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कपास की फसल को किसान इस तरह बचायें गुलाबी सुंडी से, कृषि विभाग ने जारी की सलाह

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हर साल किसानों को कपास की फसल में लगने वाली गुलाबी सुंडी कीट से काफी नुकसान होता है। ऐसे में किसानों को होने वाले इस नुकसान को कम करने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस साल बीटी कपास की फसल को गुलाबी सुंडी से बचाने के लिए कृषि विभाग के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिकों ने कमर कस ली है। किसानों को गुलाबी सुंडी की पहचान के साथ ही साथ उसके लार्वा नष्ट करने के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि बुआई से पहले ही कीट का प्रबंधन किया जा सके।

कपास में बीटी कपास आने से पहले तीन प्रकार की सुंडियों का जबरदस्त प्रकोप होता था। इसमें अमेरिकन सुंडी, गुलाबी सुंडी और चितकबरी सुंडी प्रमुख थी। पिछले कुछ वर्षों में मध्य और दक्षिणी भारत में बीटी कपास में गुलाबी सुंडी का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल रहा है। इस कारण से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान होता है।

गुलाबी सुंडी का प्रकोप कहाँ होता है?

राजस्थान कृषि विभाग के मुताबिक गुलाबी सुंडी का प्रकोप केवल कपास जिनिंग मिलों और बिनौले से तेल निकालने वाली मिलों के आसपास देखा गया। जिन किसानों ने पिछले साल के कपास की लकड़ियों का ढेर अपने खेत में लगा कर रखा है वहाँ इस कीट का प्रकोप ज्यादा देखने को मिला है। गुलाबी सुंडी कपास की फसल को मध्य और अंतिम अवस्था में नुकसान पहुंचाती है क्योंकि गुलाबी सुंडी टिंडे के अंदर अपना भोजन ग्रहण करती है। जिससे कपास की पैदावार और गुणवत्ता पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है इसलिए इस वर्ष गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग पूरी तरह से अलर्ट है।

गुलाबी सुंडी की पहचान कैसे करें?

किसान कपास की फसल में फेरोमोन ट्रैप लगाकर गुलाबी सुंडी के प्रकोप को देख सकते हैं। यदि किसानों को फेरोमोन ट्रैप में आठ प्रौढ़ पतंगे प्रति फेरोमोन ट्रैप में लगातार 3 दिन तक मिलें अथवा खेत में कपास के पौधों पर लगे हुए 100 फूलों को खोलने पर इनमें गुलाबी सुंडी या इसके द्वारा बनाये गये जाल दिखाई दें तो समझ लें फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप हो गया है। इसके अलावा किसान 20 हरे टिंडे 10 से 15 दिन पुराने बड़े आकर के टिंडे खोलने पर 2 टिंडों में गुलाबी अथवा सफ़ेद लार्वा मिलने पर भी गुलाबी सुंडी के प्रकोप को जान सकते हैं।

गुलाबी सुंडी से कपास की फसल को बचाने के लिए क्या करें

कृषि विभाग श्रीगंगानगर के कृषि पर्यवेक्षक संदीप कुमार सेन ने बताया कि फसल चक्र के दौरान गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी और नियंत्रण के लिए 2 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर से फसल में लगायें। गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी के लिए प्रति दिन सुबह-शाम खेत का निरीक्षण करते रहें। गुलाबी सुंडी से प्रभावित नीचे गिरे टिंडे, फूल डोडी और फूल को एकत्रित कर नष्ट कर दें। जिस खेत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप न हुआ हो उस कपास को अलग से चुगाई करें और अलग ही भंडारित करें।

गुलाबी सुंडी के प्रकोप वाले क्षेत्रों से नये क्षेत्र में कपास की लकड़ियों को नहीं ले जाना चाहिए। इसके साथ ही किसानों को एक ही कीटनाशक का छिड़काव बार-बार नहीं करना चाहिए। जिस कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप हुआ हो उस कपास को घरों या गोदामों में भंडारित नहीं करना चाहिए।

इसके साथ ही किसान बीटी नरमे की लकड़ियों से निकलने वाले गुलाबी सुंडी के पतंगे को रोकने के लिए अप्रैल महीने से भंडारित लकड़ियों को पॉलेथिन शीट अथवा मच्छरदानी से ढकें। पिछले साल जिन खेतों में अथवा गाँव में गुलाबी सुंडी की समस्या थी उन खेतों की लकड़ियों से टिंडे और पत्तों को झाड़कर नष्ट कर दें। कपास की लकड़ी को झाड़कर दूसरे स्थान पर रखें और बचे हुए अवशेष को जलाकर नष्ट कर दें, गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए यह बगैर पैसे खर्च किए सबसे कारगर तरीक़ा है। सभी किसान अपने खेतों में और अपने गाँव के नज़दीक बनछटियों के ढेर को झाड़कर अवशेषों को जलाना सुनिश्चित करें।

कृषि विभाग द्वारा किसानों को किया जा रहा है जागरूक

कपास को गुलाबी सुंडी से बचाने के लिए कृषि विभाग कपास उत्पादक किसानों को लगातार जागरूक कर रहा है। गुलाबी सुंडी के ख़तरे को देखते हुए समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जा रही है। इसके तहत कृषि अधिकारी नियमित तौर पर फील्ड में उतरकर कपास फसल की निगरानी करेंगे और जिन क्षेत्रों में कपास का उत्पादन अधिक होता है उन गाँवों में गुलाबी सुंडी की पहचान और रोकथाम के लिए किसानों जागरूक करेंगे।

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