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जापान और फिलीपींस की तरह होगा मछुआरों का बीमा, जल्द तैयार की जाएगी योजना

machhli palko ke liye bima yojna

मछली पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए बीमा योजना

मछली पालन और मछली पकड़ने में होने वाले जोखिमों को कम करने के लिए सरकार मछली पालकों एवं मछुआरों के लिए कई योजना चला रही है। इसमें मछुआरों के लिए शुरू हुई समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) बीते तीन साल से चल रही है। योजना के तहत बुधवार को नई दिल्लीं में एक कार्यक्रम के दौरान मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने लाभार्थियों को चेक वितरित किए। साथ ही बीमा कंपनियों से मछुआरों के लिए और अच्छी बीमा योजनाएं लाने की अपील की।

वहीं देशभर के सभी मछुआरों से अपील करते हुए कहा कि जितने ज्यादा से ज्यादा लोग बीमा कराने के लिए आगे आएंगे तभी बीमा कंपनी भी अच्छी बीमा योजनाएँ लायेंगी। वहीं मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने बताया कि तीन देशों में इस तरह की योजनाएँ बहुत अच्छी तरह और कामयाबी के साथ चल रही हैं। हम भी उन योजनाओं का अध्ययन कर रहें ताकि मछुआरों के लिए बेहतर बीमा योजना लाई जा सके।

मछुआरों की बोट के लिए लाई जाए बीमा योजना

नई दिल्ली के पूसा में हुए कार्यक्रम के दौरान परषोत्तम रूपाला ने समुद्र में मछली पकड़ने वालीं छोटी-बड़ी बोट का जिक्र करते हुए बीमा कंपनियों से कहा कि आज मछुआरों की बोट के लिए अच्छी बीमा योजनाएँ लाने की जरूरत है। साथ ही ये भी तय कर लिया जाए कि सभी बोट का बीमा हो रहा है। मछली और झींगा बीमा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए बीमा योजनाएं बनाते वक्त खासतौर पर क्लाइमेट चेंज के मुद्दों को ध्यान में रखना होगा। इस मौके पर कार्यक्रम में मौजूद और कुछ लाभार्थियों से उन्होंने आनलाइन बातचीत की।

सम्मेलन में इन मुद्दों पर हुई चर्चा

मछुआरों और मछली पालन किसानों के हितों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने और मत्स्य पालन क्षेत्र, बीमा कंपनियों, बीमा मध्यस्थों तथा वित्तीय संस्थानों में विभिन्न हितधारकों के साथ हुई बैठक पर निम्न मुद्दों पर चर्चा की गई:-

  • मत्स्य पालन में बीमा के माध्यम से जोखिम को न्यूनतम करना,
  • भारत में जलीय कृषि और वेसल्स (बोट) बीमा की कमियां, चुनौतियां और संभावनाएं,
  • विभिन्न बीमा उत्पाद और उनकी विशेषताएं जिन्हें मत्स्य पालन क्षेत्र में लागू किया जा सकता है,
  • मत्स्य पालन के लिए फसल बीमा में क्षतिपूर्ति आधारित बीमा अवसर,
  • मत्स्य पालन क्षेत्र में माइक्रो बीमा की भूमिका,
  • न्यूनतम परेशानी में त्वरित दावा निपटान प्रक्रिया के लिए सर्वोत्तम अभ्यास।

बीमा योजना को सफल बनाने के लिए किए जाएँगे काम

मछली पालन सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि विभाग जापान और फिलीपींस जैसे अन्य देशों में मछुआरों के लिए सफल बीमा मॉडल की स्टडी कर रहा है। उनके अनुभवों को स्थानीय हालात के मुताबिक लागू किया जाएगा। सरकार कंपनियों से वेसल्स (बोट) बीमा योजनाओं को बढ़ावा दे रही है। ऐसी योजनाओं के लिए सामान्य मापदंडों पर काम करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। मछुआरा समुदाय के साथ विश्वास की कमी को दूर करने के लिए फसल बीमा के तहत योजनाओं की समीक्षा की जा रही है।

कार्यक्रम का उद्देश्य मत्स्य पालन बीमा से संबंधित सभी बातचीत को बढ़ावा देना, सहयोगी पहल, सर्वोत्तम प्रथाओं और इनोवेशन्स को प्रोत्साहित करना, अनुसंधान और विकास में लक्ष्य निर्धारित करना, किसानों तथा मछुआरों को प्रभावशाली अनुभवों एवं सफलता की कहानियों के माध्यम से बीमा कवरेज अपनाने के लिए प्रेरित करना, जागरूकता बढ़ाकर मत्स्य समुदाय के बीच एक्वाकल्चर बीमा अपनाने को बढ़ावा देना है।

देश में 3 करोड़ लोग जुड़े हैं मछली पालन व्यवसाय से

मत्स्यपालन और जलीय कृषि भोजन, पोषण, रोजगार, आय और विदेशी मुद्रा के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। यह क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर 3 करोड़ से अधिक मछुआरों और मछली किसानों तथा मूल्य श्रृंखला के साथ कई लाख से अधिक मछुआरों और मछली किसानों को आजीविका, रोजगार एवं उद्यमशीलता प्रदान करता है। वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।

मत्स्यपालन क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है, जो लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है। इस क्षेत्र में सतत और जिम्मेदार विकास को बढ़ाने के लिए, भारत सरकार ने मई 2020 में ‘प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ (पीएमएमएसवाई) की शुरुआत की है। पीएमएमएसवाई के तहत मछली पकड़ने वाले जहाजों और समुद्री मछुआरों के बीमा कवर के लिए सहायता का प्रावधान किया गया है।

क्यों है अच्छी बीमा योजना की ज़रूरत

भारत में जलीय कृषि विभिन्न जोखिमों जैसे बीमारियों, पीक सीजन की घटनाओं और बाजार में उतार-चढ़ाव से भी घिरी रहती है। जलीय कृषि उद्योग की गतिशील प्रकृति के कारण इन जोखिमों का आकलन और प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो सकता है। किसानों ने पायलट एक्वाकल्चर फसल बीमा योजना में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई क्योंकि यह केवल बुनियादी कवरेज प्रदान करती थी और बीमारियों सहित व्यापक कवरेज प्रदान नहीं करती थी।

बीमा कंपनियों के पास जलीय कृषि फसल के नुकसान पर लिगेसी डेटा नहीं है। हालांकि बीमा कंपनियां एक्वा फसलों के व्यापक कवरेज की उम्मीद करती हैं, लेकिन उत्पाद अधिक महंगा होने के कारण इसकी स्वीकार्यता फिलहाल कम है। कई जल कृषि संचालकों को बीमा के लाभों के बारे में जानकारी नहीं हो सकती है या उपलब्ध उत्पादों के बारे में समझ की कमी हो सकती है। बीमा कंपनियों को पुनर्बीमा सहायता की बहुत आवश्यकता है।

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