

जैविक पद्धति से माहो कीट के रोकथाम के लिए खेत में मकड़ी मिरीड बग, डेमस्ल फ्लाई मेंढक, मछली का संरक्षण करने की सलाह दी गई है, जो प्रौढ़ व शिशु माहो कीट का भक्षण करते हैं। नीम का तेल 2500 या ज्यादा पीपीएम वाला एक लीटर प्रति एकड़ की दर से सुरक्षात्मक रूप से या कीट प्रारम्भ होते ही छिड़काव करने को कहा गया है।

माहो कीट के रोकथाम के लिए बाजार में बहुत सी दवा उपलब्ध है। जैसे इमिडाक्लोप्रीड 17.8 एस.एल. 60-90 मिली. अथवा डाईनोटेफ्यूरोन 20 प्रतिशत एस.जी. 60 ग्राम प्रति एकड़ अथवा ट्राईफ्लूमेजोंपाइरीम 10 प्रतिशत एस.सी. 94 मिली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर इसको नियंत्रित किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी गई कि वे दवा का उपयोग बहुत ही सोच समझकर करें, क्योंकि इस कीट में दवा के प्रति बहुत जल्दी प्रतिरोधकता आ जाती है। हवा के दिशा में दवा डाले, मुंह में कपड़ा अवश्य बांधे और दवा का छिडकाव करते समय पूरे कपड़े पहने।

किसान समाधान के YouTube चेनल की सदस्यता लें (Subscribe)करें

Notice: JavaScript is required for this content.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version