Home किसान समाचार 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर करें सहजन (मोरिंगा) की खेती

50 प्रतिशत की सब्सिडी पर करें सहजन (मोरिंगा) की खेती

sahajan or mringa or drumstic farming anudan par

सहजन (मोरिंगा) की खेती पर अनुदान

सहजन को मोरिंगा या ड्रमस्टिक के नाम से भी जाना जाता है |सहजन एक औषधीय तथा सब्जी में उपयोग होने वाला पौधा है | बहुत से स्थानों पर इसकी खेती सब्जी के लिए की जाती है, लेकिन समय के साथ सहजन की उपयोगिता में भी बदलाव   आया है | अब सहजन की खेती दवा बनाने वाली कंपनियां करने लगी है | यह कंपनियां सहजन के साथ पत्ती को भी खरीद रही है | इसका सीधा लाभ सहजन कि खेती करने वाले किसानों को होने वाला है | सबसे बड़ा लाभ यह है कि अगर पौधा फल नहीं दे रहा है तो भी उसके पौधे से पैसा कमाया जा सकता है |

सहजन की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार राज्य सरकार ने किसानों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी देने जा रही है | यह सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खातों में दी जाएगी | सहजन की खेती पर दिए जा रहे अनुदान कि पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है | जो बिहार के किसानों को जानना जरुरी है |

Drumstick सहजन की खेती पर सब्सिडी किन किसानों को दी जाएगी ?

यह योजना बिहार राज्य के कुल 17 जिलों में लागु किया गया है | इसका मतलब यह हुआ कि बिहार के 38 जिलों में से 17 जिलों के किसान ही इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं |

इन जिलों के किसान ले सकेंगे लाभ

गया, औरंगाबाद, नालन्दा, पटना, रोहतास, कैमुर, भागलपुर, नवादा, भोजपुर, जमुई, बांका, मुंगेर, लखीसराय, बक्सर, जहानाबाद, अरवल एवं शेखपुरा जिला को शामिल किया गया है |

सहजन (मोरिंगा) की खेती पर कितनी सब्सिडी है

इस योजना के तहत 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है | सहजन का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम का प्रति हेक्टेयर इकाई लागत 74,000 रूपये है, जिसका 50 प्रतिशत 37,000 रूपये प्रति हेक्टेयर दो किश्तों में 75:25 के अनुपात में सहायतानुदान देने का प्रावधान दिया गया है | इस प्रकार प्रथम वर्ष 27,750 रूपये यानि कुल सब्सिडी का 75 प्रतिशत एवं दिवतीय वर्ष 9,250 रूपये यानि कुल अनुदान का 25 प्रतिशत दिया जायेगा |

यहाँ पर यह जानना जरुरी है कि अनुदान कि दूसरी क़िस्त यानि 25 प्रतिशत दुसरे वर्ष 90 प्रतिशत पौधा जीवित रहने पर ही दी जाएगी |

सहजन की यह उन्नत किस्मों का करें चयन 

बिहार में सहजन कि कोई उन्नत किस्म नहीं है जिसके कारण अच्छा उत्पादन नहीं देती है लेकिन दक्षिण भारत में पी.के.एम.- पी.के.एम. -2, कोयंबटूर – 1, और कोयंबटूर – 2, विकसित किये गए हैं तथा इसकी खेती की जाती है | किसान भाई इन किस्मों में से किसी भी किस्म का चुनाव कर खेती कर सकते हैं |

किसान समाधान के YouTube चेनल की सदस्यता लें (Subscribe)करें

Notice: JavaScript is required for this content.

7 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version