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मक्का बनी मुनाफे की खेती, किसानों को प्रति हेक्टेयर हो रहा है डेढ़ लाख रुपये तक का मुनाफा

makka ki kheti se munafa

पीला सोना के रूप में जाना जाने वाली मक्का की कटाई का काम अभी जोरों पर चल रहा है। साथ ही जिन किसानों ने फसल निकाल ली है उन्होंने इसे बाजार में बेचना भी शुरू कर दिया है। जिसमें किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। यह जानकारी बिहार के कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने दी। उन्होंने बताया कि कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र में किसानों के द्वारा मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है।

जिसमें किसान प्रदीप कुमार चौरसिया द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अंतर्गत उन्नत तकनीक अपनाते हुए कटिहार जिले के मुसापुर गाँव में मेड़ पर मक्के की बुवाई की गई थी। किसान को मक्का की कटनी के दौरान लगभग 112 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मक्का का उत्पादन हुआ। जिससे उनको एक हेक्टेयर में 1 लाख 58 हजार 500 रुपये का शुद्ध मुनाफा प्राप्त हुआ। पिछले साल किसान ने बेड पर मक्का की खेती की थी जिससे उन्हें करीब 98 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का ही उत्पादन हुआ था। कृषि विभाग के सचिव ने बताया कि रबी (2023–24) कटिहार जिले में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कुल लगभग 450 एकड़ में मेढ़ पर मक्के की खेती की गई है।

किसानों को खेती के लिए दिया जा रहा है प्रशिक्षण

कृषि विभाग के प्रसार कार्यकर्ता तथा कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को समय–समय पर मेढ़ पर मक्के की खेती से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इतना ही नहीं किसानों को प्रशिक्षण के साथ–साथ एक एकड़ में फसल लगाने के लिए बीज भी उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा किसानों को मक्के की फसल को कीट-रोगों से बचाने के लिए आवश्यक कीटनाशकों दवाओं का वितरण भी किया गया।

मक्के की फसल से मिलेगा अधिक मुनाफा

कृषि विभाग के सचिव अग्रवाल ने कहा कि किसानों को मक्का की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है। दक्षिण बिहार में वर्षा कम होती है, इस वजह से किसान ज्यादा पानी की जरूरत वाली फसलें नहीं लगा पाते हैं। यहाँ धान की रोपाई और कटाई देर से होती है। इस कारण रबी मौसम में गेहूं लगाने में देरी होती है तथा उत्पादन कम मिलता है। उन्होंने कहा कि मक्के की खेती कर जलवायु परिवर्तन के दौर में फसल चक्र सुधारने में मदद मिलेगी एवं किसानों को अधिक मुनाफा मिलेगा।

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