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अभी हुई बारिश के कारण फसलों में लग सकते हैं यह रोग, इस तरह करें उनका नियंत्रण

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रबी फसलों में रोग एवं उनका नियंत्रण

जनवरी के पहले सप्ताह में देश के कई राज्यों में ओला वृष्टि एवं बारिश हुई है | इसके कारण किसानों की फसल को काफी नुकसान हुआ है | इसके अलावा मौसम में हो रहे परिवर्तन के चलते  रबी की विभिन्न फसलों पर कीट एवं रोग लगने की सम्भावना है | कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा रबी मौसम में  अनाज, दलहन तथा तिलहन की फसलों पर विभिन्न प्रकार के रोग तथा कीट आने की संभावना व्यक्त की जा रही है | इस कारण किसान खेतों की फसल की लगातार निगरानी करते रहें | अगर किसी भी फसल पर कीट या रोग का प्रकोप होता है तो उसे जल्द से जल्द रासायनिक दवा के छिड़काव से समाधान करें |

गेहूं

गेहूं में हाल में हुई वर्षा एवं लगातार बदली के मौसम को देखते हुए गेहूं फसल में अंगमारी (ब्लाइट) के प्रकोप की आशंका है | यह रोग पत्ती में भूरे रंग की अंगमारी (ब्लाइट) दिखाई देने पर ताम्र युक्त फफूंद नाशक दवा का 3 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिडकाव करें |

चना

इस समय चना की फसल में इल्ली कीट के प्रकोप होने की आशंका है | इसके लिए किसान सतत निगरानी रखें एवं प्रारंभिक प्रकोप दिखने पर एनपीवी 250 एल.ई के घोल को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिडकाव सुबह या शाम को करें |

सरसों

सरसों में विगत दिनों हुए वर्षा एवं लगातार बदली के मौसम को देखते हुए तिलहन फसल में माहू (एफिडा) के प्रकोप की आशंका है | इस लिए सतत निगरानी रखें एवं प्रारंभिक प्रकोप देखने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 0.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर 10–15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार दो से तीन बार छिडकाव करें |

अरहर

अरहर में विगत दिनों हुए वर्षा को ध्यान में रखते हुए किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि खेत में सतत निगरानी रखें एवं कीट का प्रकोप होने पर उपरोक्त दवाई का छिडकाव करें |

सूरजमुखी

सूरजमुखी की पत्तियों पर भूरा धब्बा रोग दिखने पर ताम्रयुक्त फफूंदनाशी 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें |

मक्का

मकई में विगत दिनों हुई वर्षा से खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी उपलब्ध है | अत: किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि मक्का फसल की बुवाई करें एवं दिसम्बर माह में बोई गई फसल में निदाई – गुडाई करें |

केला

किसान केले के पौधों को सहारा दें और लटकने से बचाने के लिए गन्ने की फसल/ सब्जियों को संम्हालने के लिए खूंटे से सहारा दें | कटी हुई उपज को सुरक्षित स्थान पर रखें | बाग़ की फसलों के लिए सभी टूटी हुई शाखाओं और टहनियों को हटाने की सलाह दी जाती है | कवक द्वारा दिव्तीय संक्रमण से बचने के लिए अनुशंसित रसायनों का छिड़काव करना चाहिए | उचित वातं की सुविधा के लिए केले के खेतों से अतिरिक्त जमा पानी की निकासी करें |

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