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औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती से हो सकती है किसानों की आय दोगुनी: ICAR महानिदेशक

aushadhiya evam sugandhit paudhon ki kheti

औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती

देश में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार द्वारा परम्परागत फसलों को छोड़ अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में गुजरात के आणंद में 22 से 24 जनवरी 2024 के दौरान तीन दिवसीय किसान मेला, हर्बल एक्सपो, किसान प्रशिक्षण और अवसर प्रदान करने वाली यात्रा का आयोजन किया गया। मेले का उद्घाटन कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग DARI के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने किया।

इस किसान मेले का आयोजन आईसीएआर के औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय (आईसीएआर-डीएमपीआर) आनंद में किया गया। इस अवसर पर ICAR के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि औषधीय और सुगंधित पौधों (एमएपी) की खेती किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सबसे अच्छे विकल्पों में से एक होगी क्योंकि आधुनिक चिकित्सा और फार्मास्युटिकल उद्योग में प्रगति के बावजूद औषधीय और सुगंधित पौधों की मानव की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। 

तेजी से बढ़ रहे हैं जड़ी-बूटी आधारित उद्योग

देश में जड़ी-बूटी आधारित उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप औषधीय और सुगंधित पौधों की माँग बढ़ रही है। महानिदेशक ने जोर देते हुए कहा कि किसान औषधीय पौधों की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आईसीएआर-डीएमपीआर द्वारा विकसित तकनीकों और किस्मों को अपना सकते हैं। उन्होंने किसान मेले में आए 2000 से अधिक किसानों की भारी उपस्थिति की सराहना की और मेले के सफल आयोजन के लिए निदेशालय को बधाई दी।

मेले में किसानों से औषधीय पौधों की खेती, प्रसंस्करण, व्यापार और विपणन का लाभ उठाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर- औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय से जुड़े रहने का आग्रह किया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए औषधीय और सुगंधित पौधों को पारंपरिक फसलों के साथ-साथ खेती की जानी चाहिए।

मेले में मोनोअमोनियम फास्फेट MAP के बारे में दी गई जानकारी

मेले के दौरान मोनोअमोनियम फास्फेट (MAP) के उत्पादन, सुरक्षा, सुधार संरक्षण और फसल कटाई के बाद प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। 24 जनवरी को किसानों के लिये एक अवसर प्रदान करने के लिए एक दौरे का भी आयोजन किया गया था जहां खेती और मोनोअमोनियम फास्फेट MAP के संरक्षण को सजीव दिखाया गया था। मेले में मोनोअमोनियम फास्फेट MAP के महत्व के बारे में किसानों को जानकारी दी गई और बताया कि यह किसानों को लंबी अवधि में उनकी आय दोगुनी करने में कैसे मदद करेगा।

मेले में किसानों को किया गया सम्मानित

किसान मेले में महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, बिहार, झारखंड और गुजरात जैसे राज्यों के किसानों ने भाग लिया। किसानों के लाभ के लिए ड्रोन प्रदर्शन का एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात के तीन-तीन किसानों को सम्मानित किया गया। तीन दिवसीय मेले के दौरान लगभग 5000 पर्यटक आए।

मेले में कृषि अनुसंधान (आईसीएआर) संस्थान, राज्य कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और हर्बल उद्योगों के कुल 30 प्रदर्शनी स्टाल इस किसान मेले में तीन दिनों यानी 22 से 24 जनवरी, 2024 तक प्रदर्शित किए गए। इस 3 दिवसीय मेले के दौरान 2,000 से अधिक किसानों ने भाग लिया, जिसमें आधिक महिला किसान थीं। किसान मेले में 500 से अधिक स्कूली बच्चे भी आए। 30 स्टालों में से तीन सर्वश्रेष्ठ स्टाल को पुरस्कार भी दिया गया।

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