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फसलों पर नैनो यूरिया के छिड़काव से किसानों को मिलते हैं यह फायदे

Nano Urea Iffco se fasal ko Labh

नैनो तरल यूरिया से किसानों को होने वाले लाभ

देश में सरकार द्वारा विकसित भारत की संकल्प यात्रा के दौरान देश के कई गांवों में ड्रोन की मदद से नैनो यूरिया एवं डीएपी का छिड़काव किया जा रहा है। यहाँ तक की सरकार द्वारा ड्रोन की खरीद एवं नैनो यूरिया के छिड़काव पर भारी अनुदान भी दिया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाक़ई में नैनो यूरिया के उपयोग से किसानों को कोई फायदा हो रहा है या नहीं। इसको लेकर 15 दिसंबर के दिन लोकसभा में सवाल किया गया।

जिसके जवाब में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने बताया कि देश में विकसित किया गया पहला नैनो तरल यूरिया को खड़ी फसल में डालने से उत्पादन तो बढ़ता ही है साथ ही इसकी क़ीमत परम्परागत उपलब्ध दानेदार यूरिया से कम होने के चलते फसल उत्पादन की लागत में भी कमी आती है।

नैनो यूरिया से किसानों को होता है यह लाभ

लोकसभा में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की ओर से बताया गया कि नैनो यूरिया के उपयोग के लिए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR ने अलग-अलग जगहों पर परीक्षण किया है। जिसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय एवं मेसर्स इंडियन फ़ॉर्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफ़को) द्वारा नैनो यूरिया को उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत अधिसूचित किया गया है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR के द्वारा किए गए विभिन्न परीक्षणों में पाया गया है कि नाइट्रोजन की अनुशंसित आधारिक मात्रा के साथ टॉप-ड्रेसिंग के रूप में नैनो यूरिया के दो छिड़काव करने से उपज में 3 से 8 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है। साथ ही इसके इस्तेमाल से फसलों में 25-50 प्रतिशत तक की यूरिया की बचत हुई। इफ़को नैनो तरल यूरिया की 500 एमएल बोतल की क़ीमत 225 रुपये है, जोकि पारंपरिक यूरिया की 45 किलोग्राम बोरी की क़ीमत से 16 प्रतिशत कम है। जिससे यह पता चलता है कि नैनो यूरिया से न केवल उपज में वृद्धि होती है बल्कि कम मात्रा में उपयोग होने से फसल उत्पादन की लागत भी कम होती है।

इस तरह मिलता है नैनो यूरिया से फसल को लाभ

नैनो यूरिया जब पत्तियों पर छिड़का जाता है तो पौधों के स्टेमेटा और अन्य छिद्रों के माध्यम से आसानी से प्रवेश करता है और फसलों को नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करता है। अपने विशिष्ट आकार तथा सतही क्षेत्र के उच्च अनुपात के कारण यह फसल संबंधी पोषक तत्वों की आवश्यकता को प्रभावी रूप से पूरा करता है, जिसके परिणामस्वरूप पोषण संबंधी दवाब कम होता है, जिससे पौधों की वृद्धि अच्छी होने के साथ ही अधिक उपज प्राप्त होती है।

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