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किसानों एवं विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद में पास हुए कृषि उपज सम्बंधित विधेयक

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कृषि उपज सम्बंधित विधेयक संसद में पास

कोरोना वायरस संक्रमण के मध्य जब देश में लॉक डाउन चल रहा था उस समय सरकार कृषि सम्बंधित 3 अध्यादेश लाई थी | यह तीनों अध्यादेश को अभी चल रहे मानसून सत्र में केंद्र सरकार के द्वारा लोकसभा एवं राज्य सभा में पास करवाने के लिए पटल पर रखे गए | संसद ने कृषि क्षेत्र के उत्थान और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से दो विधेयक पारित कर दिए। कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को लोकसभा ने 17 सितंबर, 2020 को पारित कर दिया था |

इस दौरान संसद में विपक्षी दलों के द्वारा काफी हंगामा किया गया वहीँ देश में कई स्थानों पर इन विधेयकों को लेकर किसानों के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है | वहीँ इन विधेयकों को लेकर कई किसान संगठनों के द्वारा चिंता जाहिर की गई है इसके आलवा विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है | इसको लेकर देश में राजनीति गरमा गई है | हरियाणा एवं पंजाब में किसान इन विधेयकों के विरोध में धरने पर बैठे हैं वहीँ देश के अलग अलग राज्यों में किसानों के द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है | इन सभी विरोध प्रदर्शन के बावजूद मोदी सरकार ने दोनों सदनों से विधेयक पास करवा लिए हैं |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधेयक पास होने पर क्या कहा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में कृषि संबंधित विधेयकों के पारित होने को भारतीय कृषि के इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण बताते हुए किसानों को बधाई दी है।

इस सबंध में कई ट्वीट करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा, “भारतीय कृषि के इतिहास का यह एक महत्वपूर्ण क्षण है। संसद में कृषि संबंधित विधेयकों के पारित होने पर हमारे मेहनती किसानों को बधाई! इससे न केवल कृषि क्षेत्र का कायाकल्प होगा बल्कि करोड़ों किसानों का सशक्तिकरण भी सुनिश्चित होगा।”

 “दशकों से भारतीय किसान कई तरह की कठिनाइयों का सामना करने के लिए विवश रहे और बिचौलियों के हाथों परेशान होते रहे। संसद द्वारा पारित विधेयक किसानों को ऐसी विपत्तियों से मुक्त कराएंगे। ये विधेयक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों में तेजी लाएंगे और उनके लिए अधिक समृद्धि सुनिश्चित करेंगे।” “हमारे कृषि क्षेत्र में ऐसे नवीनतम तकनीक की सख्त जरूरत है जो मेहनती किसानों की सहायता कर सके। इन विधेयकों के पारित होने के साथ ही हमारे किसानों के लिए भविष्य की आधुनिक तकनीक तक पहुंच आसान हो जाएगी। इससे उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा जिसके बेहतर परिणाम होंगे। यह एक स्वागत योग्य कदम है।”

क्या है कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020

  • किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना जहां किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से भी उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें।
  • यह विधेयक राज्यों की अधिसूचित मंडियों के अतिरिक्त राज्य के भीतर एवं बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज निर्बाध रूप से बेचने के लिए अवसर एवं व्यवस्थाएं प्रदान करेगा।
  • किसानों को अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नहीं देना होगा और उन्हें माल ढुलाई का खर्च भी वहन नहीं करना होगा।
  • विधेयक किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच उपलब्ध कराएगा जिससे इलेक्ट्रोनिक माध्यम से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित किया जा सके।
  • मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फॉर्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता होगी।
  • किसान खरीददार से सीधे जुड़ सकेंगे जिससे बिचौलियों को मिलने वाले लाभ के बजाए किसानों को उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिल सके।

सरकार ने इस विधेयक को लेकर जारी किया स्पष्टीकरण

  • एमसपी पर पहले की तरह खरीद जारी रहेगी। किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकेंगे। आगामी रबी सीजन के लिए एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी।
  • मंडिया समाप्त नहीं होंगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। इस व्यवस्था में किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा।
  • मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी।
  • इलेक्ट्रानिक मंचों पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। इससे पारदर्शिता आएगी और समय की बचत होगी।

क्या है कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020

  • कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना। कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उसकी उपज के दाम निर्धारित करना। बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन। दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ।
  • इस विधेयक की मदद से बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों से हटकर प्रायोजकों पर चला जाएगा। मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा।
  • इससे किसानों की पहुँच अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद बीज तक होगी।
  • इससे विपणन की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी।
  • किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर पर करने की व्यवस्था की गई है।
  • कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना।

सरकार ने इस विधेयक को लेकर जारी किया स्पष्टीकरण

  • किसान को अनुंबध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी कि वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेच सकेगा। उन्हें अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर भुगतान प्राप्त होगा।
  • देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं। यह समूह (एफपीओ) छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।
  • अनुबंध के बाद किसान को व्यापारियों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी। खरीदार उपभोक्ता उसके खेत से ही उपज लेकर जा सकेगा।
  • विवाद की स्थिति में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने की आवश्यक्ता नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद के निपटाने की व्यवस्था रहेगी।

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