Home किसान समाचार अधिक पैदावार के लिए किसान इस तरह से करें सोयाबीन की बुआई

अधिक पैदावार के लिए किसान इस तरह से करें सोयाबीन की बुआई

soyabean sowing method

सोयाबीन बुआई की उन्नत तकनीक

देश के कई राज्यों में खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती प्रमुखता से की जाती है। खरीफ सीजन की मुख्य तिलहन फसल होने के चलते किसानों को सोयाबीन के भाव भी अच्छे मिलते हैं। सोयाबीन की बुवाई का काम जून के पहले सप्ताह से शुरू हो जाता है। किसानों को सोयाबीन की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए उन्नत विधियों का प्रयोग करना चाहिए ताकि कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके।

किसानों को सोयाबीन की बुवाई पंक्ति में करना चाहिए जिससे फसलों का निराई करने में आसानी होती है। किसानों को सीड ड्रिल से बुवाई करना चाहिए जिससे बीज एवं उर्वरक का छिड़काव साथ में किया जा सके। इससे उर्वरक का पूर्ण उपयोग पौधों के विकास में होता है | इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कृषकों को सोयाबीन की बुआई फरो इरिगेटेड रेज्ड बैड पद्धति या ब्राड बैड पद्धति (बी.बी.एफ) से करनी चाहिए।

कम या अधिक वर्षा में भी होता है अच्छा उत्पादन

इस पद्धति से बुआई करने के लिए परंपरागत विधि की अपेक्षा थोड़ी सी अधिक लागत द्वारा लाभ को बढ़ाया जा सकता है | विपरीत परिस्थितयां जैसे–अधिक या कम वर्षा की स्थिति में भी सोयाबीन फसल में इसके द्वारा अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं | इस विधि में प्रत्येक दो पंक्ति के बाद एक गहरी एवं चौड़ी नाली बनती है, जिससे अधिक वर्षा की स्थिति में वर्षा जल इन नालियों के माध्यम से आसानी से खेत से बाहर निकल जाता है और फसल ऊँची मेड पर रहने के कारण सुरक्षित बच जाती है | 

जबकि समतल विधि में अधिक में वर्षा होने पर खेत में पानी भर जाता है और फसल खराब हो जाती है। इसी प्रकार कम वर्षा की स्थिति में इन गहरी नालियों में वर्षा जल संग्रहित होता है और पौधे को नमी प्राप्त होते रहती है, जिससे पौधों में पानी की कमी नहीं होती।

इसके साथ ही साथ चौड़ी नाली के कारण प्रत्येक पंक्ति को सूर्य की रोशनी एवं हवा प्रचुर मात्रा में मिलती है। पौधों के फैलाव के लिए अधिक जगह मिलती है, जिससे पौधों की शाखाओं में वृद्धि होती है तथा अधिक मात्रा में फूल एवं फलियाँ बनती हैं और परिणामस्वरूप उत्पादन में वृद्धि होती है |

किसान इस तरह करें सोयाबीन की बुआई

खेत की तैयारी 

रबी फसल की कटाई उपरांत खेत की गहरी जुताई रिवर्सिबल मोल्ड बोर्ड प्लाऊ से प्रति तीन वर्ष के उपरांत पर अवश्य करें एवं प्रति वर्ष खेत अच्छी तरह तैयार करें। गहरी जुताई के लिए रिजिड टाईन कल्टीवेटर अथवा मोल्ड बोर्ड प्लाऊ का प्रयोग करें। खेत तैयार करने के लिए डीके फीट कल्टीवेटर (पंजा) का प्रयोग न करें | प्रति तीन वर्षों बाद खेत का समतलीकरण जरुर करें | सोयाबीन फसल की बुआई से पूर्व बीज के अंकुरण की जांच एवं बीजोपचार अवश्य करें। उर्वरक की मात्रा का प्रयोग मृदा स्वास्थ्य पत्रक की अनुशंसा के अनुसार करें |

किस समय करें समय पर बुआई 

किसानों को अधिक लाभ के लिए सोयाबीन की बुआई जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह के मध्य 4-5 इंच वर्षा होने पर बुआई करनी चाहिए। रेज्ड बैड प्लांटर में, जो फरो ओपनर लगे रहते हैं, उनमें रिजर तथा मोल्ड बोर्ड के साथ सियर पायन्ट भी होता है। मोल्ड बोर्ड के पंख की चौडाई कम या ज्यादा की जा सकती है, जिससे ऊँची क्यारी एवं नाली की चौडाई एवं गहरी कम या ज्यादा की जा सके |

फेरो इरिगेशन रेज्ड बैड पद्धति की विशेषताएँ

  • इस मशीन से दो बैड या क्यारियां बनती हैं। प्रत्येक बैड पर दो से तीन पंक्तियां इस मशीन के द्वारा बोई जा सकती है।
  • इस विधि में 15–20 से.मी. गहराई एवं 45–60 से.मी. चौड़ी नाली बनाई जाती है।
  • ऊँची क्यारी की चौडाई 45–60 से.मी. तथा ऊँचाई 10–15 से.मी. रखी जाती है।
  • ऊँची क्यारी एवं नाली की चौडाई एवं गहराई कम या ज्यादा करने की व्यवस्था भी इस मशीन में रहती है।
  • एक ऊँची क्यारी पर दो या तीन पंक्तियों की बुआई की जा सकती है, पंक्तियों के बीच की दुरी 25–30 से.मी. रखते हैं |

सोयाबीन बुआई की चौड़ी क्यारी विधि

ब्राड बैड पद्धति (बी.बी.एफ) सीड ड्रिल बहुउपयोगी उपकरण है, जिसमें फरों ओपनर्स (बुआई के दाँते) रबी एवं खरीफ की फसलों की दर से बदले जा सकते हैं। इस सीडड्रिल द्वारा 5-6 पंक्तियों में एक साथ बुआई की जा सकती है। प्रत्येक 5-6 पंक्तियों के बाद एक गहरी नाली बनती हैं, जिसकी चौड़ाई 30-40 से.मी. एवं गहराई 10-12 से.मी. रहती है। इसमें बुआई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी बदलने की सुविधा उपलब्ध है। इस बी.बी.एफ सीड ड्रिल में 9 दाँते होते हैं, जिससे रबी फसलों की बुआई भी की जा सकती है।

Notice: JavaScript is required for this content.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version