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सभी ग्राम पंचायतों में किया जाएगा किसान चौपाल का आयोजन, किसान को मिलेंगे यह लाभ

Rabi kisan cahupal 2023

रबी किसान चौपाल कार्यक्रम 2023

किसानों को खेतीकिसानी की नई तकनीकों से अवगत कराने के साथ ही सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी पहुँचाने के लिए किसान चौपालों का आयोजन किया जाता है। इस कड़ी में बिहार सरकार रबी सीजन में राज्य के सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम चौपालों का आयोजन करने जा रही है। शुक्रवार को निदेशक डॉ. आलोक रंजन घोष ने पटना जिले के नौबतपुर प्रखंड के सावरचक ग्राम पंचायत से रबी किसान चौपाल की शुरुआत की।

राज्य में रबी महाअभियान के तहत राज्य के सभी जिलों के अन्तर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत में रबी किसान चौपाल कार्यक्रम का आयोजन 10 नवम्बर से 15 दिसंबर तक किया जा रहा है। रबी मौसम में राज्य के कुल 8058 ग्राम पंचायतों में रबी किसान चौपाल का आयोजन किया जायेगा।

किसान चौपाल से किसानों को मिलेगा यह लाभ

रबी किसान चौपाल कार्यक्रम में लगभग 10 लाख किसानों को नवीनतम तकनीक की जानकारी के साथसाथ कृषि विभाग की योजनाओं की जानकारी भी दी जाएगी। रबी किसान चौपाल कार्यक्रम में वैज्ञानिक, कृषि विशेषज्ञ, प्रसार पदाधिकारी एवं कर्मचारीगण के माध्यम से किसानों के बीच कृषि एवं संबद्ध विभाग की योजनाओं एवं आधुनिक तकनीक से खेती करने का प्रचार प्रसार किया जाएगा। किसान चौपाल में किसानों को विभिन्न फसलों की खेती, कीट व्याधियों नियंत्रण के साथसाथ सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी जाएगी।

किसान चौपाल का मुख्य उद्देश्य क्या है?

अभी आयोजित की जाने वाली किसान चौपाल के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है:-

  • कृषि विभाग द्वारा संचालित सभी महत्वकांक्षी योजनाओं को किसानों तक पहुँचाना।
  • किसान हित समूह एवं खाद्य सुरक्षा समूह का निर्माण तथा आत्मा के माध्यम से उसका निबंधन एवं किसान उत्पादक संगठन का निर्माण कर अधिक उत्पादन तथा बाजारोन्मोखी उत्पादन हेतु प्रेरित करना।
  • कृषि क्षेत्र में किसानों को आ रही समस्या की जानकारी प्राप्त करना और उनका समाधान करना।
  • कृषि की नवीनतम तकनीकी की जानकारी कृषि प्रसार पदाधिकारी/ कर्मी, वैज्ञानिक, विशेषज्ञों के सहयोग से किसानों तक पहुँचाना।
  • किसानों के फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए नवीनतम तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा देना।

किसानों को बदलना होगा खेती का तरीका

कृषि निदेशक ने इस अवसर पर कहा कि मौसम बदल रहा है, अनियमित वर्षा से कभी बाढ़ तो कभी सूखे का सामना किसानों को करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में किसानी करना काफ़ी कठिन कम हो गया है। खेती का लागत खर्च बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में 10-15 साल पहले वाली खेती का तरीक़ा बदलने की जरूरत है।

कृषि निदेशालय स्तर पर एक कोषांग गठित किया गया है, जिसमें किसानों की शिकायतों पर कार्रवाई की जाती है। कम पानी में मक्का की खेती की जा सकती है और 1.5 गुना तक लाभ कमाया जा सकता है। किसानों को मडुआ आदि मोटे अनाजों की खेती करना चाहिए, जिसमें पानी की कम आवश्यकता होती है। दक्षिणी बिहार में इसे अपनाया जा रहा है शेष जिलों में भी इसे अपनाने की आवश्यकता है।

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