Home किसान समाचार किसानों को फूल, मशरूम, सब्जी, स्ट्राबेरी एवं अन्य उद्यानिकी फसलों के उत्पादन...

किसानों को फूल, मशरूम, सब्जी, स्ट्राबेरी एवं अन्य उद्यानिकी फसलों के उत्पादन हेतु दिया जायेगा प्रशिक्षण

horticulture crop production training

उद्यानिकी फसलों के उत्पादन हेतु प्रशिक्षण

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कृषि के साथ-साथ पशुपालन एवं बागवानी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है | किसानों को उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने एवं प्रशिक्षण देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है | देश के केंद्रीय कृषि एवं राज्य स्तरीय कृषि विश्वविद्यालयों एवं सभी जिले के कृषि विज्ञान केन्द्रों में समय-समय पर किसानों को अलग-अलग विषयों पर इसके लिए प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं | झारखंड राज्य सरकार ने कृषि के चौमुखी विकास पर फोकस कर लोगों को रोजगार देने और उनकी आय बढ़ाने एवं उद्यानिकी को स्वरोजगार का आधार बनाने की कवायद शुरू की है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार की ओर से बजट भी निर्धारित किया गया है।

किसानों, युवाओं और महिलाओं को उद्यानिकी से जुड़ी योजनाओं के तहत विभिन्न तरह के प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम हैं। योजना का उद्देश्य उद्यानिकी फसलों का बहुमुखी विकास एवं कृषकों की आय में वृद्धि करना है। साथ ही उद्यानिकी के लिए अनुकूल झारखण्ड के मौसम, मिट्टी और पारिस्थितिकी का लाभ राज्यवासियों को देना है।

दिया जाएगा 5 दिनों का प्रशिक्षण

राज्य के सभी जिलों में उद्यानिकी फसलों के बहुमुखी विकास हेतु पंचायत स्तर पर चयनित बागवानी मित्रों, प्रखंड स्तर पर कार्यरत उद्यान मित्रों और कृषकों को उद्यानिकी फसलों की तकनीकी खेती से संबंधित जानकारी के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। इसमें प्रशिक्षण के दौरान मिलने वाला भत्ता, भोजन, आने-जाने, ठहरने व प्रमाणपत्र देने की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी।

शहरों में भी युवाओं को दिया जाएगा निःशुल्क माली का प्रशिक्षण

योजना के तहत शहरी क्षेत्रों के युवाओं को माली का प्रशिक्षण भी दिया जाना है। इससे जहां शहरी क्षेत्रों में बागों, पार्कों के सौंदर्यीकरण को बढ़ावा मिलेगा, वहीं युवा आत्मनिर्भर भी होंगे। यह प्रशिक्षण राज्य सरकार और भारत सरकार के चिह्नित संस्थानों या एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त संस्थानों के माध्यम से होगा। माली का निःशुल्क प्रशिक्षण 25 दिन का होगा।

मशरूम और मिर्च की खेती के लिए भी दिया जाएगा प्रशिक्षण

मिर्च व मशरूम की खेती को बढ़ावा देना भी पहल का हिस्सा है। जनजातीय क्षेत्रीय उपयोजना के तहत 13 जिलों रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, दुमका, पाकुड़, लातेहार के 420 हेक्टेयर, क्षेत्रीय योजना के तहत हजारीबाग, रामगढ़, देवघर, गोड्ड़ा, चतरा, धनबाद, पलामू एवं बोकारो सहित 11 जिलों के 210 हेक्टेयर एवं अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना के अन्तर्गत हजारीबाग, रामगढ़, देवघर, गोड्डा, गिरिडीह, चतरा, बोकारो, कोडरमा, गढ़वा, धनबाद पलामू एवं बोकारो सहित 11 जिलों में 700 हेक्टेयर क्षेत्र में मिर्च की खेती को बढ़ावा देने की योजना है। साथ ही मशरूम उत्पादन के लिए सभी जिलों के कृषकों को नई तकनीक पर आधारित पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया जायेगा।

फूल और पपीता की खेती को दिया जाएगा बढ़ावा

राज्य के सभी जिलों में चयनित स्थलों पर फूल की खेती की जायेगी। राज्य में कुल 1000 हेक्टेयर क्षेत्र में फूल की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा। पपीता को पौष्टिक फलों की श्रेणी में रखा गया है। पपीता की खेती को सरकार प्रोत्साहित कर रही है। इससे जहां किसानों की आय में वृद्धि होगी, वहीं ग्रामीणों को भी पौष्टिक फल सुलभ होगा। सरकार ने राज्य के विभिन्न जिलों में वित्तीय वर्ष 2021-22 में करीब आठ लाख पपीते के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। पपीता पौध उत्पादकों के माध्यम से पौधा उपलब्ध कराया जायेगा। जो किसान खुद पपीते का पौधा तैयार करेंगे, उन्हें भी सरकार विशेष अनुदान राशि देगी।

इसके अतिरिक्त सरकार किसानों को टिश्यू कल्चर, स्ट्राबेरी, प़ॉली हाउस निर्माण, सब्जी की खेती,  गृह वाटिका की स्थापना आदि को भी प्रशिक्षण से जोड़ने की योजना है। इस प्रशिक्षण से युवाओं और कृषकों को काफी लाभ होगा। जहां एक ओर वे आधुनिक तरीके से उद्यानिकी के बारे जानेंगे, वहीं राज्य भी फलों, सब्जियों के मामले में और अधिक आत्मनिर्भर होगा।

Notice: JavaScript is required for this content.

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version