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पान की खेती के लिए सरकार दे रही है 50 प्रतिशत का अनुदान

subsidy on betel farming

अनुदान पर पान की खेती

देश में पान के पत्तों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान मुहैया कराती है। जिससे पान उत्पादन में किसानों को किसी तरह की आर्थिक कमी न हो। लोकसभा में कुँवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि सरकार उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के चयनित क्षेत्र में पान की खेती करने वाले किसानों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ़्तार के तहत अनुदान देती है। 

लोकसभा में कुँवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने सवाल पूछा कि क्या सरकार ने बुंदेलखंड में सहकारी आधार पर पान के पत्तों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए हैं ? जिसके लिखित जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री ने पान उत्पादन के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। 

पान की खेती पर कितना अनुदान देती है सरकार

केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपने जबाब में बताया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ़्तार के तहत देश में पान की खेती को बढ़ावा दे रही है। योजना के तहत सरकार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के माध्यम से पान की खेती के लिए क्लस्टर में बरोज (पंडाल) की स्थापना के लिए 50% सहायता अधिकतम 1000 वर्गमीटर के लिए 50453 रुपए प्रदान कर रही है। उत्तर प्रदेश राज्य में वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक की अवधि के दौरान इस कार्यक्रम के तहत कुल 104 हेक्टेयर कवर किया गया है। वहीं मध्य प्रदेश में 2015-16 में 44.4 हेक्टेयर क्षेत्र इस योजना के तहत कवर किया गया था। 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत सुपारी और मसाला विकास निदेशालय, कालीकट, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि अनुसंधान परिषदों को पान के पत्तों की अच्छी गुणवत्ता वाली न्यूक्लियस रोपण सामग्री का उत्पादन करने के लिए समेकित बागवानी विकास मिशन के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है। दो उच्च तकनीक रोपण सामग्री उत्पादन संरचनाएं, एक क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन बेलताल, महोबा ज़िले में 11.2 लाख की वित्तीय सहायता से और दूसरी कृषि विज्ञान केंद्र, ललितपुर ज़िले में 15.6 लाख की वित्तीय सहायता से (बाँदा कृषि और प्रोदयोगिकी विश्वविद्यालय के तहत) पान के किसानों की रोपण सामग्री की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थापित की गई है। 

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