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किसान इन कृषि यंत्रों से करें पराली प्रबंधन, फसल की लागत कम होने साथ ही बढ़ेगी पैदावार

fasal avshesh prabandhan ke liye krishi yantra

फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र

पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए सरकार लगातार कटी हुई फसल के बाद शेष रह गए अवशेष के प्रबंधन पर जोर दे रही है। क्योंकि फसल अवशेष से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता की भी हानि होती है। किसान इस अवशेष का उपयोग खाद बनाने में करके फसलों की पैदावार बढ़ा सकते हैं। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा लगातार किसानों के लिए सलाह जारी की जा रही है। यहाँ तक कि विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपयोगी कृषि यंत्रों पर भारी अनुदान भी दिया जा रहा है।

अब ऐसे कई कृषि यंत्र विकसित किए जा चुके हैं जो फसल अवशेषों को खेत की मिट्टी में मिला देते हैं जिससे जैविक खाद बनाई जा सकती है। साथ ही किसान सीधे अगली फसल की बुआई कर सकते हैं जिससे अन्य ख़र्चों में कटौती की जा सकती है। किसान समाधान फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कुछ उपयोगी कृषि यंत्र की जानकारी लेकर आया है जिनकी ख़रीद पर सरकार की ओर से भारी अनुदान भी दिया जाता है।

मल्चर

यह कृषि यंत्र धान की पराली इत्यादि को काटकर उनके टुकड़े करता है जिससे पराली जलाना नहीं पड़ती। इस यंत्र के उपयोग से खेत में आग लगाने की वजह से पर्यावरण तथा भूमि के स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान से बचाव किया जा सकता है। यह कृषि यंत्र धान की कटाई के बाद गेहूं की तुरंत बुवाई को सरल बनाता है। भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों व जीवाणुओं को संरक्षित करता है। मल्चर के उपयोग से मिट्टी में मौजूद नमी संरक्षित होती है। फसल अवशेष जैसे पराली पत्तियों व डंठल आदि मिट्टी में मिलाने से जैविक खाद बन जाता है।

रिवर्सिवल प्लाउ

फसल अवशेष धान की पराली इत्यादि को जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाता है। गहरी जुताई करके फसल अवशेष को मिट्टी में अच्छी तरह दबा देता है। मिट्टी की जल्द धारण व जल ग्रहण क्षमता को बढ़ाता है। मृदा में मौजूद हानिकारक कीटाणु को नष्ट करता है। खरपतवार के बीजों को नष्ट करके खरपतवार को नियंत्रित करता है।

स्ट्रॉ बेलर

इस कृषि यंत्र की मदद से धान की पराली की गांठे बनाई जा सकती हैं। इन गाठों को अन्य स्थानों पर ले जाकर चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। बिजली उत्पादन फैक्टरी में कचरे से बनने वाली बिजली में गाठों का इस्तेमाल किया जा सकता है। कई राज्य सरकारों द्वारा यह पराली खरीदने की व्यवस्था भी की गई है।

हैप्पी सीडर

धान की पराली को आग लगाने से होने वाले बड़े पैमाने से प्रदूषण की रोकथाम एवं भूमि के स्वास्थ्य में आ रही गिरावट को इस मशीन के प्रयोग से रोका जा सकता है। यह कृषि यंत्र कंबाइन से कटे धान के खेतों में पराली को बिना खेत जोते सीधी बिजाई अच्छी तरह से करता है। धान कटे खेतों में पराली को इस मशीन के साथ काटकर मल्च के रूप में रखने से जैविक खाद भूमि में मिलती है। पराली का बचा हुआ मल्च/पराल रूपी सतह में खेत में होने से पानी की नमी ज्यादा समय बनी रहती है व खरपतवार कम पैदा होता है। बिना बुवाई हैप्पी सीडर से गेहूं की सीधी बजाई करने से 800 से 1000 रुपए तक की बचत होती है।

जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल

इस विधि द्वारा गेहूं की बिजाई पर धान के फाने जलाने नहीं पड़ते। फाने चाहे कितने भी बड़े क्यों ना हो उसी में ही गेहूं की बिजाई हो जाती है। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति व संरचना उत्तम बनी रहती है। इस विधि द्वारा गेहूं की बिजाई करने पर गेहूं का जमाव बढ़िया होता है और पौधे ज्यादा स्वस्थ एवं गहरे रंग के निकलते हैं। इस विधि से बिजाई के बाद पहला पानी लगाने पर गेहूं के पौधे पीले नहीं पड़ते। इसमें गेहूं की जुताई का खर्च कम तो होता ही है उत्पादन भी अधिक मिलता है।

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