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अभी आलू की फसल में लग सकता है झुलसा रोग, किसान इस तरह करें नियंत्रण

aalu ki fasal me jhulsa rog

आलू की फसल में अगात एवं पिछात झुलसा रोग

फसल चक्र के दौरान यानी की बुआई से कटाई तक विभिन्न फसलों में समय-समय पर अलग-अलग रोग लगने की संभावना रहती है, जिसके चलते फसलों की उत्पादन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। अभी वर्तमान समय में मौसम में परिवर्तन हो रहा है। जैसे की कोहरा (कुहासा) तापमान में उतार-चढाव एवं उच्च सापेक्ष आद्रता की स्थिति बन रही है, जिसके कारण किसान भाइयों के खेत में लगे आलू फसल में झुलसा रोग लगने की संभावना रहती है।

आलू की फसल में लगने वाले रोग को देखते हुए बिहार कृषि विभाग द्वारा आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह जारी की गई है। कृषि विभाग के मुताबिक इस समय आलू की फसल में झुलसा रोग लग सकता है। किसान समय पर रोग की पहचान कर उसका नियंत्रण करें ताकि फसल को होने वाले नुकसान से बचा जा सके।

आलू की फसल में पिछात झुलसा या आफ़त रोग

यह रोग फाइटोपथोरा इन्फेस्टेन्स नामक फफूंद के कारण होता है। वायुमंडल का तापमान 10 डिग्री से 19 डिग्री सेल्सियस के आसपास होने पर आलू की फसल में पिछात झुलसा रोग लगने की संभावना सबसे अधिक होती है। इस रोग को किसान आफत भी कहते हैं। फसल में रोग का संक्रमण रहने पर तथा वर्षा हो जाने पर बहुत कम समय में यह रोग फसल को बर्बाद कर देता है। इस रोग से आलू की पत्तियों के किनारे व सर से सूखने लगते हैं। सूखे भाग को दो अँगुलियों के बीच रखकर रगड़ने से खर-खर की आवाज होती है।

किसान इस तरह करें रोग का नियंत्रण

फसल की सुरक्षा के लिए किसानों को 10–15 दिन के अंतराल पर मैंकोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़कना चाहिए। संक्रमित फसल में मैंकोजेब एवं मेटालैक्सिल अथवा कार्बेन्डाजिम एवं मैन्कोजेब संयुक्त उत्पादन का 2 ग्राम प्रति लीटर या 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

आलू की फसल में अगात झुलसा

यह रोग आलू की फसल में अल्टरनेरिया सोलेनाई नामक फफूंद के कारण होता है। इस रोग से ग्रसित पौधों में प्राय: निचली पत्तियों पर गोलाकार धब्बे बनते हैं, जिसके भीतर में कंसेंट्रीक रिंग बना होता है। धब्बायुक्त पत्ती पीली पड़कर सूख जाती है। बिहार राज्य में यह रोग देर से लगता है, जबकि ठंडे प्रदेशों में इस फफूंद के लिए उपयुक्त वातावरण पहले से बन जाता है।

अगात झुलसा रोग का नियंत्रण

फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही जिनेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या मैंकोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराईड 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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