Home किसान समाचार ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से भी हो सकती है धान की खेती

ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से भी हो सकती है धान की खेती

ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से भी हो सकती है धान की खेती

ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से भी धान की खेती की जा सकती है। राष्ट्रीय कृषि मेले के जल संसाधन विभाग के स्टाल में प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई का जीवंत मॉडल बनाया गया है। मेले में आने वाले किसान बड़ी उत्सुकता के साथ सिंचाई की इन नई तकनीकों से धान के साथ-साथ फल-फूल और सब्जियों की खेती के तरीकों को प्रत्यक्ष रूप से देख रहे हैं। स्टाल में दिलीप सिंह जूदेव केलो सिंचाई परियोजना, खारंग अहिरन लिंक परियोजना, महादेव घाट रायपुर में निर्माणाधीन लक्ष्मण झूला तथा तीर्थनगरी राजिम के त्रिवेणी संगम पर बनने वाले संस्पेशन ब्रिज के मॉडल भी लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।

मिट्टी स्वास्थ्य परीक्षण, सब्जियों के उन्नत तकनीक, तिलहन उत्पादन, पशु प्रजनन तथा दूध एवं मछली उत्पादन पर हुई परिचर्चा

राष्ट्रीय कृषि मेले में लगी किसानों की पाठशालाओं के प्रति किसानों में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। मेले में पांच पाठशालाएं चल रही हैं। इन पाठशालाओं में किसानों ने आज मृदा स्वास्थ्य एवं मिट्टी परीक्षण, सब्जियों की उन्नत तकनीक व मूल्य संवर्धन, छत्तीसगढ़ में पीली क्रांति-तिलहन उत्पादन, पशु प्रजनन प्रबंधन, दूध एवं मछली उत्पादन के पाठ पढ़े।
पहले पाठशाला में विशेषज्ञों ने मिट्टी स्वास्थ्य के महत्व, सफल फसल उत्पादन में मिट्टी स्वास्थ्य की उपयोगिता, मिट्टी स्वास्थ्य में जैविक उर्वरकों की उपयोगिता तथा मिट्टी नमूना लेने के तरीके तथा मिट्टी स्वास्थ्य पत्रक तैयार की प्रक्रिया के बारे में बताया। दूसरी पाठशाला में छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण सब्जियों की उन्नत तकनीक, ग्राफ्टिंग द्वारा सोलेनेसी कुल की सब्जियों में अधिक उत्पादन एवं रोग प्रबंधन, महत्वपूर्ण सब्जियों में पौध उत्पादन एवं नर्सरी प्रबंधन, महत्वपूर्ण सब्जियों का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन तथा सब्जियों की निर्यात की संभावनाओं की चर्चा हुई। तीसरी पाठशाला में कृषि विशेषज्ञों ने तिलहन फसलों की उन्नतशील किस्मों और विशेषताओं, प्रमुख तिलहन फसलों की उन्नत खेती, तिलहन फसलों में रोग नियंत्रण, तिलहन फसलों में कीट नियंत्रण तथा तिलहन उत्पादन तकनीक के संबंध में किसानों को उपयोगी जानकारी दी। चौथी पाठशाला दुधारू पशुओं में होने वाली प्रजनन समस्याएं एवं उनके निदान, दुधारू पशुपालन एवं उनका प्रबंधन, गाय, बकरी, सुअर, मुर्गी की आहार व्यवस्था, मछली में मूल्य संवर्धन की संभावनाएं तथा मछली प्रसंस्करण तकनीक पर चर्चा हुई। मिट्टी स्वास्थ्य परीक्षण, जैव उर्वरक (अजोला, नीलहरित काई, राइजोबियम) उत्पादन मशरूम उत्पाद तकनीक, पैराकुट्टी पर उपचार, रोग/कीट नियंत्रण की जैविक विधि पर पांचवीं पाठशाला लगी थी।

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    • सर आजकल अन्य फसलों की तरह ही धान की भी सीधी बिजाई भी की जाती है, जिसमें आप इसका उपयोग आसानी से कर सकते हैं। सीधी बिजाई के लिए भी कई नई किस्में उपलब्ध है, आप प्रशिक्षण एवं अन्य जानकारी के लिए अपने ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क करें।

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