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विद्यार्थियों की पसंद बना जैविक खेती, 86 हज़ार से अधिक विद्यार्थियों ने कॉलेज में चुना जैविक खेती विषय

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स्नातक के लिए जैविक खेती विषय

देश में 2020 से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है, जिसके तहत शिक्षा के क्षेत्र में नए पाठ्यक्रम प्रारम्भ किए गए है। यह पाठ्यक्रम ना केवल कृषि क्षेत्र में बल्कि उद्योगों की मांग के अनुरूप भी शुरू किए गए हैं। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रालय में विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के द्वारा प्रारंभ किए गए कृषि, बागवानी जैसे पाठ्यक्रम की पढ़ाई की ओर रुझान बढ़ा है। 

उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस वर्ष 86 हज़ार 263 विद्यार्थियों ने स्नातक स्तर पर प्रथम वर्ष में जैविक खेती विषय चुना है। पिछले वर्ष 76 हज़ार 518 विद्यार्थियों ने इस विषय का चयन किया था। इसी तरह इस वर्ष 9 हज़ार 38 विद्यार्थियों ने बागवानी विषय का चयन किया है। महाविद्यालय में इस वर्ष कृषि से जुड़े वर्मी कंपोस्टिंग, डेयरी प्रबंधन और औषधीय पौधे, खाद्य सुरक्षा एवं प्रसंस्करण जैसे व्यवसायिक विषयों को 12,516 विद्यार्थियों ने चुना है।

महाविद्यालयों में नर्सरी प्रारंभ करने के दिए निर्देश

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने मंत्रालय में हुई विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि सभी विज्ञान महाविद्यालयों में नर्सरी प्रारंभ की जाए। महाविद्यालयों के अतिरिक्त विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा भी कृषि पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है।

10 नए व्यवसायिक विषय किए गए प्रारम्भ

राज्य में उद्योगों की मांग के अनुरूप इस वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत फैशन डिजाइनिंग, एग्री मार्केटिंग, कैटरिंग, मैनेजमेंट बेकरी एवं कन्फेक्शनरी, हॉस्पिटेलिटी मैनेजमेंट, कैटरिंग मैनेजमेंट, प्लांट डिसीसेस एंड प्रोटेक्शन, मृदा विज्ञान और उर्वरक, सूचना प्रौद्योगिकी, इवेंट मैनेजमेंट, पोल्ट्री मैनेजमेंट पर 10 नवीन व्यवसाय विषय प्रारंभ किए गए हैं। बैठक में संभागीय मुख्यालयों पर उत्कृष्टता शिक्षा संस्थान एवं 52 जिलों में आदर्श महाविद्यालय चिन्हित कर प्रस्ताव तैयार करने पर भी चर्चा की गई।

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