Home किसान समाचार जानिए क्या होता है पाला पड़ना, किसान किस तरह बचाएं सब्जी फसलों...

जानिए क्या होता है पाला पड़ना, किसान किस तरह बचाएं सब्जी फसलों को पाला पड़ने से?

protection of vegetable crops coldwave pala

सब्जी फसलों का पाले से बचाव

देश के उत्तरी राज्यों में अभी ठंड जोरों पर है और आने वाले समय में इसका प्रकोप और बढने वाला है। दिन-प्रतिदिन तापमान मे कमी आ रही है। अधिक सर्दी से फसलो की उत्पादकता पर विपरित असर पड़ता है और परिणाम स्वरूप कम उत्पादन प्राप्त होता है। अभी किसानों ने अपने खेतों में बहुत सी सब्जी फसलें लगा रखी है, जिसमें इस समय पाला पड़ने की सम्भावना सबसे अधिक रहती है | जिससे फसलों को बहुत अधिक नुकसान हो सकता है इसलिए सर्दी की मौसम मे फसलो को शीत लहर एवं पाले से बचाव जरूरी है।

क्या होता है पाला पड़ना

जब वायुमंडल का तापमान 0 डिग्री सेल्सीयस या इसके नीचे चला जाता है, तो हवा का प्रभाव बंद हो जाता है। जिसकी वजह से पौधो की कोशिकाओ के अंदर और ऊपर मौजूद पानी जम जाता है। इसे ही पाला कहते है। शाम को आसमान साफ हो, हवा बंद हो, तापमान कम हो तो सुबह पाला पडने की संभावना रहती है। पाला पडने से पौधो की कोशिकाओ की दीवारे क्षतिग्रस्त हो जाती है और कोशिका छिद्र (स्टोमेटा) नष्ट हो जाता है। पाला पड़ने की वजह से कार्बन-डाई ऑक्साइड एवं ऑक्सीजन वाष्प की विनियम प्रक्रिया भी बाधित होती है। पाला पड़ने से पौधो की पत्तियां झुलसने लगती है, पौधो के फल व फूल झडने लगते है। फूल झडने से पैदावार मे कमी आती है।

इस तरह करें सब्जी फसलों का पाले से बचाव

इस मौसम में पाले का सबसे अधिक असर पपीता, आम, टमाटर, मिर्च, बैंगन, मटर, धनिया की फसलों पर हो सकता है। पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए फसलों को सुरक्षित रखने के लिए जरूरत के हिसाब से हल्की-हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। सुबह 4 बजे के आसपास खेत पर धुआं करना चाहिए। सल्फर (गधंक) का छिडकाव करने से रासायनिक सक्रियता बढ जाती है और पाले से बचाव के अलावा पौधे को सल्फर तत्व मिल जाता है। चूंकि सल्फर (गधंक) से पौधे मे गर्मी बनती है। इसलिए खेतों में 6 से 8 कि.ग्रा. सल्फर डस्ट प्रति एकड़ के हिसाब से डाल सकते है।

घुलनशील सल्फर 2 ग्राम प्रति लीटर पानी मिला कर फसल पर छिड़काव करने से भी पाले के असर को कम किया जा सकता है। सब्जी वर्गीय फसलों को पाले से बचाने के लिए हायोयूरिया 1 ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव कर सकते है। यह छिड़काव 15 दिनो मे दोहराना चाहिए। पाला पडने की संभावना वाले दिनो मे मिट्टी की गुड़ाई या जुताई नही करनी चाहिए, क्योकि ऐसा करने से मिट्टी का तापमान कम हो जाता है।

Notice: JavaScript is required for this content.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version