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किसान मक्के की मेड़ विधि से करें खेती, कम लागत में मिलेगी अच्छी उपज

makka buai ki vidhi

मक्का एक बहुउपयोगी फसल है, जिसका उपयोग ना केवल मानव के भोजन में होता है बल्कि पशुपालन, मुर्गी प्लान, मछली पालन आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है। अब सरकार मक्के से इथेनॉल भी बनाने जा रही है जिससे बाजार में मक्के की माँग बढ़ने की संभावना है। मक्के की माँग बढ़ने से किसानों को इसकी खेती से अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है। ऐसे में किसान मक्के की खेती की नई तकनीकों को अपनाकर पैदावार बढ़ा सकते हैं।

इस वर्ष किसान खरीफ सीजन में ऊपरी जमीन जहां वर्षा के पानी का जमाव नहीं होता है वहाँ मक्का की मेढ़ विधि से बुआई करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। मक्का की मेड़ विधि से बुआई करने से बीज, खाद एवं पानी की बचत होती है जिससे उत्पादन लागत में कमी आती है। इस तकनीक से बुआई करके किसान फसल को पकने से पहले गिरने से बचा सकते है।

मक्का की मेड़ विधि से खेती करने पर मिलने वाले लाभ

  1. इस विधि द्वारा मक्का फसल की बुआई करने पर 20 से 30 प्रतिशत तक सिंचाई जल की बचत होती है।
  2. मेड़ विधि से मक्का लगाने पर 25 से 40 प्रतिशत बीज एवं 25 प्रतिशत तक नाइट्रोजन की बचत की जा सकती है।
  3. इस विधि से मक्का लगाने पर अत्यधिक वर्षा होने पर भी फसल को कोई नुकसान नहीं होता है। अधिक वर्षा की स्थिति में दो मेढ़ों के बीच के नाले का उपयोग जल निकास के लिए किया जाता है, जिससे जल जमाव के कारण फसल नुकसान से बचाया जा सकता है तथा दो पंक्तियों के बीच खाली स्थान रहने से तेज हवा के बहने पर भी सामान्यतः खड़ी फसल गिरती नहीं हैं।
  4. मेढ़ों पर फसल लगाने से सूर्य की किरणों तथा वायु की समुचित उपलब्धता के कारण पौधों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। जिससे गुणवत्ता, उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि होती है।

किसान कैसे करें मक्के की मेड़ पर बुआई

मक्के की मेड़ पर बुआई खासकर खरीफ सीजन में किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। खरीफ मौसम में फसल को जलभराव से बचाने हेतु मेड़ों पर ही बुआई करनी चाहिए। बेड प्लांटर की मदद से मेड़ से मेड़ की दूरी 70 सेंटीमीटर (40 सेंटीमीटर चौड़ी मेड़ एवं 30 सेंटीमीटर चौड़ी नाली) रखनी चाहिए। इसके लिए किसानों को मक्का के दानों को उचित गहराई पर बोने वाले बेड प्लांटर का उपयोग करना चाहिए।

किसानों को मेड़ पर दो पौधों के बीच की दूरी 20 सेंटीमीटर रखते हुए एक पंक्ति प्रति बेड ही लगानी चाहिए। अधिक उपज लेने हेतु प्रति एकड़ 30,000 पौधे लगाने चाहिए। पूर्व-पश्चिम मुखाग्र मेड़ पर दक्षिण दिशा में बुआई करनी चाहिए। किसान फसल अवशेषों में सीधी बुआई करने के लिए हैप्पी सीडर या जीरोटिल बेड प्लांटर का उपयोग करें।

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