Home किसान समाचार अब देशभर के किसान ले सकेंगे हरियाणा में विकसित इन उन्नत किस्मों...

अब देशभर के किसान ले सकेंगे हरियाणा में विकसित इन उन्नत किस्मों के बीज

seeds variety

नए विकसित उन्नत किस्मों के बीज

देश भर के कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न प्रकार के उन्नत बीज विकसित किये जाते हैं। यह बीज विभिन्न प्रकार के रोग प्रतिरोधक तथा अधिक उत्पादन देने वाले होते हैं। किंतु इन बीजों की मात्रा इतनी अधिक नहीं होती की अधिक से अधिक किसानों को उपलब्ध कराया जा सके, जिससे दूसरे राज्यों के किसानों को यह उन्नत किस्म के बीज नहीं मिल पाते हैं।  

एक राज्य में विकसित होने वाले विभिन्न प्रकार के बीजों को दुसरे राज्यों के किसानों को पहुँचाना जरुरी है। इसको ध्यान में रखते हुए हरियाणा के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने दुसरे राज्यों के किसानों को विश्वविद्यालय में विकसित बीजों को दुसरे राज्यों के किसानों को पहुँचाने का निर्णय लिया है। इसके तहत गेहूं, सरसों व जई की उन्नत किस्मों के बीज दुसरे राज्य के किसानों तक पहुँचाने के लिए विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देते हुए निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं |

विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि जब तक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई प्रौद्योगिकी किसानों तक नहीं पहुंचती तब तक उसका कोई लाभ नहीं है। इसलिए इस तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर कर विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां विकसित फसलों की उन्नत किस्मों व तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके। इससे फसलों की अधिक पैदावार से जहाँ किसानों की आमदनी बढ़ेगी वहाँ राज्य व देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

इन किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जाएँगे किसानों को 

प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले एक साल में विभिन्न प्राइवेट कंपनियों के साथ इस प्रकार के दस एमओयू किए जा चुके हैं। उपरोक्त समझौते के तहत कंपनी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित गेंहू की डब्लयूएच 1270, सरसों की आरएच 725 व जई की ओएस 405 किस्मों का बीज तैयार कर किसानों तक पहुंचाएंगी।
फसलों की उपरोक्त उन्नत किस्मों के लिए विश्वविद्यालय की ओर से गुरुग्राम की मैसर्ज देव एग्रीटेक प्रा.लि. को तीन वर्ष के लिए गैर एकाधिकार लाइसेंस प्रदान किया गया है जिसके तहत यह बीज कंपनी गेंहू, सरसों व जई की उपरोक्त किस्मों का बीज उत्पादन व विपणन कर सकेगी।

क्या है इन विकसित उन्नत किस्मों की विशेषता

सरसों की आरएच 725 किस्म  :- 

विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई सरसों की इस किस्म की फलियाँ अन्य किस्मों की तुलना में लंबी व उनमें दानों की संख्या भी अधिक होती है। इसके साथ ही बीज में तेल की मात्रा भी ज्यादा होती है।

गेहूं की डब्ल्यूएच WH-1270 किस्म  :- 

विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई गेहूं की इस किस्म को अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में जाना जाता है। इसका औसत उत्पादन 75.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं जबकि उत्पादन क्षमता 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा 12 प्रतिशत है। पिछले वर्ष इस किस्म को दक्षिण जोन के लिए अनुमोदित किया गया था।

जई की ओएस 405 किस्म  :- 

विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई जई की यह किस्म पशुओं के हरे चारे के साथ ही साथ दानों के लिए विकसित किया गया है। हरे चारे के रूप में इस किस्म की पैदावार 51.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि दानों का उत्पादन 16.7 प्रति हैक्टेयर है | इस किस्म को पिछले वर्ष सेन्ट्रल जोन के लिए अनुमोदित किया गया था।

Notice: JavaScript is required for this content.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version