Home किसान समाचार सरकार ने दी 18 प्रतिशत की छूट, किसान अब बिना किसी मूल्य...

सरकार ने दी 18 प्रतिशत की छूट, किसान अब बिना किसी मूल्य कटौती के बेच सकेंगे सूखे, मुरझाए और टूटे हुए गेहूं

gehu kharid faq

सूखे, मुरझाए और टूटे हुए गेहूं की सरकारी खरीद

केंद्र सरकार ने जहां गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है वहीं इसकी सरकारी खरीद के लिए तय अंतिम तारीखों को भी आगे बढ़ा दिया है। अब अधिकांश राज्यों में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं 31 मई तक बेच सकेंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार ने एफएक्यू में छूट देकर केंद्रीय पूल के लिए केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ सहित पंजाब और हरियाणा में गेहूं की खरीद की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से गेहूं की बिक्री के बारे में किसानों की कठिनाइयां कम होंगी और संकट से बच सकेंगे।

केंद्र सरकार ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में मंडियों से बहुत विशाल मात्रा में नमूने एकत्र करने के लिए अप्रैल-मई, 2022 के दौरान केंद्रीय दलों को प्रतिनियुक्त किया गया था और इनका विश्लेषण एफसीआई की प्रयोगशालाओं में किया गया था। जांच के बाद परिणामों ने अलग-अलग प्रतिशत और एफएक्यू मानदंडों से हट कर सूखे या मुरझाए हुए और टूटे हुए अनाज की उपस्थिति का संकेत मिले थे। जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।

सरकार ने खरीदी में दी बिना किसी मूल्य कटौती 18 प्रतिशत तक की छूट 

केंद्र ने भारतीय खाद्य निगम-एफसीआई को बिना किसी मूल्य कटौती के 18 प्रतिशत तक सूखे या मुरझाए हुए और टूटे हुए अनाज की खरीद की छूट दी है। पंजाब और हरियाणा राज्य सरकारों ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) को पत्र लिखकर रबी विपणन सत्र-आरएमएस 2022-23 के लिए गेहूं के समान विनिर्देशों में छूट देने की मांग की थी। वर्तमान में सूखे या मुरझाए हुए और टूटे हुए अनाज की सीमा 6 प्रतिशत है। जब कि इन राज्यों ने 20 प्रतिशत तक की छूट मांगी थी।

प्रति एकड़ गेहूं की उपज में आई गिरावट गिरावट

आरएमएस 2021-22 के दौरान गेहूं का उत्पादन 1095 लाख मीट्रिक टन-एलएमटी और 433 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई थी। आरएमएस 2022-23 के दौरान, 1113 एलएमटी गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। लेकिन गर्मियों की शुरुआत (मार्च 2022 के अंत तक) के परिणामस्वरूप पंजाब और हरियाणा में अनाज की बनावट में परिवर्तन हुआ और अनाज के सूखने या मुरझाने और टूटना सामने आया और प्रति एकड़ गेहूं की उपज में गिरावट आई। इसके बाद अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं की खरीद के लक्ष्य को संशोधित कर 195 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है।

इसलिए लिया गया फैसला

केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक मंत्रालय ने बताया कि अनाज का सूखे या मुरझाए हुए और टूटना एक प्राकृतिक घटना है जो मार्च के महीने में देश के उत्तरी भाग में अत्यधिक गर्मी की लहर आने के परिणामस्वरूप सामने आई है। ये प्रतिकूल मौसम की स्थिति किसानों के नियंत्रण से बाहर हैं और इसलिए, ऐसी प्राकृतिक घटना के लिए उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए। इसके अनुसार, किसानों की कठिनाई को कम करने के लिए सरकार द्वारा अनाज की बनावट में बदलाव पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। इस प्रकार, आम तौर से पूछे जाने वाले प्रश्नों के मानदंडों में उपयुक्त छूट किसानों के हितों की रक्षा करेगी और खाद्यान्न की उचित खरीद और वितरण को बढ़ावा देगी।

Notice: JavaScript is required for this content.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version