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अब किसानों से गोबर खरीदकर किया जाएगा बिजली का उत्पादन

gobar se bijli utpadan

गोबर से बिजली उत्पादन

अभी तक गोबर का उपयोग उपले बनाने, जैविक खाद एवं गोबर गैस बनाने में होता आ रहा है परन्तु पहली बार गोबर से बिजली बनाई जाएगी, जिसके जरिये बिजली से चलने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरण चलाये जाएंगे साथ ही जो खाद बनेगी उसे भी किसानों को कम दरों पर उपलब्ध करवाई जाएगी | सबसे बड़ी बात यह है कि यह काम एक राज्य सरकार करने जा रही है |

छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना के तहत गोठानो के जरिये किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीद कर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद पहले से बना रही है | अब उसी गोबर से बिजली तैयार करने की शुरुआत भी 2 अक्टूबर से की जा चुकी है| गौठानों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में विभिन्न प्रकार के उत्पादों को तैयार करने के लिए लगी मशीनें भी गोबर की बिजली से चलेंगी।

गोबर से बिजली उत्पादन का हुआ शुभारम्भ

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 2 अक्टूबर के दिन बेमेतरा जिला मुख्यालय के बेसिक स्कूल ग्राउंड में आयोजित किसान सम्मेलन के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन की परियोजना का वर्चुअल शुभारंभ किया | मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब विद्युत उत्पादन का काम सरकार और बड़े उद्योगपति किया करते थे। अब हमारे राज्य में गांव के ग्रामीण टेटकू, बैशाखू, सुखमती, सुकवारा भी बिजली बनाएंगे और बेचेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर खरीदी का मजाक उड़ाने वाले लोग अब इसकी महत्ता को देख लें।

गोठानों में गोबर से कितनी बिजली बनाई जाएगी 

छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार एक यूनिट से 85 क्यूबिक घनमीटर गैस बनेगी | चूँकि एक क्यूबिक घन मीटर से 1.8 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है | इससे एक यूनिट में 153 किलोवाट विद्धुत का उत्पादन होगा | इस प्रकार उक्त तीनों गौठानों में स्थापित बायो गैस जेनसेट इकाईयों से लगभग 460 किलोवाट विद्धुत का उत्पादन होगा, जिससे गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ–साथ वहां स्थापित मशीनों का संचालन हो सकेगा |

इस यूनिट से बिजली उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए होगा तथा बाकी अवशेष से जैविक खाद तैयार होगी। इस तरह से देखा जाए तो गोबर से पहले विद्युत उत्पादन और उसके बाद शत-प्रतिशत मात्रा में जैविक खाद प्राप्त होगी। इससे गौठान समितियों और महिला समूहों को दोहरा लाभ मिलेगा।

गोठानों के माध्यम से की जाती है गोबर की खरीद

छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गाँव योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है | जिसमें से 6,112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित एवं संचालित है | गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक गोबर खरीदी की जा चुकी है | जिसके एवज में किसानों को 102 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चूका है | गोबर गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है |

गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए प्रति किलोग्राम पर ग्रमीणों, किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीदी की जा रही है। वहीँ गोठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट किसानों को 10 रुपये प्रति किलो के दर से दी जाती है |

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